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    साधु-संत भी स्थायी मकान न होते हुए कानूनी कार्रवाई का सामना करते हैं, पढ़ें क्यों कहा हाईकोर्ट ने ऐसा

    Updated: Thu, 02 Oct 2025 04:25 PM (IST)

    पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने कहा कि महंगाई के कारण कई लोग मकान नहीं खरीद पाते। ऐसे में केवल स्थायी पते के अभाव में जमानत से इनकार करना न्याय के साथ अन्याय है। कोर्ट ने गुरुग्राम के एक धोखाधड़ी मामले में यह टिप्पणी की जिसमें आरोपी के पास स्थायी पता न होने के कारण जमानत का विरोध किया गया था। कोर्ट ने जमानत मंजूर कर ली है।

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    हाईकोर्ट ने कहा कि किसी आरोपित के पास स्थायी घर न होना जमानत से इन्कार करने का आधार नहीं।

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने जमानत कानून को लेकर एक अहम टिप्पणी की है कि किसी आरोपित के पास स्थायी घर न होना जमानत से इन्कार करने का आधार नहीं बन सकता।बेंच ने स्पष्ट किया कि देश में साधु-संत या आश्रमों में रहने वाले लोग भी स्थायी मकान न होते हुए कानूनी कार्रवाई का सामना करते रहे हैं। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने गुरुग्राम में दर्ज धोखाधड़ी और आपराधिक विश्वासघात के मामले में आरोपित की जमानत मंजूर कर ली।

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    शिकायतकर्ता ने आरोपित की जमानत का विरोध किया था और दलील दी थी कि उसके पास कोई स्थायी ठिकाना नहीं है, जिससे उसके फरार होने का जोखिम है। हाई कोर्ट ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि आज बड़ी आबादी मकान नहीं खरीद सकती और किराये पर रहना भी मुश्किल है। यह स्थिति आम है, न कि जमानत रोकने का कानूनी कारण।

    कोर्ट ने यह भी कहा कि स्थायी पता होने से भी गारंटी नहीं मिलती कि आरोपित फरार नहीं होगा, क्योंकि मकान छोड़ा भी जा सकता है या बेच भी दिया जा सकता है। जमानत मंजूर करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि जमानत का उद्देश्य केवल मुकदमे की सुनवाई में आरोपित की हाजिरी सुनिश्चित करना नहीं है, बल्कि एकतरफा और अभी अप्रमाणित आरोपों के आधार पर उसकी स्वतंत्रता छीनने से बचाना भी है।