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    गर्मियों के मौसम में दस्त की समस्या से बच कर रहें

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    Updated: Tue, 10 Jun 2014 12:29 PM (IST)

    गर्मियों के मौसम में अन्य ऋतुओं की तुलना में दस्त (लूज मोशन) की समस्या बढ़ जाती है। इसका कारण यह है कि गर्मियों में विभिन्न रोगों के जीवाणु कहींज्यादा सक्रिय हो जाते हैं। प्रदूषित पानी और दूषित खाद्य पदार्र्थो के खाने से दस्त की समस्या बढ़ जाती है, लेकिन कुछ सजगताएं बरतकर समस्या का

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    गर्मियों के मौसम में अन्य ऋतुओं की तुलना में दस्त (लूज मोशन) की समस्या बढ़ जाती है। इसका कारण यह है कि गर्मियों में विभिन्न रोगों के जीवाणु कहींज्यादा सक्रिय हो जाते हैं। प्रदूषित पानी और दूषित खाद्य पदार्र्थो के खाने से दस्त की समस्या बढ़ जाती है, लेकिन कुछ सजगताएं बरतकर समस्या का समाधान संभव है..

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    गंभीर स्वास्थ्य समस्या

    दस्त पांच साल से कम उम्र के बच्चों में दूसरी सबसे बड़ी जानलेवा बीमारी है। यह बीमारी बच्चों और वयस्कों दोनों को ही प्रभावित करती हैं। एक अनुमान के अनुसार हर साल दुनिया में लगभग 17 करोड़ लोग दस्त की बीमारी से पीड़ित होते हैं और लगभग 5 साल से कम उम्र के 7.6 लाख बच्चों की हर साल दस्त की बीमारी से मौत हो जाती है। इन मौतों का मुख्य कारण शरीर में पानी और नमक की कमी होना है।

    क्या है दस्त

    दस्त की समस्या तब उत्पन्न होती है, जब तीन या इससे अधिक बार शौच के लिए जाना पड़ता हो। इसके अलावा मल का पतला या पानीनुमा होने की समस्या भी होती है। मल के साथ खून आने को पेचिश कहते हैं। अगर दस्त दो सप्ताह से ज्यादा चल रहे हैं, तो उसे परसिस्टेंट या क्रॉनिक डायरिया कहते हैं। कभी-कभी दस्त शरीर की कमजोर रोग-प्रतिरोधक क्षमता का भी लक्षण हो सकता है। इसलिए गर्मियों में दस्त बार-बार होते हैं।

    लक्षण

    -बार-बार दस्त आना।

    -पेट में दर्द होना।

    -बुखार आना।

    -मल में खून आना।

    -सुस्ती आना और मुंह सूखना।

    -मांसपेशियों में ऐंठन होना।

    -पेशाब कम बनना।

    कारण

    1. दस्त लगने का सबसे मुख्य कारण संक्रमण होता है। यह संक्रमण वायरस, बैक्टीरिया, प्रोटोजुआ या फंगस के संक्रमण से हो सकता है। यह संक्रमण प्रदूषित खान-पान या गंदे हाथों से किसी खाद्य पदार्थ के खाने से मानव शरीर में फैल जाता है, जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है।

    2. कुछ खाद्य पदार्र्थो से एलर्जी भी दस्त का कारण बन सकती है। जैसे दूध, अंडा या गेहूं से निर्मित खाद्य पदार्र्थो को लेना भी दस्त का कारण हो सकता है।

    3. लंबे समय से चल रहे दस्त या पेचिश का कारण रोग प्रतिरोधक क्षमता या इम्युनिटी का कम होना या कुछ बीमारियां (जैसे अल्सरेटिव कोलाइटिस) भी हो सकती हैं।

    4. बुजुर्ग लोगों में कभी-कभी दस्त का बार-बार होना आंतों में किन्हीं कारणों से रुकावट के कारण भी हो सकता है। इसकी समय रहते जांच करवाएं।

    5. इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम से ग्रस्त रोगी भी अक्सर दस्त की शिकायत करते हैं।

    6. आंतों के ऑपरेशन के बाद जब आंतें छोटी हो जाती हैं, तो भी रोगी दस्त से पीड़ित हो सकते हैं।

    बचाव

    -हाथ धोना कई बीमारियों से बचाव करता है। हर बार शौच के बाद, खाना खाने और पकाने से पहले साबुन से हाथ धोएं।

    -साफ पानी का प्रयोग करें। पानी को उबालकर और फिर ठंडा कर पिएं।

    -कटे फल व सब्जियों को ढककर रखें।

    -स्ट्रीट फूड्स से जहां तक हो बचें।

    -छोटे बच्चों को छह माह तक मां के दूध के अलावा कुछ और ऊपर से न दें। नवजात बच्चे को शहद या घुट्टी न दें। मां का पहला दूध बच्चे को जरूर पिलाएं।

    इलाज

    दस्त में सबसे बड़ा खतरा डिहाइड्रेशन यानी पानी और नमक की कमी से संबंधित है। दस्त का समय रहते उपचार करना जरूरी है, अन्यथा यह रोग खतरनाक भी बन सकता है। इन सुझावों पर अमल करें..

    -पर्याप्त मात्रा में ओआरएस का घोल दें।

    -ामक व चीनी का घोल दें। चावल का पानी, दाल पानी, नीबू पानी या छाछ या मट्ठा दें।

    -बचे को मां का दूध पिलाते रहें।

    -जिंक के सप्लीमेंट देने से बच्चों को दस्त में फायदा होता है।

    -टाइफाइड,रोटा वायरस और हैजा के लिए टीकाकरण करवाएं।

    -दर्द से राहत न मिलने पर, दस्त में खून आने पर, लगातार उल्टियां होने पर, तेज बुखार या पेट में तेज दर्द होने पर तुरंत अस्पताल ले जाएं।

    -अपने आप एंटीबॉयटिक न दें। इससे बैक्टीरिया सामान्य दवाओं के प्रति रेजिस्टेंट हो जाता है यानी दवाएं पर्याप्त रूप से असर नहीं करतीं। दस्त के कई मामलों में एंटीबॉयटिक की जरूरत नहीं पड़ती। ध्यान रखें पानी, चीनी और नमक का घोल दस्त में जान बचा सकता है।

    जटिलताएं

    अगर दस्त का समुचित इलाज न किया जाए, तो यह स्थिति शरीर के लिए खतरनाक बन सकती है। जैसे बार-बार दस्त से कुपोषण ग्रस्त होना और डिहाइड्रेशन से गुर्दे भी खराब हो सकते हैं।

    (डॉ.सुशीला कटारिया सीनियर फिजीशियन, मेदांत दि मेडिसिटी, गुड़गांव)

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