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    सारी दुनिया का बोझ उठाने वाले कुलियों पर छाया रोजी-रोटी का संकट, आखिर ऐसा क्यों? जानें वजह

    यमुनानगर में रेलवे स्टेशन पर सामान उठाने वाले कुलियों की स्थिति चिंताजनक है। आधुनिकरण के चलते काम में भारी कमी आई है जिससे उनकी आय घटकर 100-200 रुपये प्रतिदिन रह गई है। परिवार का पालन-पोषण मुश्किल हो गया है और कई कुली काम छोड़ने की सोच रहे हैं। उनमें से कई अब गैंगमैन की नौकरी चाहते हैं ताकि जीवन यापन कर सकें।

    By temp1 temp1 Edited By: Rajiv Mishra Updated: Sat, 19 Apr 2025 03:29 PM (IST)
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    यमुनानगर रेलवे स्टेशन पर यात्रियों के इंतजार में बैठे कुली नरेश व अनिल। (फोटो- जागरण)

    दीपक प्रजापति, यमुनानगर। लाल शर्ट, बाजू पर बंधा पीतल का बिल्ला और ट्रेन के आते ही सिर पर सामान रखकर प्लेटफार्म पर दौड़ लगाने वाले कुली अब परेशान हैं। कभी रेलवे स्टेशनों की शान माने जाने वाला कुली समुदाय की आर्थिक स्थिति अब गड़बड़ा रही है।

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    रेलवे स्टेशन पर उनको काम मिलना काफी कम हो गया है। 500-700 रुपये प्रतिदिन कमाने वाले कुली वर्तमान में बमुश्किल 100-200 रुपये ही कमा पाते हैं। काम की कमी के कारण कुली काम छोड़ने तक की सोचने लगे हैं।

    कुलियों की हालत चिंताजनक

    सिरों का बोझ उठाने वाले कुली अपने परिवार का बोझ उठाने में असमर्थ हो रहे हैं। यमुनानगर रेलवे स्टेशन के 19 कुलियों की स्थिति आज की तारीख में चिंताजनक है। इनका रोजगार आधुनिकीकरण ने छीन लिया है। चक्के लगे ट्राली बैग यात्री खुद ही खींचकर प्लेटफार्म तक पहुंच जाते हैं। फलस्वरूप कोई कुलियों को नहीं पूछता। एक दशक पहले इस स्टेशन में 60 कुली थे।

    परिवार चलाना हो गया मुश्किल

    मुस्तफाबाद निवासी नरेश ने बताया कि अब इस काम में जान नहीं है। मुश्किल से 200 से 250 रुपये कमा पाते हैं, जिससे परिवार चलाना मुश्किल हो गया है। रेलवे द्वारा हम लोगों का समान उठाने का रेट भी तय है, जिसमें 40 केजी समान तक 25 रुपया ही ले सकते हैं।

    जबकि दिन भर मे मुश्किल से कुछ सवारी ही हम लोगों से समान उठवाते हैं। नरेश बताते हैं कि अधिकांश ट्रेनें प्लेटफार्म 1 पर ही रुकती हैं। प्लेटफार्म पर ट्रेन से उतरने के बाद यात्री कुछ ही दूरी तय कर स्टेशन से बाहर निकल जाते हैं।

    रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म 1 से बाहर जाने के लिए दो रास्ते हैं इस कारण यात्रियों को सामान लेकर अधिक दूरी तक चलना भी नहीं पड़ता। वहीं बच्चे तो इस काम को बिल्कुल मना करने लगे हैं।

    अब कुलियों की मदद नहीं लेते यात्री

    दुर्गा गार्डन निवासी अनिल का कहना है कि रेलवे स्टेशन पर प्रतिदिन हजारों यात्रियों का आवागमन होता है लेकिन सूटकेस, बैग या अन्य सामान उठाने के लिये यात्री कुलियों की मदद नहीं लेते। रेलवे पार्सल का सामान ट्रेन में चढ़ाने उतारने का काम ही मिल रहा है।

    ऐसी स्थिति में घर चलाना, बच्चों की पढ़ाई आदि काम प्रभावित हो रहे हैं। अधिकांश कुली चाहते हैं कि रेलवे उन्हें गैंगमेन की नौकरी पर रख ले ताकि जीवन यापन हो सके। यमुनानगर रेलवे स्टेशन पर अब 18 कुली हैं। जिसमें से 9 रात के समय तो 9 दिन के समय यहां पर तैनात रहते हैं।