ग्लूकोमा के बारे में जानिए ..
पिताजी ग्लूकोमा से ग्रस्त हैं। कुछ दिनों से मेरी आंखों से पानी सरीखा द्रं बहने लगा है। क्या मुझे भी ग्लूकोमा की समस्या पैदा हो सकती है? कृपाकर इस बीम ...और पढ़ें

पिताजी ग्लूकोमा से ग्रस्त हैं। कुछ दिनों से मेरी आंखों से पानी सरीखा द्रं बहने लगा है। क्या मुझे भी ग्लूकोमा की समस्या पैदा हो सकती है? कृपाकर इस बीमारी के लक्षणों के बारे में और बचाव के उपाय बताएं।
परविंदर सिंह, नई दिल्ली
ग्लूकोमा या काला मोतिया कई कारणों से हो सकता है। जिन लोगों का पारिवारिक इतिहास इस बीमारी से संबंधित हो यानी परिवार के किसी सदस्य को अतीत में यह बीमारी हो चुकी हो, उन्हें इस रोग से ग्रस्त होने का जोखिम बढ़ जाता है। पूर्व में आंख में कभी चोट लगना, लंबे समय तक स्टेरायड्स दवाओं का सेवन करने वाले व्यक्ति इस समस्या से ग्रस्त हो सकते हैं। मधुमेह, हाइपरटेंशन, या थायरायड आदि समस्याओं से पीड़ित व्यक्तियों को इससे ग्रस्त होने का खतरा बढ़ जाता है। ग्लूकोमा के लक्षण शुरुआती दौर में नहीं उभरते। इसलिए इसे गंभीर रोग माना जाता है। इस रोग से बचने का कोई निश्चित उपाय नहींहै। शुरुआत में ही बीमारी का पता लगाने के लिए आंखों की नियमित रूप से जांच कराएं। आंखों में होने वाले किसी भी बदलाव या लक्षण पर ध्यान दें। याद रखें, ग्लूकोमा किसी भी आयुवर्ग के व्यक्ति को हो सकता है।
अगर ग्लूकोमा के उपचार की बात की जाए, तो यह जान लेना जरूरी है कि इस रोग को पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता, लेकिन इस रोग की जटिलता के मद्देनजर इसे दवाओं, सर्जरी या लेजर तकनीक द्वारा नियंत्रित जरूर किया जा सकता है ताकि ऑप्टिक नर्व की आगे होने वाली क्षति को रोका जा सके। वैसे इस रोग का इलाज ताउम्र चलता है।
हर बार बरसात के मौसम में मुझे कन्जंक्टिवाइटिस की समस्या हो जाती है। इस कारण मुझे काफी परेशानी का सामना करना पडता है कृपया इस बीमारी से बचने का उपाय बताएं।
अजय देवर्षि, आगरा
आंखों के फ्लू कन्जंक्टिवाइटिस को लोग सामान्य बीमारी समझते हैं। मई से सितंबर के दौरान आपकी आंखों पर इस रोग का हमला हो सकता है। ऐसे में इसे साधारण रोग मानकर हम लापरवाही करते हैं जो कार्निया को क्षतिग्रस्त करने का कारण बन सकती है। सावधानी न बरतने पर आंखों की रोशनी भी जा सकती है। कन्जंक्टिवाइटिस से बचने के लिये साफ पानी से नियमित रूप से आंख धोएं। कॉन्टेक्ट लेंस पहनते हों, तो उनका प्रयोग तुरंत बंद कर दें, क्योंकि ऐसा न करने पर संक्रमण का जोखिम बढ़ जाता है। अगर संक्रमण हो चुका है, तो स्वच्छ व अलग टॉवेल व रूमाल का इस्तेमाल करें। आंखों को छूने के बाद हाथों को अच्छी तरह से धोएं। इस बीमारी का खुद इलाज करने के बजाय डॉक्टर से परामर्श लेकर इलाज शुरू कराएं।
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