Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    रीढ़ की हड्डी की टीबी घबराने की जरूरत नहीं

    By Babita kashyapEdited By:
    Updated: Tue, 26 Apr 2016 10:09 AM (IST)

    हालांकि यह मर्ज गंभीर है, लेकिन सावधानियां बरतकर और समुचित इलाज कर रीढ़ की हड्डी की टी.बी. का इलाज किया जा सकता है...

    अगर दो-तीन हफ्ते के बाद भी पीठ दर्द में आराम न हो, तो तुरंत डॉक्टर के पास पहुंचना चाहिए। इसकी पहचान एक्सरे से नहीं हो पाती है। इसके लिए एमआरआई करानी होती है। यदि रीढ़ के बीच वाले हिस्से में दर्द हो रहा हो तो देर नहीं करना चाहिए। रीढ़ की हड्डी की टी.बी. के दूर होने में 12 से 18 महीने का वक्त लग सकता है, लेकिन दवा किसी भी हाल में नहीं छोडऩी चाहिए।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ऐसे होता है मर्ज: गौरतलब है कि टी.बी. का जीवाणु फेफड़े से खून में पहुंचता है और जीवाणु रक्त प्रवाह के जरिए रीढ़ तक पहुंच जाता है। जो लोग सही समय पर इलाज नहीं कराते या इलाज बीच में छोड़ देते हैं, उनकी रीढ़ गल जाती है, जिससे स्थाई अपंगता आ जाती है।

    डायग्नोसिस: रीढ़ की हड्डी का पहले एमआरआई, सीटी स्कैन और फिर प्रभावित हड्डी की बॉयोप्सी जांच के जरिये टी.बी.के संक्रमण का पता लगाया जाता है।

    इलाज

    यदि रीढ़ के हड्डी के प्रभावित भाग में संक्रमण के कारण पस की समस्या अधिक हो, तो ऐसे में एसपिरेशन प्रोसीजर के जरिये पस को बाहर निकाल दिया जाता है। कई बार टी.बी. के कारण रीढ़ कीे हड्डी में ज्यादा क्षति पहुंचने लगती है। ऐसीे गंभीर स्थिति में सर्जरी ही इसका एकमात्र इलाज है। सर्जरी के अंतर्गत स्पाइनल डीकंप्रेशन एन्ड फ्यूजन ऑपरेशन किया जाता है।

    सर्जरी की प्रक्रिया: यह काफी जटिल सर्जरी होती है। इसमें मरीज की जरूरत के मुताबिक टाइटेनियम नामक धातु से स्क्र-रॉड या टाइटेनियम केज का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे क्षतिग्रस्त रीढ़ की हड्डी ठीक की जाती है। ऑपरेशन के बाद व्यक्ति पूर्णत: स्वस्थ हो जाता है, लेकिन टी.बी. की दवाई का कोर्स कम से कम

    साल भर तक जारी रहता है।

    शुरुआती लक्षण

    - रीढ़ की हड्डी के प्रभावित क्षेत्र में खासकर रात के समय असहनीय दर्द रहना।

    - स्पाइन के प्रभावित भाग में सूजन होना।

    - बुखार आना।

    - वजन का हद से ज्यादा कम होना।

    - कमजोरी महसूस करना।

    - रोग प्रतिरोधक शक्ति का कम होना।

    - स्टूल व यूरिन पास करने में परेशानी होना।

    डॉ.सतनाम सिंह छाबड़ा स्पाइन सर्जन

    सर गंगाराम हॉस्पिटल, नई दिल्ली