कट आउट समाचार : देश के लिए पहले शहीद होने वाले थे बाबू गेनू : डॉ. पंजेटा
खरकाली के अष्टविनायक पब्लिक स्कूल में बृहस्पतिवार को शहीद बाबू गेनू का शहीदी दिवस मनाया गया। चेयरमैन डॉ. अमन पंजेटा ने कहा कि स्वदेश के लिए शहीद होने वाला बाबू गेनू पहला व्यक्ति माना जाता है।
संवाद सहयोगी, रादौर : खरकाली के अष्टविनायक पब्लिक स्कूल में बृहस्पतिवार को शहीद बाबू गेनू का शहीदी दिवस मनाया गया। चेयरमैन डॉ. अमन पंजेटा ने कहा कि स्वदेश के लिए शहीद होने वाला बाबू गेनू पहला व्यक्ति माना जाता है। बाबू गेनू का जन्म पूना जिले के गांव महालुंगे पडवल में हुआ था। इनके पिता का नाम ज्ञानबा और माता का नाम कोंडाबाई था। बचपन में ही गेनू पिता की स्नेहछाया से वंचित होकर अपने भाई भीम के साथ रहने लगा। एक दिन किसी बात पर उन्हें भाई ने काफी खरी-खोटी सुनाई। नाराज होकर वह अपनी मां के पास मुबई चले गए। जल्दी ही उन्हें उसी कपड़ा मिल में काम मिल गया, जहां उनकी मां कोंडाबाई मजदूरी करती थीं। अब गेनू 22 वर्ष के हो चुके थे। उस समय देश में स्वाधीनता का संघर्ष छिड़ा हुआ था। गांधी आम जनता से अंग्रेजों के साथ असहयोग करने और विदेशी वस्त्रों के बहिष्कार की अपील कर रहे थे। स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने की मानो लहर सी चल रही थी। उन्होने बताया कि 26 जनवरी 1930 को पूरे देश ने संपूर्ण स्वराज्य मांग दिवस मनाया। इस आंदोलन में बाबू गेनू ने भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। तीन माह के लिए उन्हें जेल भी हुई। अपने कई साथियों को एकत्र कर विदेशी माल ला रहे ट्रकों को रोकने का निश्चय कर लिया। उनके साथी ठीक 11 बजे सड़क के पास जा पहुंचे। कुछ देर में विदेशी कपड़ों से भरा एक ट्रक सड़क पर नजर आया।उस ट्रक को पुलिस ने घेर रखा था। ट्रक देखते ही गेनू का साथी रेवणकर ट्रक के सामने लेट गया। तेजी से ब्रेक लगाए। लेटे हुए रेवणकर से कुछ दूर पहले ट्रक रुक गया।यह देखकर अंग्रेज पुलिस सार्जेंट तमतमा उठा। उसने ट्रक चालक को आदेश दिया। ट्रक चढ़ा दो इन पर चालक भारतीय था। उसने ऐसा नहीं किया। इसके बाद सार्जेंट स्वयं ट्रक चलाने लगा। बाबू गेनू ट्रक को रोकने के लिए उसके सामने जा लेटे। क्रूर सार्जेंट ने देखते ही देखते ट्रक से बाबू गेनू को रौंद डाला। यह देखकर लोगों के दिल दहल उठे। सड़क पर खून की नदी बह गई। सड़क पर पड़े गेनू के शरीर को देख कर लग रहा था मानो कोई लाल अपनी मां की छाती से चिपटा हो।