Haryana Flood: जख्म दे गया नदियों में आया उफान, फसलें जलमग्न; कटाव ने बढ़ाई चिंता
यमुनानगर में नदियों के उफान से किसानों की फसलें तबाह हो गई हैं। हजारों एकड़ जमीन में खड़ी धान और गन्ने की फसलें बर्बाद हो गई हैं। किसानों का कहना है कि जलभराव और कटाव के कारण भारी नुकसान हुआ है। उन्होंने सरकार से मुआवजे और तटबंध बनवाने की मांग की है ताकि भविष्य में नुकसान से बचा जा सके।

जागरण संवाददाता, यमुनानगर। नदियों में आया उफान किसानों को गहरे दे गया है। कहीं लहलहाती फसलों के ऊपर रेत व गाद की चादर बिछ गई तो कहीं जलमग्न हैं। किसानों के मुताबिक मौजूदा फसलें तो तबाह हो ही गई। ऐसे हालातों में आगामी फसल की बिजाई समय पर हो पाएगी। इसकी भी गारंटी नहीं है।
जिले में हजारों एकड़ फसल बर्बाद हो चुकी है। उधर, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की ओर से अभी तक प्रभावित क्षेत्रों का सर्वे करना तक मुनासिब नहीं समझा। यह भी आंकड़ा विभाग देने से बच रहा है कि जिले में कितना खराबा हुआ है।
उतार-चढ़ाव से हो रहा कटाव
जल भराव के साथ-साथ नदियों में पानी का उतार चढ़ाव कटाव का कारण बनभी रहा है। यमुना नदी में सबसे अधिक जठलाना व छछरौली क्षेत्र में भूमि कटाव हो रहा है। कभी 80 हजार क्यूसेक तो कभी 40 हजार क्यूसेक रह जाता है। करीब दो सप्ताह से ऐसे ही हालात बने हुए हैं।
वहीं, सोम नदी में भी ऐसे ही हालात है। यहां पर कभी पानी 25 हजार क्यूसेक तक पहुंच जाता है तो कभी घटकर 10 हजार क्यूसेक व इससे कम रह जाता है। सैकड़ाें एकड़ जमीन कटाव के कारण नदियों में समा चुकी है।
कटाव रोकने के प्रबंध करे सरकार
किसान जय कुमार ने बताया तटबंध के टूटने से उनकी तीन एकड़ में खडी धान की फसल पूरी तरह पानी व रेत में समा गई है। जहां कटाव होकर खेतों में पानी गया है वहां वन विभाग की भूमि लगती है।
वन विभाग व सिंचाई विभाग को चाहिए कि कटाव को रोकने के लिए समुचित प्रबंधन करे लेकिन कार्य केवल कागजों तक सीमित होकर रह जाते है। पूरे मामले की जांच होनी चाहिए। सोम और बरसाती नदी का पानी खेतों में घुसा और फसल बर्बाद हो गई।
खेतों में जमा हो गया रेत
किसान रमेश कुमार ने बताया कि उनकी चार एकड़ धान व गन्ने की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई है। खेतों में दो से तीन फीट तक रेट जमा हो गया है। सरकार को सबसे पहले तुरंत प्रभाव सबसे पहले नदी के किनारे तटबंध का निर्माण करवाना चाहिए। हमारे खेत ही हमारी जिंदगी हैं।
पर ये नदियां ऐसा व्यवहार कर रही हैं कि जैसे हम बस उनके खेल के खिलौने हों। फसलें बर्बाद, कर्ज का बोझ, और कोई मदद नहीं। हर वर्ष यही कहानी दोहराई जाती है। इस दिशा में बचाव के ठोस इंतजाम आज तक नहीं हो पाए हैं।
उम्मीदों पर फिरा पानी
किसान फकीर चंद ने बताया कि उसने पांच एकड़ भूमि को ठेके पर लेकर ब्याज पर पैसे लेकर फसल को लगाया था। रोजाना खेतों में आकर फसल को बढ़ता देख संतुष्टि होती थी। उम्मीद थी कि इस बार फसल अच्छी होगी ओर ब्याज पर लिए पैसे को सही समय पर चुकता कर देंगे।
लेकिन सोमनदी के उफान से बस बर्बाद कर दिया। बरसाती नदी ने हमारे खेतों को तालाब में बदल दिया। हम अपने घरों और खेतों में मेहनत करते हैं लेकिन पानी हमारी उम्मीदों को बहा ले गया। सरकारी योजनाएं बस शब्दों तक सीमित हैं।
चारे की समस्या भी बनी विकट
किसान राज कुमार ने बताया कि उसकी दो एकड़ फसल में धान व पशुओं के चारे की फसल थी। सोमनदी के उफान से सब बर्बाद कर दिया। अब धान के साथ के साथ पशुओं के चारे की समस्या भी आन खड़ी हुई है। प्रदेश सरकार को प्रभावित फसलों की विशेष गिरदावरी करके जल्द मुआवजा देना चाहिए। हमारी फसलें सिर्फ अन्न नहीं हमारी जिंदगी हैं। लेकिन ये नदियां हर साल हमारी मेहनत पर हंसती हैं। किसानों के दर्द को कोई समझता नहीं।
किसानों को राहत दे सरकार
किसान मोहन लाल ने बताया कि उसकी एक एकड़ फसल में धान लगाई थी। लेकिन नदी के पानी व रेत में समा जाने से सारी फसल खराब हो गई। सोम और बरसाती नदियों में आए उफान से हर साल भारी नुकसान झेलना पड़ता है। फसलें जलमग्न हो जाती हैं। खेत की मिट्टी बह जाती है। सरकारी मदद की बातें सुन-सुन कर कान भर गए हैं। असली राहत तो खेतों में दिखनी चाहिए। बचाव की दिशा में सरकार ठोस कदम उठाए और किसानों को राहत दे।
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