Haryana Flood: लहलहाती फसल के साथ गाद और रेत में दफन हुए किसानों के सपने, बाढ़ ने गांवों में मचाई भीषण तबाही
यमुनानगर में सोम नदी में आई बाढ़ से किसानों को भारी नुकसान हुआ है। व्यासपुर के पास के इलाकों में किसानों की धान गन्ना और चारा की फसल बर्बाद हो गई है। किसानों का कहना है कि प्रशासन की लापरवाही के कारण उन्हें हर साल नुकसान होता है और वे मुआवजे की मांग कर रहे हैं।

संवाद सहयोगी, व्यासपुर। सोम नदी के उफान ने तटवर्ती गांवों में तबाही मचाई। जहां फसल लहलहा रही थी, वहां बाढ़ के बाद गाद व रेत दिखाई दे रहा है। जिसे देख किसान कभी किस्मत तो कभी व्यवस्था को कोस रहे हैं।
उनका आरोप है कि प्रशासन व सरकार इस बारे गंभीर नहीं है। तभी बाढ़ प्रबंधन के कार्य समय पर पूरे नहीं होते। बार-बार मांग करने पर भी नदी के तट पर पटरी नहीं बनाई गई। जिसका नुकसान किसानों को झेलना पड़ता है।
तटवर्ती किसानों की धान, गन्ना, चारे की फसल, पापुलर व सफेदा के पेड़ बाढ़ से नष्ट हो गए। खड़ी फसलें नदी के पानी के साथ आई मिट्टी व गाद में दब गई। खेतों में कई फिट तक मिट्टी व गाद जमा हो गई।
नदी का उफान तो शांत हो गया, लेकिन पीछे बर्बादी का मंजर छोड़ गया। प्रतिवर्ष होने वाले नुकसान ने किसानों की कमर तोड़ दी है। इनको फसल से मुनाफ तो दूर लागत का नुकसान भी झेलना पड़ रहा है।
दो गांवों की 400 एकड़ की फसल चढ़ी बाढ़ की भेंट
खंड के गांव मलिकपुर बांगर व बसातियावाला वाला की 400 एकड़ से अधिक फसल सोम नदी में आई बाढ़ की भेंट चढ़ गई। गन्ने, धान व पशुओं के चारे की फसल में कई फीट तक पानी भर गया था।
पानी उतर जाने के बाद तीन फीट रेत व गाद जमा हो गई है। इससे किसानों एक तो फसल बर्बाद होने का दूसरा अगली फसल के लिए खेत तैयार करने का आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।
हजारों क्यूसेक पानी करता खेतों का रुख
किसान सोहन लाल, जय कुमार, निर्मल सिंह, सुखविंदर सिंह, रणवीर, नवजोत, शिवराम व मेम सिंह ने बताया कि उनके खेतों के पास से ही सोम नदी गुजर रही है। उफान पर आने से सोम नदी का हजारों क्यूसिक पानी ने उनके खेतों की ओर रुख कर लिया है। जिससे उनके खेतों में काफी गाद व रेत जमा हो जाती है।
इससे प्रति वर्ष लाखों रुपये का नुकसान झेलना पड़ता है। आगामी सीजन की गेहूं की फसल की बुवाई भी समय से नहीं हो पाती। क्षेत्र में उफान से हुई बर्बादी खेतों में दिखाई देने लगा है। कई बीघा जमीन की फसल पूरी तरह से रेत से ढक गई है, जिस पर अब खेती करना मुश्किल हो गया है।
किसानों के अनुसार उन्होंने धान, गन्ने और मक्के की फसल की बुआई की थी, लेकिन पानी और रेत के कारण सारी फसल नष्ट हो गई। कुछ जगहों पर तो खेत की उपजाऊ मिट्टी भी बह गई है। ऐसे हालात में आने वाले सीजन में खेती करना उनके लिए चुनौती बन गया है।
ग्रामीणों ने की तटबंध बनाने की मांग
ग्रामीणों का कहना है कि सरकार को इस आपदा में किसानों की मदद करनी चाहिए। प्रभावित किसानों को मुआवजा और रेत हटाने के लिए विशेष व्यवस्था की जाए ताकि जमीन दोबारा खेती योग्य बन सके।
गांव बसातियावाला के किसानों का कहना है कि गांव मलिकपुर बांगर के समीप सोम नदी पर पुल के समीप गांव के दोनों और लगभग 2000 फीट का तटबंध बनाया गया हैं। इसके आगे तटबंध नहीं होने से सोम नदी का पानी उनके खेतों में प्रवेश कर जाता है जिसके कारण प्रत्येक वर्ष 400 एकड़ से अधिक की फसल रेत, मिट्टी व गोद में समा जाती है। उनके खेतों के समीप सोम नदी के तटबंध का निर्माण करवाया जाए।
तुरंत गिरादावरी कराकर मुआवजा की मांग
नदी के तटबंध बनाने को लेकर उन्होंने कई बार उपमंडल प्रशासन, जिला प्रशासन व संबंधित विभाग के अधिकारियों कहा, लेकिन कई वर्ष गुजर जाने के बाद भी तटबंध का निर्माण नहीं किया गया। सोम नदी के उफान का पानी उतरने के बाद खेतों में जमा रेत को निकालने में ही हजारों रुपए खर्च करने पड़ते हैं। उन्होंने कहा कि प्रभावित क्षेत्र का तुरंत गिरदावरी करा कर मुआवजा दिलाया जाए।
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