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    Haryana News: गन्ने की फसल के लिए मुसीबत बन रहा ये वायरस, 85 हजार एकड़ पर खतरा बरकरार; जानिए कैसे करें बचाव?

    Updated: Thu, 18 Jul 2024 03:32 PM (IST)

    हरियाणा के यमुनानगर में सूखे की मार के बाद गन्ने की फसल में अब पोक्का बोईंग वायरस हमला बोलने की तैयारी में है। दरअसल इस वायरस ने शुरूआती तौर पर चार हजार एकड़ की फसल को अपनी चपेट में ले लिया। हालांकि किसान दवाइयों का छिड़काव कर रहे हैं लेकिन वायरस के प्रभाव से उन्हें राहत मिलती नहीं दिख रही है।

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    गन्ने की फसल के लिए मुसीबत बन रहा पोक्का बोईंग वायरस (फाइल फोटो)।

    जागरण संवाददाता, यमुनानगर। सूखे की मार झेल रही गन्ने की फसल अब पोक्का बोईंग वायरस की चपेट में आ गई है। फसल की बढ़वार रुक गई है और किसान बचाव के लिए दवाईयों का छिड़काव करने में जुटे हैं। करीब चार हजार एकड़ में वायरस का अटैक है।

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    चिंताजनक बात यह है कि यह वायरस तेजी से सक्रिय हुआ है और इसका असर बढ़ता जा रहा है। दवाइयों के छिड़काव के बावजूद स्थिति नियंत्रण में नहीं है। जिले में करीब 85 हजार एकड़ में गन्ने की फसल खड़ी है। इसके अलावा मिली बग नामक कीट का प्रकोप भी दिनों दिन बढ़ रहा है। बता दें कि इस बार जिले में पहले ही गन्ने का रकबा बीते वर्ष से कम है। रही कसर अब कीट-बीमारियों के प्रकोप ने पूरी कर दी है।

    क्या है पोक्का बोईंग?

    पोक्का बोईंग गन्ने की बीमारी है जो विशेष प्रकार के वायरस से फैलती है। यह रोग गन्ने की फसल में जुलाई, अगस्त व सितंबर माह में देखने को मिलता है। बारिश आने के साथ तथा तापमान में कमी और वातावरण में नमी बढ़ना इस रोग के फैलने की सबसे अनुकूल स्थिति मानी जाती है। यदि इस रोग का उपचार समय रहते नहीं किया गया तो प्रभावित फसल की उत्पादकता पर बेहद विपरीत प्रभाव देखने को मिल सकता है।

    तीन चरणों में फैलती है बीमारी

    रोग की पहचान इस रोग से ग्रसित फसल में तीन तरह के लक्षण दिखाई देते हैं। रोग के पहले चरण में पत्तियों के निचले हिस्से में पीलापन दिखाई देता है। प्रभावित पत्तियां सामान्य पत्तियों की तुलना में छोटी, मुड़ी हुई, एक दूसरे में फंसी हुई और विकृत दिखाई देती हैं। रोग के दूसरे चरण में यह रोग की सबसे गंभीर अवस्था होती है।

    संक्रमित पौधों का शीर्ष सड़कर भूरे या काले रंग का हो जाता है। पत्तियों से संक्रमण नीचे की ओर बढ़कर गन्ने की पोरियों को भी प्रभावित कर देता है। रोग के तीसरे व अंतिम चरण में इस दौरान गन्ने की पोरियों पर अन्दर और बाहर कटे हुए धारियों के निशान नजर आते हैं। इसके अलावा गन्ने की बढ़वार भी रुक जाती है।

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    रोकथाम के लिए क्या करें

    विशेषज्ञों के मुताबिक पोक्का बोईंग रोग की रोकथाम के लिए खेत को खरपतवार से मुक्त रखें। गन्ने की बुआई सदैव फफूंदनाशक से उपचारित करके ही करें। उचित मात्रा में रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करें। रोग से प्रभावित गन्ने को खेत से बाहर निकालकर नष्ट कर दें। इसकी रोकथाम के लिए टेबुकोनाजोल 400 मिली लीटर प्रति एकड़ 300 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

    गन्ने की फसल में इन दिनों पोक्का बोईंग व मिली बग का प्रकोप देखा जा रहा है। रोकथाम के लिए सरस्वती शुगर मिल की ओर से अनुदान पर किसानों को दवाइयां भी उपलब्ध करवाई जा रही हैं। विशेषज्ञों की टीम लगातार फील्ड में नजर रखे हुए है।

    फसलों की देखरेख करते रहें किसान

    एसएसएम के सीनियर वाइस प्रेसीडेंट डीपी सिंह ने बताया कि किसान फसल की नियमित रूप से देखरेख करते रहें। गन्ने की फसल को स्वस्थ रखने के लिए केवल नमी बनाए रखें। खेत को पानी से भरने की जरूरत नहीं है। यदि खेत में पानी भरा होगा तो फसल में रोग व कीटों का प्रकोप अधिक होगा।

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