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    रेटिनल डिटैचमेंट: अब है कारगर इलाज

    By Babita kashyapEdited By:
    Updated: Tue, 29 Mar 2016 12:54 PM (IST)

    रेटिनल डिटैचमेंट नामक नेत्र विकार आंखों और उनकी रोशनी को क्षति पहुंचा सकता है, लेकिन समय रहते अब इस आई डिफेक्ट का इलाज संभव है...

    आंखों के अंदर टिश्यूज की एक बारीक पर्त होती है, जिसे हम रेटिना कहते है। रेटिना के ऊपर प्रकाश किरणें केंद्रित होकर एक छवि बनाती है, जिसे वह सिग्नल में बदलती हैं और मस्तिष्क में भेजती है ताकि हमारी आंखों के सामने छवि नजर आ सके। रेटिना हमारी दृष्टि में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। छोटी हो या बड़ी, रेटिना पर किसी भी प्रकार की हानि बहुत गंभीर हो सकती है, जिसके लिए नेत्र विशेषज्ञ की देखभालआवश्यक है। ऐसा न होने पर व्यक्ति अपनी दृष्टि खो सकता है।

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    रोग का स्वरूप

    रेटिनल डिटैचमेंट एक ऐसी स्थिति है, जिसमें रेटिना आंख की पिछली पर्त से अलग हो जाती है। इस कारण रेटिना तक खून का संचार कम होने लगता है। रेटिना अगर ज्यादा समय तक अलग रहे, तो व्यक्ति अपनी दृष्टि हमेशा के लिए खो सकता है।

    लक्षण

    - अगर किसी व्यक्ति को नजर के सामने अलग सी रोशनी की किरणें या धागे जैसी हिलने वाली वस्तुएं दिखने लगें।

    - अगर किसी को आंख के किनारों से वस्तुएं अंधेरी सी दिखाई दें।

    - उपर्युक्त लक्षणों के प्रकट होने पर देरी किए बगैर अनुभवी रेटिना विशेषज्ञ से परामर्श लें।

    प्रकार

    रेटिनल डिटैचमेंट मुख्यत: तीन प्रकार के होते हैं। पहला और सबसे ज्यादा होने वाला प्रकार है, रेटिनल ब्रेक या टीयर जिसे मेडिकल शब्दों में रेग्मैटोजीनस रेटिनल डिटैचमेंट कहते हैं। इसमें आंख के मध्य में मौजूद तरल पदार्थ (जिसे विट्रियस कहते हैं) रेटिनल टीयर से निकलने लगता है। इस कारण रेटिना अपने स्थान से हटती है। दूसरा प्रकार है-एक्सुडेटिव रेटिनल डिटैचमेंट। यह रेटिना से तरल पदार्थ के रिसाव के कारण होता है। ज्यादातर मामलों में ट्यूमर या किसी सूजन संबंधी विकार के कारण एक्सुडेटिव रेटिनल डिटैचमेंट होता है। वहीं ट्रैक्शन रेटिनल डिटैचमेंट, रेटिनल डिटैचमेंट का तीसरा प्रकार है।

    उपचार

    रेटिनल डिटैचमेंट के इलाज में सबसे अधिक उपयोग में लायी जाने वाली तकनीक स्क्लीरल बकल है। यह तकनीक रेग्मैटोजीनस रेटिनल डिटैचमेंट से पीडि़त व्यक्तियों के लिए प्रयोग की जाती है। इस तकनीक में सिलिकॉन का एक स्पंज या ठोस सिलिकॉन (जिसे बकल कहते हैं) के द्वारा आंख की पुतली की बाहरी दीवार पर बने रेटिनल टीयर या छेद को सिला जाता है। ऑपरेशन के फौरन बाद ही व्यक्ति अपने घर वापस जा सकता है।

    विट्रेक्टॅमी विधि: इसे ज्यादातर डाइबिटीज के कारण होने वाले ट्रैक्शन रेटिनल डिटैचमेंट से

    पीडि़त मरीजों के लिए प्रयोग किया जाता है।

    ऐसे लोग जिन्हें एक छेद वाला रेग्मैटोजीनस रेटिनल डिटैचमेंट होता है, उनके लिए न्यूमैटिक रेटिनोपेक्सी एक अच्छा विकल्प है। इस तकनीक में एक गैस का बुलबुला आंख के मध्य भाग (जिसे विट्रियस कैविटी कहा जाता है) में इंजेक्ट किया जाता है। इसके बाद इस बुलबुले को इस तरह स्थित किया जाता है ताकि यह रेटिनल टीयर

    या छेद को ढक ले।

    रोकथाम

    अधिकतर मामलों में रेटिनल डिटैचमेंट की समस्या को नियमित नेत्र जांच से बचाया जा सकता है। यदि आपको मधुमेह या डाइबिटीज है, तो साल में एक बार आंखों की जांच कराना जरूरी है। इन्हें है ज्यादा खतरा वे लोग जिनकी पास की नजर कमजोर होती है, उनमें रेटिनल डिटैचमेंट का खतरा ज्यादा होता है। इसके अलावा अगर किसी शख्स को अतीत में कभी आंख की चोट लगी हो या उसने मोतियाबिंद की जटिल सर्जरी करायी हो, तो उन्हें भी रेटिनल डिटैचमेंट के होने की संभावना अधिक होती है। इसके अतिरिक्त अगर आपके परिवार में किसी सदस्य को रेटिनल डिटैचमेंट की समस्या हो, तब भी आपको यह बीमारी हो सकती है।

    डॉ. राजीव जैन नेत्र विशेषज्ञ

    नई दिल्ली