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    अधिकारियों की आंखों के सामने रेलवे लाइन किनारे बन गई झोपड़ियां

    By JagranEdited By:
    Updated: Fri, 11 Sep 2020 05:16 AM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे लाइनों के साथ बनी अवैध कालोनी और झुग्गी- झोपड़िया बन गई। ...और पढ़ें

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    अधिकारियों की आंखों के सामने रेलवे लाइन किनारे बन गई झोपड़ियां

    जागरण संवाददाता, यमुनानगर :

    सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे लाइनों के साथ बनी अवैध कालोनी और झुग्गी- झोपड़ियों को तीन माह में हटाने के आदेश दिए हैं। दिल्ली की तरह जिला में भी रेलवे लाइन के किनारे सैकड़ों लोग झुग्गियां बनाकर रह रहे हैं। ऐसे में रेलवे इन्हें भी रेलवे लाइन के किनारे से हटाने की कार्रवाई शुरू कर सकता है। ये भी बड़ा सवाल है कि रेलवे अधिकारियों के होते हुए लाइन के साथ इतनी संख्या में झोपड़ियां कैसे बस गई। अधिकारियों ने कभी इन्हें यहां से हटाने की जहमत नहीं उठाई। यदि पहले कार्रवाई करते तो यह दिक्कत न होती। ये अधिकारी हैं जिम्मेदार :

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    रेलवे लाइन के पास अवैध कब्जे व झुग्गी झोपड़ियों के लिए जिम्मेदार चार विभाग हैं। अधिकतर झोपड़ी सिचाई विभाग की जमीन पर है। नगर निगम के अधिकारियों ने भी इनको नहीं रोका। इसी तरह रेलवे अधिकारी लाइन के बराबर में हो रहे निर्माण को निहारते रहे। इन पर कार्रवाई नहीं की। यहां पर रहने वालों की वोट भी बन गई है। अब वह खुद को यहां का स्थाई निवासी कहने लगे हैं। वोट बनाने वालों ने भी पड़ताल की जहमत नहीं उठाई। लाइन के दोनों तरफ बना रखी झुग्गियां

    कैनाल रेस्ट हाउस से जो रास्ता रेलवे फाटक पर जाता है वहां रेलवे लाइन के दोनों तरफ दूसरे राज्यों से आने वाले लोगों ने अस्थायी झोपड़ियां बना रखी हैं। रेलवे लाइन के दूसरी तरफ करीब 70 लोग व इस तरफ 100 से ज्यादा लोग रहते हैं। जहां ये झोपड़ियां हैं वहां पर रेलवे फाटक है। क्या फाटक पर ड्यूटी देने वाले किसी भी कर्मचारी व ने इन झोपड़ियों के यहां बनने की सूचना अधिकारियों को नहीं दी। जबकि रेलवे विभाग के अधिकारी भी समय-समय पर रेलवे लाइनों का मुआयना करते रहते हैं। कई बार डीआरएम भी यहां आ चुके हैं। फिर भी इन्हें अनदेखा करते रहे। यहां पर रहने वाले पन्ना का कहना है कि यहां पर करीब 15 साल से परिवार के साथ रहते हैं। शैंटी ने बताया कि जब एक साल का था तब परिवार यहां पर आ गया था। अब उसकी उम्र 17 साल है। परिवार गुब्बारे बेचने का काम करता है। इसी तरह से दराजपुर में भी लाइन के निकट काफी झोपड़ियां हैं। पुल से निकलते हैं यहां पर रहने वाले

    65 मीटर लंबे यमुना नहर के पुल के दोनों तरफ झोपड़ियां हैं। यहां पर रहने वालों का पुल से आना-जाना होता है। क्योंकि सड़क से आने पर इनको एक किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ता है। कई दफा हादसे भी हो चुके हैं। उसके बाद भी कोई सुधार नहीं है। रेलवे विभाग ने भी पुल से न गुजरने का बोर्ड लगाकर इतिश्री की हुई है। लाइन से सटाकर बना रखा क्वार्टर

    रेलवे लाइन के एक तरफ दो मंजिला क्वार्टर भी बना है। जिन्हें इनके मालिक ने किराये पर दे रखा है। यहां रहने वाले लोगों ने बताया कि जिस व्यक्ति ने ये क्वार्टर बनाए हैं वो पुलिस में नौकरी करता है। इसके पास में काफी झोपडि़यां हैं।