पढ़ाई की कोई उम्र नहीं, कांपते हाथों में किताब और नाती-पोतों की अंगुली थामे साक्षरता की ओर बढ़े बुजुर्गों के कदम
यमुनानगर में नवभारत साक्षरता कार्यक्रम के तहत हज़ारों बुजुर्ग साक्षर हो रहे हैं। 60 वर्ष से अधिक उम्र के ये लोग जो कभी बैंक के काम या सरकारी दस्तावेज़ों के लिए दूसरों पर निर्भर थे अब स्वयं पढ़ने और लिखने में सक्षम हैं। ऑनलाइन शिक्षा और स्वयंसेवकों की मदद से वे 28 सितंबर को होने वाली अगली परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं और उन्हें शिक्षित होने पर गर्व है।

दीपक प्रजापति, यमुनानगर। कांपते हाथों में किताब और नन्हे नाती-पोतों की ऊंगली थामे साक्षरता की तरफ कदम बढ़ा रहे बुजुर्गों ने साबित कर दिया कि पढ़ाई की कोई उम्र नहीं होती। मन में इच्छा शक्ति और मेहनत से हर मुकाम हासिल किया जा सकता है।
जिले के 16 हजार बुजुर्ग अपने बैंक से रुपया निकालने के लिए बैंक में जाकर फार्म भरवाने के लिए किसी के मोहताज नहीं रहते न ही यह अन्य सरकारी कामों के कागजों पर अब अंगूठा लगाते हैं।
उम्र के इस पड़ाव में वह अब फार्म भी खुद भर लेते हैं और सरकारी दस्तावेजों पर हस्ताक्षर भी कर लेते हैं। भारत सरकार का नवभारत साक्षरता कार्यक्रम इन बुजुर्गों के जीवन में उजियारा भरने का काम कर रहा है।
उम्र के जिस पड़ाव पर गोद में नाती और पोते खेलते हैं, आंखों से ठीक से दिखता नहीं, ठीक से चल भी नहीं पाते, शरीर की काया भी जीर्ण-शीर्ष हो चुकी है, ऐसी अवस्था के बीच उत्साह से लबरेज बुजुर्ग पढ़ाई कर रहे हैं और स्कूलों व सामाजिक चेतना केंद्रों में बने परीक्षा केंद्रों पर पहुंचकर परीक्षा दे रहे हैं।
नवभारत साक्षरता कार्यक्रम के तहत 9 सितंबर 2024 को 7600 निरक्षरों ने परीक्षा दी थी। जिसमें करीब 80 प्रतिशत 60 साल से ऊपर की उम्र के बुजुर्ग थे। इसके बाद 30 मार्च 2025 को फिर से परीक्षा हुई तो इसमें 6500 ने परीक्षा दी, जिसमें करीब 5 हजार परीक्षार्थी 60 साल की उम्र के ऊपर के थे।
नवभारत साक्षरता कार्यक्रम उल्लास का उद्देश्य है कि 15 साल से ऊपर के सभी व्यक्ति चाहे वह 100 साल का हो, उसे साक्षर बनाया जाए। इसके साथ ही गांव-गांव में जाकर निरक्षरों की पहचान शिक्षक करते हैं और उन्हें पाठ्य सामग्री उपलब्ध कराते हैं।
ऑनलाइन उपलब्ध पूरा कोर्स
इस साल जिले में 28 सितंबर को 7 हजार निरक्षर परीक्षा देंगे। इनकी उम्र 60 साल से 80 साल के बीच है। इन निरक्षरों को स्कूल में पढ़ाई करने वाले बच्चे आनलाइन कोर्स के माध्यम से पढ़ाई कराते हैं। इन बच्चों को इस योजना के तहत वालंटियर्स बनाया गया है। इसके साथ ही जिन बच्चों के घरों में निरक्षर हैं, उनके नाती-पोते घरों में ही पढ़ाते हैं।
साक्षरता सप्ताह में चल रही विभिन्न गतिविधियां
नवभारत उल्लास कार्यक्रम के तहत इस समय स्कूलों में विभिन्न प्रतियोगिताएं भी करवाई जा रही हैं। वहीं शिक्षक प्रत्येक गांव व शहर के गली-मोहल्लों में जाकर उल्लास एप पर निरक्षरों का आनलाइन पंजीकरण भी कर रहे हैं। ऐसे में इन बुजुर्गों को भी अब पढ़े-लिखे होने पर खुद को गर्व महसूस हो रहा है।
नव भारत साक्षरता कार्यक्रम उल्लास का लक्ष्य 15 वर्ष से ऊपर के प्रत्येक व्यक्ति को साक्षर बनाना है। हमारा पूरा प्रयास है कि बुजुर्ग पूरी तरह से साक्षर बने। बुजुर्गों ने साक्षरता की परीक्षा देकर पढ़ाई-लिखाई करना सीख लिया है। अब 28 सितंबर को फिर से परीक्षा होगी। इसके लिए तैयारी पूरी कर ली गई है।
- संजय कांबोज, नोडल अधिकारी, नवभारत साक्षरता कार्यक्रम उल्लास, यमुनानगर।
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