स्पाइनल स्टेनोसिस डरने की जरूरत नहीं
रीढ़ की हड्डी से संबंधित ‘स्पाइनल स्टेनोसिस’ नामक रोग से पीड़ित लोगों का दैनिक कार्य करना मुश्किल हो जाता है, लेकिन अब इस बीमारी का कारगर इलाज उपलब्ध है ...और पढ़ें

रीढ़ की हड्डी से संबंधित ‘स्पाइनल स्टेनोसिस’ नामक रोग से पीड़ित लोगों का दैनिक कार्य करना मुश्किल हो जाता है, लेकिन अब इस बीमारी का कारगर इलाज उपलब्ध है...
65 वर्षीय भास्कर राय कमर में तेज दर्द और चलने-फिरने में तकलीफ के चलते मेरे पास आए थे। एमआरआई जांच के बाद मुझे पता चला कि वह स्पाइनल स्टेनोसिस नामक बीमारी से ग्रस्त हैं। जब दवाओं और फिजियोथेरेपी से उन्हें राहत नहीं मिली, तब मैंने उन्हें ऑपरेशन कराने की सलाह दी। आज वह स्वस्थ होकर सामान्य जीवन जी रहे हैं।
रोग का स्वरूप
उम्र बढ़ने के साथ रीढ़ की हड्डी (स्पाइन)में जो बदलाव होते हैं, उसके फलस्वरूप रीढ़ की हड्डी में नसों(नव्र्स) का मार्ग संकुचित हो जाता है। इस कारण नसों पर दबाव पड़ने से रीढ़ संबंधी कई समस्याएं पैदा हो जाती हैं।
लक्षण
- कमर में तेज दर्द।
- दैनिक कार्र्यों को करने में परेशानी महसूस करना।
- उठने-बैठने में परेशानी।
- चलने-फिरने में पैरों में भारीपन या सुन्नपन महसूस करना।
- गंभीर स्थिति में रोगी को पेशाब करने में दिक्कत होना या पैरों में कमजोरी महसूस करना।
इलाज
मेडिकल साइंस में हुई प्रगति के कारण अब इस रोग में पारंपरिक इलाज के अलावा सर्जरी के उम्दा विकल्प मौजूद हैं। इसलिए अब स्पाइनल स्टेनोसिस के रोगियों को नई सर्जिकल विधियों से काफी राहत मिल रही है। ऑपरेशन के द्वारा दबी हुई नसों के मार्ग (जो संकुचित हो जाता है) को खोल दिया जाता है। यह ऑपरेशन लगभग 95 फीसदी तक सुरक्षित और कारगर है।
डॉ. राघवेंद्र जायसवाल एमसीएच (आर्थो)
आर्थो व स्पाइन सर्जन

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