वन विभाग की 20 एकड़ जमीन यमुना में समाई, कटाव से सहमे ग्रामीण
यमुना नदी में उफान के चलते प्रतापनगर के मांडेवाला जंगल में वन विभाग को भारी नुकसान हुआ है। 20 एकड़ जमीन नदी में समा गई जिससे पेड़ बह गए। ग्रामीणों ने विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाया है क्योंकि हर साल बजट आने के बावजूद सही से काम नहीं होता। कटाव गांव की सुरक्षा पटरी के करीब पहुंच गया है।

संवाद सहयोगी, प्रतापनगर। यमुना नदी के उफान ने वन विभाग को बड़ा नुकसान पहुंचाया है। मांडेवाला जंगल की 20 एकड़ से ज्यादा जमीन नदी में समा गई। इस जमीन पर लगे खैर और सांगवान के पेड़ भी बह गए। नदी की तेज धार ने न केवल जमीन हड़पी, बल्कि जंगल की हरियाली को भी नुकसान पहुंचाया।
दो साल पहले टापू कमालपुर में भी यमुना में 100 एकड़ जमीन वन विभाग की समा गई थी।इस जमीन पर भी काफी संख्या में पेड़ थे। गांव की ओर बढ़ते खतरे से ग्रामीण चिंता में हैं।
प्रभावित ग्रामीण जिले सिंह, साहब सिंह, रिनू कुमार, मोहकम, संजय कोहली और संदीप नंबरदार ने आरोप लगाया कि हर साल यमुना किनारे और जंगल की सुरक्षा के लिए बजट आता है, लेकिन विभाग की लापरवाही से वह सही जगह खर्च नहीं किया जाता। परिणाम स्वरूप हर बार पेड़ और जमीन को नुकसान उठाना पड़ता है।
वन विभाग के वन रक्षक अमित जांगड़ा, संदीप वर्मा और वन दारोगा मनजीत मांडेवाला पहुंचे पर पहुंचे और नुकसान का जायजा लिया। उन्होंने बताया कि नुकसान की रिपोर्ट तैयार कर उच्चाधिकारियों को भेजी जाएगी। कटाव रोकने के उपाय जल्द जरूरी हैं, वरना नुकसान और बढ़ सकता है।
पटरी से 10 मीटर दूर पहुंचा कटाव
यमुना नदी में आए पौने लाख क्यूसेक पानी से कटाव अब गांव की ओर बनी सुरक्षा पटरी से मात्र 10 मीटर की दूरी पर रह गया है। कटाव जारी रहा तो पटरी टूटने का खतरा है, जिससे गांव के अस्तित्व पर संकट खड़ा हो सकता है।
प्रभावित ग्रामीणों ने प्रशासन और वन विभाग से तुरंत कदम उठाने की अपील की है। पटरी की सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतजाम किए जाएं, ताकि न केवल जंगल बल्कि गांव भी यमुना कटाव से बच सके।
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