रोगों की रोकथाम के लिए जरूरी है टीकाकरण
नवजात शिशु को गभीर बीमारियों से बचाने के लिए टीकाकरण जरूरी है। केंद्र और राज्य सरकार की स्वास्थ्य योजनाओं के अंतर्गत बच्चों को कई बीमारियों के टीके नि:शुल्क लगाए जाने का प्रावधान है।

नवजात शिशु को गभीर बीमारियों से बचाने के लिए टीकाकरण जरूरी है। केंद्र और राज्य सरकार की स्वास्थ्य योजनाओं के अंतर्गत बच्चों को कई बीमारियों के टीके नि:शुल्क लगाए जाने का प्रावधान है। यह आपकी जिम्मेदारी है कि कोई स्वास्थ्य कार्यकर्ता आपके गाव या मोहल्ले में जब टीका लगाने के लिए आए तो टीकाकरण से इंकार न करें। टीकाकरण बीमारियों से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका है, जिसका कोई दुष्प्रभाव नहीं होता।
क्या है उद्देश्य
किसी जीवित या मृत सूक्ष्मजीव या उसके अंश को शरीर में प्रवेश कराकर, उस जीव के लिए शरीर में प्रतिरोधक क्षमता विकसित करना ही टीकाकरण का उद्देश्य है। टीका ड्रॉप या इंजेक्शन के माध्यम से शरीर में पहुंचाया जा सकता है।
जन्म के समय ही लगवाएं टीके
गर्भवती महिला को एक महीने के
अंतराल पर टिटनेस वैक्सीन की दो डोज लगवाने से गर्भस्थ शिशु के शरीर में टिटनेस बीमारी से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता पैदा हो जाती है। बच्चे के जन्म के समय हेपेटाइटिस बी, पोलियो और टीबी का टीका लगता है। इसके बाद डेढ़ महीने, ढाई महीने और साढ़े तीन महीने पर पोलियो,डीपीटी और हेपेटाइटिस बी के टीके लगवाने जरूरी हैं। नौ महीने पर खसरा, डेढ़ साल और पाच वर्ष की उम्र में डीपीटी और पोलियो के टीके लगवाने के साथ इन बीमारियों से लड़ने की पर्याप्त क्षमता शरीर में आ जाती है। टिटनेस की वैक्सीन दस वर्ष की उम्र में भी लगती है। ये सभी वे टीके हैं जो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र या किसी भी सरकारी अस्पताल में नि:शुल्क लगते हैं।
इन पर नहीं अनुदान
टायफॉइड, निमोनिया, डायरिया, चिकनपॉक्स और हेपेटाइटिस-ए के टीके अस्पतालों में नि:शुल्क नहीं लगते। सरकार को इन बीमारियों से बचाव के लिए ऐसे टीकों के नि:शुल्क लगवाये जाने की व्यवस्था करनी चाहिए। महिलाओं को सरवाइकल कैंसर से बचाव के लिए एचपी वैक्सीन लगवानी चाहिए। डेंगू और मलेरिया के टीकों पर शोध चल रहा है। वहीं स्वाइन फ्लू का टीका भी ईजाद किया जा चुका है।
डॉ.सजय निरंजन
सचिव, इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स
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