मिल गया यमुना में बाढ़ का समाधान, हथनीकुंड बैराज के ऊपर बनेगा बांध
रेल एवं जल शक्ति राज्य मंत्री वी. सोमन्ना ने कहा कि यमुना नदी में बाढ़ की समस्या का स्थायी समाधान हथनीकुंड बैराज के अपस्ट्रीम पर बांध बनाने से होगा। इस बांध से 250 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा भूजल स्तर में सुधार होगा और सालभर पानी की उपलब्धता बनी रहेगी। हिमाचल प्रदेश सरकार से बातचीत करके इस अटकी हुई प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा।

पोपीन पंवार, यमुनानगर। यमुना नदी से बाढ़ की तबाही को स्थायी समाधान तभी मिलेगा जब हथनीकुंड बैराज के अपस्ट्रीम पर प्रस्तावित बांध का निर्माण होगा। यह बात केंद्र सरकार के रेल एवं जल शक्ति राज्य मंत्री वी. सोमन्ना के समक्ष बैठक में सामने आई। सिंचाई विभाग के एसई आरएस मित्तल ने बताया कि डैम बनने से न केवल बाढ़ पर काबू पाया जा सकेगा, बल्कि 250 मेगावाट बिजली का उत्पादन, भूजल स्तर में सुधार और सालभर पानी की उपलब्धता सुनिश्चित होगी।
मंत्री सोमन्ना ने कहा कि यह परियोजना केंद्रीय जल बोर्ड के दायरे में आती है। हिमाचल प्रदेश सरकार से बातचीत कर अटकी प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा। उन्होंने भरोसा दिलाया कि डैम की प्रक्रिया शुरू करें, मैं किसी तरह की दिक्कत नहीं आने दूंगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भी बात करेंगे। सरकार के पास बजट की कमी नहीं है। मजबूत तटबंध बनाने के भी निर्देश दिए। बता दें कि देशभर में विभिन्न नदियों पर 46 बांध हैं। आदिबद्री धार्मिक स्थल में भी 110 एकड़ में बांध बनने की परियोजना पर काम चल रहा है।
पहले भी उठी थी मांग
हथनीकुंड बैराज के अपस्ट्रीम पर वाटर स्टोरेज डैम बनाने की योजना वर्ष 2018-19 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने हेलीकाप्टर से दौरे के बाद बनाई थी। लगभग सात किमी ऊपर यह परियोजना प्रस्तावित हुई, लेकिन हिमाचल प्रदेश की असहमति के कारण ठंडे बस्ते में चली गई। यमुना सेवा समिति के प्रधान किरण पाल राणा ने कहा कि डैम बनने से हरियाणा, हिमाचल और दिल्ली सहित तीन राज्यों को राहत मिलेगी। समिति लंबे समय से इस पर जोर देती रही है और आने वाली पीढ़ियों के लिए लाभकारी होगी।
किसानों की फसल सहित जमीन यमुना में नहीं समाएंगी। 5200 एकड़ भूमि पर डैम, 13 गांव होंगे प्रभावित प्रस्तावित डैम के लिए लगभग 5200 एकड़ भूमि चिह्नित की गई है। इसमें से आधी सरकारी जंगल भूमि और आधी किसानों की है। इस परियोजना से 13 गांव प्रभावित होंगे, जिनमें चार हरियाणा और नौ हिमाचल प्रदेश के हैं। अधिकतर भूमि हिमाचल प्रदेश में आती है। हर साल बर्बाद होता है लाखों क्यूसेक पानी, बाद में तरसती है यमुना हथनीकुंड बैराज पर मानसून सीजन को छोड़कर बाकी समय पानी की भारी किल्लत रहती है।
इस बार मानसून में सवा तीन लाख क्यूसेक पानी का बहाव दर्ज हुआ। हथनीकुंड बैराज के 18 गेट 105 घंटे तक खुले रहने से यमुनानगर से सोनीपत तक साढ़े तीन हजार एकड़ भूमि नदी में समा गई। जबकि गर्मी और सर्दी के मौसम में जलस्तर मात्र 1200 से 1300 क्यूसेक तक गिर जाता है। नदी में केवल 355 क्यूसेक पानी जलीय जीव-जंतुओं के लिए छोड़ा जाता है, जो कुछ दूरी तक ही पहुंच पाता है। भूजल स्तर सुधरेगा, बिजली उत्पादन बढ़ेगा डैम बनने से गिरते भूजल स्तर में सुधार आएगा।
साथ ही ताजेवाला, भूड़कलां और बेगमपुर की हाईडल पावर यूनिटों को निरंतर पानी मिल सकेगा। इन इकाइयों को बिजली उत्पादन के लिए 5400 क्यूसेक पानी की जरूरत होती है, लेकिन कमी के कारण बार-बार उत्पादन प्रभावित होता है। हरियाणा व उत्तर प्रदेश की सप्लाई बाधित नहीं होगी वर्तमान में यमुना नदी के बाद पानी दिल्ली को प्राथमिकता के साथ दिया जाता है। इसके बाद हरियाणा और उत्तर प्रदेश के हिस्से का बंटता है। गर्मी और सर्दी में इन दोनों राज्यों की सप्लाई अक्सर बाधित हो जाती है।
प्रस्तावित डैम से यह समस्या भी दूर हो जाएगी और पूरे साल नियमित आपूर्ति बनी रहेगी। बैराज पर एक लाख क्यूसेक से अधिक पानी होने पर दोनों नहरों की सप्लाई रोक दी जाती है। डैम बनने से यह दिक्कत भी दूर हो जाएगी।
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