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रेणू बाला ने साढौरा सीट पर रचा इतिहास, 42 साल में पहली बार मिली महिला विधायक

साढौरा विधानसभा सीट पर जीत दर्ज कर कांग्रेस प्रत्याशी रेणू बाला ने इतिहास रच दिया है। 42 साल पहले अस्तित्व में आई साढौरा सीट को पहली बार महिला विधायक मिली है। यह उनकी अप्रत्याशित जीत है क्योंकि कहा जा रहा था कि जिला की चारों विधानसभा सीटों में से यदि भाजपा जीतेगी तो वह साढौरा से।

By JagranEdited By: Published: Fri, 25 Oct 2019 08:30 AM (IST)Updated: Fri, 25 Oct 2019 08:30 AM (IST)
रेणू बाला ने साढौरा सीट पर रचा इतिहास, 42 साल में पहली बार मिली महिला विधायक
रेणू बाला ने साढौरा सीट पर रचा इतिहास, 42 साल में पहली बार मिली महिला विधायक

राजेश कुमार, यमुनानगर

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साढौरा विधानसभा सीट पर जीत दर्ज कर कांग्रेस प्रत्याशी रेणू बाला ने इतिहास रच दिया है। 42 साल पहले अस्तित्व में आई साढौरा सीट को पहली बार महिला विधायक मिली है। यह उनकी अप्रत्याशित जीत है, क्योंकि कहा जा रहा था कि जिला की चारों विधानसभा सीटों में से यदि भाजपा जीतेगी तो वह साढौरा से। किसी ने सोचा भी नहीं था कि रेणू बाला बलवंत सिंह को इस तरह से शिकस्त देकर सभी को चौंका देगी। 17020 वोटों से बलवंत सिंह को हराने के बाद रेणू बाला ने हाथ जोड़ कर लोगों का धन्यवाद किया।

छह माह पहले की थी कांग्रेस ज्वाइन

रेणू बाला ने वर्ष 2016 में वार्ड 8 से जिला परिषद का चुनाव जीता था। भाजपा ने उन्हें जिला परिषद की चेयरपर्सन बनाया था। रेणू बाला साढौरा विधानसभा से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही थी, लेकिन भाजपा ने उन्हें टिकट देने से मना कर दिया था। इससे खफा होकर वे कुमारी सैलजा के नेतृत्व में 20 अप्रैल, 2019 को लेदी रोड खानपुरा के शगुन पैलेस में आयोजित कार्यक्रम में सात पार्षदों के साथ कांग्रेस का हाथ थाम लिया था। कम समय में ही उन्होंने कुमारी सैलजा के खास लोगों में अपनी जगह बनाई। यही वजह है कि कुमारी सैलजा पूर्व विधायक राजपाल भूखड़ी का टिकट काट कर रेणू बाला को मैदान में उतार दिया।

टिकट वितरण पर अपने हो गए थे खिलाफ

साढौरा से रेणू बाला को टिकट दिए जाने के बाद अन्य कांग्रेस नेता उनके खिलाफ हो गए थे। जिप सदस्य एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता राजेश कटारिया ने उनकी खिलाफत की और आजाद प्रत्याशी के तौर पर अपना नामांकन कर दिया। हालांकि उन्होंने अपना नामांकन वापस ले लिया और बलवंत सिंह में आस्था दिखाते हुए भाजपा में शामिल हो गए। इसके अलावा टिकट के पक्के दावेदार बृजपाल छप्पर और उनकी पत्नी पिकी छप्पर माने जा रहे थे। टिकट नहीं मिलने पर भी दोनों ने कांग्रेस को ही अपनी पार्टी बताया।

1982 में आजाद चुनाव लड़ा था बाली देवी

साढौरा विधानसभा सीट से आज तक कोई महिला विधायक नहीं बनी थी, क्योंकि किसी पार्टी ने महिलाओं को अपना प्रत्याशी बनाना मुनासिब नहीं समझा। 1982 में पहली बार बाली देवी ने आजाद चुनाव लड़ा था। उन्हें केवल 207 वोट मिले थे। 1997 में आजाद प्रत्याशी प्रकाश कौर ने आठवें नंबर पर रहते हुए 681 वोट और अंग्रेजो देवी ने 227 वोट हासिल किए थे। 2014 में इनेलो ने पिकी छप्पर को अपना प्रत्याशी बनाया था। पिकी छप्पर ने 49626 वोट लिए थे। तब उनके सामने विधायक बलवंत सिंह थे।


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