दूर रहेगी एलर्जी
18 वर्षीय राहुल को पिछले दो साल से नाक में खुजली, छींकें, नाक बहने और नाक बद होने की शिकायत थी। उसकी यह दिक्कत बदलते मौसम में और भी बढ़ जाती थी।

18 वर्षीय राहुल को पिछले दो साल से नाक में खुजली, छींकें, नाक बहने और नाक बद होने की शिकायत थी। उसकी यह दिक्कत बदलते मौसम में और भी बढ़ जाती थी। उसके पापा इस दिक्कत को साधारण सर्दी-जुकाम समझकर मेडिकल स्टोर से एंटी बॉयटिक व अन्य दवाइया लाकर देते रहते थे। एक महीने पहले से राहुल को सास लेने में कुछ परेशानी व नाक में मास के बढ़ने का शक हुआ, तब उसके पापा ने ई.एन.टी. विशेषज्ञ से सलाह ली, जिन्होंने राहुल को कुछ दवाएं लेने और सावधानियों के सदर्भ में बताया। आज राहुल पूरी तरह से स्वस्थ है।
नाक का कार्य
सूंघने के अतिरिक्त नाक का दूसरा महत्वपूर्ण कार्य सास नली की सुरक्षा व वातानुकूलन होता है। सास लेते समय नाक हवा को फिल्टर करती है और बाहर से आने वाली हवा को नमी व गर्मी देती है। इस तरह से यह प्रदूषित हवा को फेफड़े तक जाने से रोकती है।
क्या है एलर्जिक राइनाइटिस:-हमारे शरीर की रक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) शरीर के दुश्मनों यानी बीमारियों से लड़ती है और हमें विभिन्न रोगों से बचाती है। यदि शरीर की यह प्रणाली अपने दुश्मन रूपी बीमारियों को पहचानने में गलती कर दे तो यह साधारण घटनाओं जैसे मौसम में बदलाव, धूल, मिट्टी व परागकण को भी अपना दुश्मन समझकर प्रतिक्रिया व्यक्त करने लगती है। इसे एलर्जी कहते है। यह एलर्जी शरीर के कई भागों जैसे नाक, त्वचा, आख और फेफड़े पर असर दिखा सकती है। नाक में होने वाली इस एलर्जी को एलर्जिक राइनाइटिस कहते हैं।
लक्षण
लगातार छींकें आना, नाक से पानी सरीखा तरल पदार्थ बहना, नाक, आंख, तालू में खुजली, नाक बद होना और सिरदर्द इसके प्रमुख लक्षण है। कारण
बदलता हुआ मौसम, धूल-मि˜ी, प्रदूषण, नमी, तापमान में अचानक परिवर्तन, जानवरों के बाल व रेशे, पेड़ और परागकण एलर्जिक राइनाइटिस के प्रमुख कारण है।
क्या यह खतरनाक है:-यद्यपि यह बीमारी जानलेवा नहीं होती है किन्तु जीवन की सामान्य दिनचर्या को अत्याधिक प्रभावित कर सकती है। यदि इसका ठीक और सही समय पर उपचार न किया जाए तो अन्य बीमारिया होने का खतरा रहता है जैसे:-
नेजल पॉलिप- नाक के अंदर मास का बढ़ना।
साइनूसाइटिस- नाक के आस-पास हड्डियों में सामान्यता हवा रहती है। एलर्जी के कारण हवा का आवागमन न होने से इनके रास्ते बद हो जाते हैं और इनमें सक्रमण हो जाता है।
सावधानिया
धूल व धुएं से बचें, तापमान के अचानक परिवर्तन से बचाव करे। बाल वाले जानवरों से दूर रहे। मुंह और नाक पर मास्क का इस्तेमाल करे। यदि वैक्यूम क्लीनर हो, तो झाड़ू की जगह उसका इस्तेमाल करें।
घर के पर्दे, बेड शीट, चादर व कालीन में नमी व धूल न जमने दें। समय-समय पर इनकी सफाई व धूप दिखाना अच्छा रहता है। इसके अतिरिक्त अत्यत सुरक्षित व कारगर दवाओं की जानकारी व इनका सेवन नाक, कान व गला विशेषज्ञ के परामर्श से किया जा सकता है।
डॉ. सौरभ गुप्ता
नाक, कान व गला विशेषज्ञ
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