सत्य बोलना ही सबसे बड़ा तप : मृदुल शास्त्री
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : श्रीराधा मुकुट मंडल द्वारा पेपर मिल मैदान में आयोजित श्रीमद्भागवत ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन श्रद्धालुओं को श्रीमद्भागवत कथा का रसपान कराते हुए स्वामी मृदुल कृष्ण शास्त्री ने कहा की कलिकाल में सत्य बोलना ही सबसे बड़ा तप है। सत्य परेशान हो सकता है पर पराजित नहीं।
स्वामी जी ने कहा श्रीमद्भागवत कथा व्यक्ति को सत्य का अनुगामी बनाती है। मानव को सद्मार्गी बनाती है, क्योकि श्रीमद्भागवत का प्रारंभ श्री वेद व्यास जी ने किया है। श्रीमद्भागवत की विश्राम की बेला पर भी सत्य की ही वंदना की गई। उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत के मध्य में भी प्रभु श्री कृष्ण के प्राकट्य के समय देवताओं ने प्रभु श्रीकृष्ण की वंदना गर्भ स्तुति के रूप में की है। श्रीमद्भागवत जी स्वयं सत्य स्वरूप है। श्री भागवत जी को अपने जीवन में उतारने वाला व्यक्ति सद्मार्गी हो जाता है। स्वामी जी ने बताया की श्रीमद्भागवत के मुख्य तीन वक्ता और तीन श्रोता हैं। इनमें प्रथम -नारद -व्यास जो परोपकार प्रधान हैं, दूसरे सूत -शौनक यज्ञ प्रधान, तीसरे सुकदेव -परीक्षित कथा प्रधान हैं। कथा व्यास ने बताया कि कथा प्रधान श्रीमद भागवत को ही हम सब श्रवण कर रहे हैं। स्वामी जी ने कहा कि भगवान तो भक्तों अधीन हैं। वह कभी किसी का बुरा नहीं करते जो अपना हर कार्य प्रभु पर समर्पित हो करता है। प्रभु उसकी रक्षा स्वयं करते हैं।
कथा व्यास ने कहा कि जब महाभारत का युद्ध होने लगा तो एक चिड़िया ने प्रभु से प्रार्थना की और कहा कि हे प्रभु मेरे बच्चों की रक्षा करो। जब युद्ध खत्म हुआ तो प्रभु ने एक घटा उठाया जिसके नीचे से चिड़िया के बच्चे सुरक्षित निकल कर बाहर आ गए। अर्जुन ने प्रभु से प्रश्न किया कि प्रभु इनकी रक्षा किसने की? प्रभु ने कहा जिसने तुम्हारी। प्रभु तो इतने दयालु हैं कि वह भक्तों का भाव देखते हैं। इस अवसर पर पार्षद देवेंद्र सिंह सिंह, रामनिवास गर्ग, विजय गुप्ता, जय गोपाल गर्ग, गोविन्द गुलाटी, धर्म देव मित्तल, विमल कपूर, रमेश मेहता, संदीप जिंदल, अमरनाथ बंसल, देवकीनंदन, भारतभूषण बंसल, राजकुमार त्यागी, राज सलूजा व योगेश गर्ग ने श्रीमद्भागवत की आरती उतारी।
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