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    एलर्जी से लेकर कैंसर तक दे सकती है बेंजीन

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    Updated: Wed, 14 Aug 2013 03:13 PM (IST)

    हरियाली कौन पसंद नहीं करता लेकिन क्या स्वास्थ्य की कीमत पर किसी हरे-भरे इलाके में आप जाना या रहना चाहेंगे। हरियाली से बीमारी के इस संबंध की झलक दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के एक खुलासे में मिलती है, जिसके अनुसार बेंजीन नामक रसायन प्राकृतिक तौर पर हरियाली की ओर जाता है।

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    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। हरियाली कौन पसंद नहीं करता लेकिन क्या स्वास्थ्य की कीमत पर किसी हरे-भरे इलाके में आप जाना या रहना चाहेंगे। हरियाली से बीमारी के इस संबंध की झलक दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के एक खुलासे में मिलती है, जिसके अनुसार बेंजीन नामक रसायन प्राकृतिक तौर पर हरियाली की ओर जाता है।

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    इस खुलासे की वजह है दिल्ली के चुनिंदा हरे-भरे इलाकों के वातावरण में बेंजीन की सामान्य से अधिक मात्रा। वहीं डॉक्टरों का कहना है कि बेंजीन नामक रसायन के संपर्क में आने से सामान्य स्वास्थ्य समस्याओं से लेकर कैंसर जैसी बीमारी भी हो सकती है।

    हाल ही में डीपीसीसी ने खुलासा किया कि इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट, मंदिर मार्ग और सिविल लाइन्स के वातावरण में बेंजीन की मात्रा निर्धारित मानकों से 2 से 12 प्रतिशत तक अधिक पाई गई। उनका कहना है कि बेंजीन की प्रवृति हरियाली की ओर जाने की होती है। जैसे सिविल लाइन्स यमुना के अधिक करीब है और हराभरा है। ऐसे में यहां पर बेंजीन की ज्यादा मात्रा के पीछे हरियाली भी एक कारक हो सकती है। हालांकि, वातावरण में इस रसायन की मात्रा बढ़ने के वास्तविक कारण अभी सुनिश्चित नहीं हो सके हैं।

    जितना एक्सपोजर, उतना खतरा

    इस संबंध में इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ कंसल्टेंट फिजिशियन डॉ. सुरनजीत चैटर्जी ने बताया कि इसके तुरंत असर से लेकर दूरगामी खतरे भी होते हैं। उन्होंने कहा कि बेंजीन कार्सिनोजेनिक कंपाउंड के तहत आता है, यानी ऐसा रसायन जो कैंसर की आशंका बढ़ाता है।

    इसके दुष्प्रभाव इस बात पर निर्भर करते हैं कि इसके संपर्क में व्यक्ति कितना देर रहा है। इससे थकान, त्वचा और आंखों में खुजली जैसे तत्काल प्रभाव नजर आते हैं।

    हो सकता है कैंसर

    मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के रेडिएशन ऑन्कोलॉजी के प्रमुख डॉ. अनिल कुमार आनंद ने कहा कि कई महीने तक लगातार सांस के जरिए बेंजीन जब शरीर के भीतर जाती है तो इससे लंग कैंसर, ब्लड कैंसर और स्किन कैंसर भी हो सकता है। चूंकि बेंजीन के कारण शरीर में ऑक्सीजन की पर्याप्त पूर्ति नहीं होती है, इसलिए श्वसन तंत्र संबंधी समस्याएं भी होने लगती हैं।

    क्या है बेंजीन

    यह एक रंगहीन या हल्के पीले रंग का रसायन है, जो कच्चे तेल, गैसोलिन और सिगरेट के धुएं से पैदा होता है। यह वाष्पीकृत होकर हवा में घुल जाता है। कुछ उद्योगों में बेंजीन को अन्य रसायनों के निर्माण के लिए भी उपयोग किया जाता है।

    कैसे होता है एक्सपोजर

    -गाड़ियों के धुएं, गैस स्टेशन व उद्योगों और तंबाकू।

    -घर में अमूमन बेंजीन का स्तर अधिक होता है, जिसका कारण हैं ग्लू, पेंट, डिटरजेंट।

    -इंडस्ट्रीज में काम करने वाले लोग इसके संपर्क में सबसे अधिक आते हैं।

    बेंजीन के तत्काल प्रभाव

    सांस के जरिए इसकी अधिक मात्रा शरीर के भीतर जाने के कुछ मिनटों से लेकर कुछ घंटों के भीतर असर दिखने लगता है। जैसे थकान, चक्कर आना, दिल की धड़कनें बढ़ना, सिरदर्द, संभ्रम की स्थिति, बेहोशी और यहां तक कि मौत भी।

    इसके दूरगामी परिणाम

    -लगभग सालभर या इससे ज्यादा समय तक इसके संपर्क में आना बोन मैरो पर असर डालता है। जिसके कारण लाल रक्त कणिकाएं घट जाती हैं और एनीमिया हो जाता है।

    -महिलाओं में प्रजनन क्षमता पर असर पड़ता है। मासिक धर्म की अनियमितता और ओवरी का आकार भी घट जाता है।

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