हरियाणा में यमुना का रौद्र रूप: दो साल पहले हुई तबाही की आहट से हर कोई घबराया, 10 एकड़ फसल बर्बाद
यमुनानगर के टापू कमालपुर में यमुना नदी ने फिर तबाही मचाई है जिससे किसानों की दस एकड़ जमीन फसल समेत बह गई। कटाव रोकने के लिए प्रशासन मिट्टी के कट्टे लगवा रहा है। डीसी और एसपी ने स्थिति का जायजा लिया है। ग्रामीणों के अनुसार तटबंधों के निर्माण में अनियमितता के कारण यह समस्या उत्पन्न हुई है। फिलहाल किसान अपनी बची हुई फसलों को बचाने में लगे हुए हैं।

अवनीश कुमार, यमुनानगर। दो वर्ष पहले बर्बादी के मुहाने पर आए गांव टापू कमालपुर में इस बार भी यमुना नदी तबाही मचा रही है। किसानों की लगभग दस एकड़ जमीन फसल सहित यमुना में समा चुकी है। अब भी कटाव जारी है।
ऐसे में बची हुई फसल पापलर व गन्ने को किसान कटवाने में लगे हुए हैं, ताकि कटाव में समाने से पहले जमीन से कुछ फसल को बचाया जा सके। प्रशासन की ओर से कटाव रोकने के लिए मिट्टी से भरे कट्टे रखवाए जा रहे हैं। मंगलवार को डीसी पार्थ गुप्ता व एसपी कमलदीप गोयल भी यहां पर निरीक्षण करने पहुंचे।
यमुना नदी में पानी बढ़ते ही गांव टापू कमालपुर के लोगों की चिंता भी बढ़ जाती है, क्योंकि दो वर्ष पहले भी यह गांव बर्बादी झेल चुका है। हालात ऐसे बने थे कि गांव से लोगों को पलायन करना पड़ा था। इस बार में ऐसे ही हालात न बन जाए, क्योंकि गांव की ओर यमुना बढ़ रही है।
सोमवार को जैसे ही यमुना नदी में जलबहाव बढ़ा तो यहां पर भी कटाव शुरू हो गया जो मंगलवार तक जारी है। यमुना नदी के किनारे वाली जमीन पर एक ओर कटाव हो रहा है तो दूसरी ओर पोपलर की कटाई जोरों पर चल रही है। मजदूर लगे हुए हैं। वह पेड़ाें को काटकर ट्राली में लाद रहे हैं।
औने पौने दामों पर पापलर की फसल को बेचने की मजबूरी हैं, क्योंकि कटाव में जमीन पेड़ सहित समा रही है। ऐसे में यमुना में समाती जमीन पर खड़ी फसल को बचाने की जिद्दोजहद चल रही है।
12 करोड़ से हुए थे तटबंध के कार्य
टापू कमालपुर में दो वर्ष पहले भी कटाव हुआ था। उस समय लगभग दो किमी के एरिया में 13 तटबंध लगाए गए थे। लगभग 12 करोड़ रुपये की लागत से यह तटबंध बनाए गए। ग्रामीणों की मानें तो तटबंध के कार्यों में अनियमितता बरती गई। इस बार जहां पर कटाव हुआ है।
वहां पर तीन पुराने तटबंध थे। उनकी रिपेयर नहीं हुई। जिसकी वजह से तटबंध यमुना नदी के साथ बह गए। उनके बहते ही कटाव भी शुरू हो गया। जबकि नए तटबंध ठीक हैं। वहां पर कटाव नहीं हुआ। कटाव से पंकज राणा की पांच एकड़ , सोम सिंह की एक एकड़ , धर्मेंद्र की चार एकड़ जमीन यमुना में समाई है। इस जमीन पर पापलर व गन्ने की फसल लगी है। गन्ने का फिलहाल कुछ नहीं जा सकता। ऐसे में किसानों ने पापलर की कटाई लगाई हुई है।
तटबंध के बीच में छोड़ी जगह
ग्रामीण अंकित राणा का कहना है कि जहां पर कटाव हो रहा है। वहां दो तटबंध थे। उन तटबंध के बीच में जगह छोड़ी गई। जिसकी वजह से पानी का अधिक दबाव पड़ा और यह तटबंध बह गए। पत्थरों की मोटाई भी काफी कम थी।
कम चौड़ाई रखी तटबंध की
ग्रामीण संजय राणा का कहना है कि तटबंधों की चौड़ाई कम रखी गई। जिसकी वजह से पानी बढ़ते ही तटबंध भी बिखरने लगा। उस समय भी ग्रामीणों ने इस बारे में कहा था लेकिन अधिकारियों ने बात नहीं सुनी।
ठेकेदार ने चालू काम किया
पूर्व सरपंच प्रदीप राणा का कहना है कि जब तटबंध बनाए जा रहे थे तो उस समय कुछ किसानों ने यह कहकर विरोध कर दिया था कि तटबंध में उनकी जमीन चली जाएगी। जिस वजह से कार्य में गुणवत्ता नहीं रही। ठेकेदार ने चालू काम कर दिया।
आबादी में नहीं घुसा पानी: डीसी
टापू कमालपुर में डीसी व एसपी ने जायजा लिया। डीसी ने कहा कि पहाड़ी क्षेत्रों में वर्षा से जलबहाव बढ़ा है। जहां पर कटाव की स्थिति है। वहां पर कट्टे रखवाए जा रहे हैं, क्योंकि इस समय में रिपेयर संभव नहीं है। 20 हजार कट्टे मिट्टी के रखवाए गए हैं ताकि कटाव को रोका जा सके। इसके साथ ही यमुना नदी किनारे 150 गांवों में अलर्ट जारी कराया जा रहा है। जिले में कही भी आबादी में पानी नहीं घुसा है।
एसडीआरएफ को किया गया तैनात: एसपी
एसपी कमलदीप गोयल ने कहा कि बाढ़ संभावित क्षेत्रों में एसडीआरएफ के 15-15 कर्मी तैनात किए गए हैं। सभी थाना प्रभारियों को हिदायत दी गई है कि वह सरपंचों के संपर्क में रहे। नदी के किनारे जाने से लोगों को रोकें। थाना प्रभारियों को भी इस बारे में निर्देश दिए गए हैं।
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