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    पाइल्स: जानें आधुनिक इलाज के बारे मे

    By Babita kashyapEdited By:
    Updated: Wed, 24 Feb 2016 12:53 PM (IST)

    पारंपरिक सर्जरी की तुलना में आधुनिकतम लेजर उपचार लेजर हेमरॉयडेक्टमी के जरिये पाइल्स का इलाज मरीजों के लिए कहीं ज्यादा राहतकारी साबित हो रहा है...

    पारंपरिक सर्जरी की तुलना में आधुनिकतम लेजर उपचार लेजर हेमरॉयडेक्टमी के जरिये पाइल्स का इलाज मरीजों के लिए कहीं ज्यादा राहतकारी साबित हो रहा है...

    बवासीर (पाइल्स) किसी भी उम्र में पुरुषों और महिलाओं को प्रभावित करने वाली अस्वास्थ्यकर जीवनशैली से संबंधित बीमारी है। यह मर्ज अक्सर गुदा (एनस) की रक्त वाहिकाओं पर अत्यधिक दबाव के कारण उत्पन्न

    होता है। इस स्थिति में एनस में सूजन या मस्से पैदा हो जाते हैं।

    आमतौर पर लोग मल के साथ रक्त आने को बवासीर मान लेते हैं, जबकि वास्तविकता यह है कि बवासीर से पीडि़त 30 प्रतिशत रोगियों में मल के साथ रक्त आता है और शेष 70 प्रतिशत रोगियों में जलन, खुजली और कब्ज जैसे लक्षण प्रकट होते हैं।

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    क्या है पाइल्स

    पाइल्स गुदा के आसपास त्वचा के नीचे नसों के गुच्छे होते हैं, जिन्हें दो वर्गों में वर्गीकृत किया जा सकता है।

    पहला,आंतरिक (गुदा के अंदर) और दूसरा (गुदा के बाहर)। रक्त वाहिकाओं पर अत्यधिक दबाव डालने वाली किसी गतिविधि से पाइल्स के होने का खतरा बढ़ जाता है।

    कारण

    पुराना कब्ज, मल त्याग में जोर लगाना, लगातार दस्त, गर्भावस्था और मोटापा आदि इसके कुछ

    आम कारण हैं। इसके अलावा खानपान की अस्वास्थ्यकर आदतें, अधिक जोर लगाने वाले

    व्यायाम, लंबे समय तक बैठना या यात्रा करना और तरल पदार्थों का कम सेवन करना भी पाइल्स की

    समस्या पैदा करता है।

    सर्जरी से उपचार

    पाइल्स के इलाज में अनेक सर्जन पारंपरिक सर्जरी की तकनीक का उपयोग करने पर अधिक जोर देते हैं, लेकिन ऐसी सर्जरी के कारण मरीज की एनस के टिश्यूज को नुकसान पहुंच सकता है और उसकी रिकवरी

    धीरे- धीरे होती है।

    नवीनतम लेजर उपचार (लेजर हेमरॉयडेक्टमी): पाइल्स की शुरुआती अवस्था में जब मस्से छोटे होते हैं,तब उनका इलाज स्पेशल लेजर के जरिये किसी भी तरह की चीरफाड़ के बगैर किया जाता है। वस्तुत: लेजर के

    जरिये पाइल्स का इलाज मरीज की अवस्था के अनुसार किया जाता है। जैसे ग्रेड 1 और ग्रेड 2 के अंतर्गत आने वाले मरीजों का इलाज स्पेशल लेजर के जरिये किया जाता है। यह लेजर प्रक्रिया लगभग 10 मिनट में

    पूरी हो जाती है। मरीज को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत नहीं पड़ती।

    वहीं ग्रेड 3 और ग्रेड 4 के अंतर्गत आने वाले मरीजों का इलाज करने के लिए लेजर मशीन को कटिंग मोड में रखा जाता है। लेजर की किरणें पाइल्स को सील कर देती हैं, जिसके कारण टांके लगाने की जरूरत आम तौर पर नहीं पड़ती। लेजर किरणों के जरिये पाइल्स को अच्छी तरह से देखा जा सकता है और रक्तस्राव को बंद किया जा सकता है।

    पाइल्स के जिन मरीजों में गुदा का भाग बहुत ज्यादा बाहर निकल आता है, उन्हें स्टेपलर विधि के साथ लेजर ट्रीटमेंट कराने से अत्यधिक लाभ मिलता है।

    लाभ

    - लेजर उपचार अधिक कारगर है।

    - लेजर तकनीक से टिश्यूज को कम से कम नुकसान होता है। इस कारण मरीज को दर्द कम होता है।

    - घाव जल्द भरता है।

    - लेजर उपचार प्रक्रिया के कुछ ही घंटों के भीतर मरीज को अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है

    डॉ. आशीष भनोट लैप्रोस्कोपिक सर्जन

    अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल्स, नई दिल्ली