Haryana Flood: हरियाणा में किसानों में छलका आक्रोश, बीमा योजना से धान की फसल बाहर
यमुनानगर जिले में धान की फसल को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में शामिल न करने पर किसानों में गुस्सा है। किसानों का कहना है कि जलभराव से धान की फसल को हर साल भारी नुकसान होता है लेकिन उन्हें कोई मुआवजा नहीं मिलता। किसान योजना में धान को शामिल करने और मुआवजे की राशि बढ़ाने की मांग कर रहे हैं ताकि उन्हें कुछ राहत मिल सके।

संजीव कांबोज, यमुनानगर। बाढ़ के लिहाज से जिला यमुनानगर अति संवेदनशील है। यमुना, सोम, पथराला व चतंग सहित अन्य बरसाती नदियाें में हर साल उफान से हजारों एकड़ फसल जल मग्न हो जाती है। लेकिन धान की फसल में जल भराव से हुए नुकसान को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में शामिल नहीं किया गया है।
मतलब जल भराव से यदि धान की फसल को नुकसान होता है तो किसान को बीमा कंपनी की ओर से मुआवजा नहीं मिलेगा। योजना में शामिल न किए जाने से जिले के किसानों में रोष है। किसानों का कहना है कि जिले की धान जिले की मुख्य फसल है और जल भराव के कारण नुकसान भी हर साल बहुत ज्यादा होता है।
80-85 हजार हेक्टेयर में हर साल धान
किसानों के लिए चिंता की बात यह भी है कि जल जमाव से होने वाले नुकसान की भरपाई योजना के तहत नहीं होगी। जिले में हर साल 80-85 हजार हेक्टेयर में धान की फसल होती है।
इतना ही नहीं बाढ़ के दृष्टि से जिला यमुनानगर सहित अन्य कई जिले अति संवदेनशील हैं। क्षेत्र के किसानों को यह बात भी काफी अखर रही है। जुबां पर एक ही बात है कि जिन जिलों में धान का रकबा अधिक है और बाढ़ प्रभावित हैं, उनमें धान की फसल को भी बीमा योजना में शामिल किया जाना चाहिए।
ये हैं नियम-शर्तें
ऋणी व गैर ऋणी किसान स्वेच्छा से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत फसल बीमा करा सकते हैं। योजना में शामिल बाजरा, कपास व मक्का की फसलों को अगर जलभराव से नुकसान पहुंचता है, तो उसका मुआवजा बीमा कंपनी की ओर से किसानों को दिया जाएगा
लेकिन अगर धान की फसल जलभराव से खराब होती है तो उसका मुआवजा बीमा कंपनी की ओर से नहीं दिया जाएगा।
वहीं, जो ऋणी किसान हैं (बैंक से केसीसी बनी है) और वह प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ नहीं लेना चाहते तो ऐसे किसानों को संबंधित बैंक में अपनी एप्लीकेशन दर्ज करवानी पड़ती है कि वह इस बार योजना का लाभ नहीं लेना चाहते । यदि किसान ने बैंक में एप्लीकेशन दर्ज नहीं कराई तो ऐसे में किसानों के खाते से बीमा कंपनी प्रीमियम राशि काटेगी।
मुआवजे पर भी उठे सवाल
लगातार हुई वर्षा व नदियों में आए उफान के कारण फसलों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए सरकार की गंभीरता पर सवाल उठ रहे हैं। प्रति एकड़ सात से 15 हजार रुपये मुआवजा तय किया है। जोकि किसानों को अपर्याप्त लग रहा है। क्योंकि प्रति एकड़ धान की फसल तैयार करने पर 20 से 25 हजार रुपये खर्च आता है। ऐसे खेत भी हैं जहां अभी जल भराव है और आगामी फसल की बिजाई भी होना असंभव है।
कम से कम 60 हजार रुपये प्रति एकड़ मुआवजा मिले
भारतीय किसान यूनियन (टिकैत गुट) के जिलाध्यक्ष सुभाष गुर्जर का कहना है कि नदियों में आई बाढ़ के कारण किसानों को भारी नुकसान हुआ है।
किसानों को कम से कम 60 हजार रुपये प्रति एकड़ मुआवजा दिया जाना चाहिए। लेकिन सरकार मुआवजे के नाम पर मजाक किया जा रहा है। सात से 15 हजार रुपये मुआवजा तो बहुत कम है। कटाव के कारण सैकड़ों एकड़ फसल यमुना में समा गई।
खर्च भी पूरा नहीं हो पाएगा
भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी गुट) के जिलाध्यक्ष संजू गुंदियाना का कहना है कि लगातार हुई वर्षा व बाढ़ के कारण हजारों एकड़ गन्ना, धान, पापुलर व चारे की फसल तबाह हो गई है।
खेतों में अभी पानी जमा है। ऐसी हालत में नहीं लगता कि गेहूं की फसल की बिजाई भी हो पाएगी। धान की एकड़ फसल तैयार करने में करीब 20 से 25 हजार रुपये खर्च आते हैं। यदि ठेके पर ली है तो 60 हजार रुपये प्रति एकड़ है। सात से 15 हजार रुपये मुआवजा नाकाफी है।
बीमा योजना में शामिल किया जाए जलभराव से नुकसान
भारतीय किसान संघ के प्रदेश महामंत्री रामबीर सिंह चौहान का कहना है कि धान की फसल में जल भराव से हुए नुकसान को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में शामिल किया जाना चाहिए।
क्योंकि जिले में हर साल जल भराव के कारण बड़े पैमाने पर नुकसान होता है और धान की फसल भी प्रमुख है। हर साल किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है। मुआवजे की राशि पर भी सरकार को विचार करना चाहिए।
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