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    मा-बाप की सेवा ही है सबसे बड़ा धर्म

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    Updated: Wed, 05 Mar 2014 08:18 PM (IST)

    संवाद सूत्र, नरवाना : जैन स्थानक पतराम नगर में पहुंचे श्रीश्री पाल मुनि जी, श्री श्रेयास मुनि महाराज जी ने प्रवचन में कहा कि हमें माँ बाप की सेवा करनी चाहिए इससे जीवन सुखमय रहता है। जिंदगी में बहुत भूलें होती है कुछ ऐसी भूलें है जो जीवन को पतन की ओर ले जाती है। उसमें पहली भूल है मां बाप से खींचे-खींचे रहना। ये जिंदगी की सबसे बड़ी भूल है। माँ बाप तो देवता समान है। श्रेयास मुनि जी ने कहा कि जो माँ बाप बच्चों को बाहर पढ़ने के लिए भेजना चाहते है वे खुद अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहे है। बच्चों को 14-15 साल अपने पास रखकर संस्कार देने चाहिए जो सारी जिंदगी काम आते है। प्रवचन में जैन स्थानक के प्रधान सज्जान जैन, मंत्री विमल जैन, अचल मित्तल, प्रेम जैन, जैन नवयुवक मंडल सुरेश जैन, सोनू जैन, राजेश जैन आदि मौजूद थे।

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    साध्वी मंगला देवी ने सुनाई अमृत वाणी

    संसू, नरवाना : साध्वी मंगला देवी ने श्री गीता भवन मंदिर के 20वीं समारोह के दूसरे दिन प्रवचनों में कहा कि रामायण का गहन अध्ययन और उसे जीवन के दैनिक व्यवहार में उतारना ही संतों की संगत तथा भक्ति है। रामायण पढ़ने व सुनने का विषय नहीं है। जीवन में उसे जीने का विषय है। यह रामायण चलता-फिरता कल्प वृक्ष है। इसकी एक -एक चौपाई महामंत्र है जिसके सुनने से जन्म-जन्म की व्यथा कट जाती है। हमारी इच्छाएं हमें अंधा बना देती है। सूर्य संसार के अंधकार को दूर करता है और सत्संग मानव के अज्ञान रूपी अंधकार को समाप्त करता है। अहकारी रूपी को कथा का फल नही मिलता। उन्होंने शिव विवाह का वर्णन करते हुए कहा कि माता पार्वती ने अपनी तपस्या से भोले बाबा को प्राप्त किया। मनुष्य शुभ कर्माें से प्राप्त कर सकता है। हम परमात्मा को शुभ कर्माें से प्राप्त कर सकते है। दशरथ कोशल्या जैसे माता-पिता बनकर ही प्रभु श्रीराम जैसे पुत्र को पाया जा सकता है।

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