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    ग्राउंड की डायमंड थी ज्योति, दूसरों के लिए प्रेरणस्त्रोत

    By JagranEdited By:
    Updated: Fri, 04 Aug 2017 03:01 AM (IST)

    जागरण संवाददाता, सोनीपत कक्षा तीसरी से हॉकी की स्टिक थामने वाली अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी ज् ...और पढ़ें

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    ग्राउंड की डायमंड थी ज्योति, दूसरों के लिए प्रेरणस्त्रोत

    जागरण संवाददाता, सोनीपत

    कक्षा तीसरी से हॉकी की स्टिक थामने वाली अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी ज्योति गुप्ता का अंत इतना दुखद होगा, यह किसे पता था। परिवार वालों के साथ-साथ सोनीपत खेल जगत से जुड़े लोग भी इससे मर्माहत हैं। हमेशा टीम भावना और साथियों में जोश-जुनून भरने वाली ज्योति इतनी निराश व हताश हो जाएगी कि खुद ही अपनी जीवन लीला समाप्त कर ले, यह उनके जानकारों को हजम नहीं हो रहा है। अगले माह उसे भोपाल में हॉकी खिलाड़ियों के कैंप में हिस्सा लेना था और इसके लिए वह काफी उत्साहित भी थी। भारतीय महिला हॉकी टीम की पूर्व कोच प्रीतम सिवाच कहती हैं, ज्योति ग्राउंड की डायमंड थी। वह दूसरे खिलाड़ियों के लिए प्रेरणास्त्रोत थी। हमेशा दूसरों को हिम्मत देने वाली खिलाड़ी ऐसा कदम कैसे उठा सकती है, यह समझ से परे है। ज्ञात हो कि हॉकी खिलाड़ी का शव बुधवार रात को रेवाड़ी जंक्शन के पास रेल की पटरियों पर मिला था। बृहस्पतिवार शाम शव सोनीपत लाया गया और अंतिम संस्कार किया गया।

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    परिजन परेशान, रोहतक के लिए निकली थी तो रेवाड़ी कैसे पहुंची

    ज्योति के भाई निकुंज ने बताया कि ज्योति की मार्कशीट के नाम में कुछ गलती थी। इसको ठीक करवाने के लिए वह बुधवार सुबह करीब 11 बजे घर से एमडीयू, रोहतक के लिए निकली थी। वह रेवाड़ी कैसे और क्यों पहुंच गई, यह सवाल सभी को परेशान कर रहा है। उसने बताया कि शाम साढे पांच बजे तक जब ज्योति घर नहीं पहुंची, तो उसको फोन किया। उसने बताया कि बस खराब हो गई है। वह करीब दो घंटे में सोनीपत पहुंच जाएगी। रात आठ बजे तक जब वह घर नहीं पहुंची तो उसे फिर फोन किया गया, लेकिन उसका फोन बंद आया। फोन बंद होने से सभी ¨चतित हो उठे और मम्मी-पापा बस स्टैंड चले गए। वहां पता चला कि रोहतक से आने वाली अंतिम बस साढ़े नौ बजे आएगी, लेकिन आखिरी बस में भी ज्योति नहीं आई। सभी लोग अपने स्तर पर उसकी तलाश ही कर रहे थे कि रात करीब 12 बजे जीआरपी, रेवाड़ी ने फोन कर इस हादसे की सूचना दी।

    परिवार में सबसे बड़ी थी ज्योति

    ज्योति मूलरूप से यूपी के बागपत जिला के गवाली खेड़ा की रहने वाली थी। कई वर्षों से उसका परिवार शहर के कालुपुर स्थित विजयनगर में रह रहा है। उसके पिता प्रमोद राशन डिपो चलाते हैं। ज्योति अपने भाई-बहनों में सबसे बड़ी थी। उसके बाद भाई और फिर दो बहनें हैं। ज्योति इंडस्ट्रियल एरिया स्थित हॉकी ग्राउंड पर प्रैक्टिस करती थी। उन्हें प्रशिक्षण देने वाले अंतरराष्ट्रीय हॉकी कुलदीप सिवाच व प्रीतम सिवाच ने बताया कि उसकी आर्थिक स्थिति ज्यादा मजबूत नहीं थी, लेकिन अपनी लगन, अभ्यास व प्रतिभा के दम पर राष्ट्रीय टीम में जगह बनाई थी। अपने साथ प्रैक्टिस करने वालों के लिए प्रेरणास्त्रोत थी।

    अगले माह लगनी थी रेलवे में नौकरी

    अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ज्योति गुप्ता के प्रदर्शन के बदौलत खेल कोटे से रेलवे में उसकी नौकरी तय हो गई थी। ज्वाइ¨नग लेटर का इंतजार था। संभवत: अगले महीने ही उसे नौकरी ज्वाइन करनी थी। इसी को देखते हुए वह अपने शैक्षणिक प्रमाण पत्र में नाम की गलती ठीक करवाने के लिए एमडीयू, रोहतक जाने के लिए घर से निकली थी। फिलहाल में वह एमडीयू से ही स्नातक की डिग्री ले रही थी।

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    परिजनों के मन में उठ रहे सवाल

    - रोहतक से रेवाड़ी कैसे पहुंची खिलाड़ी

    - यदि रेवाड़ी जाना था तो परिवार को क्यों नहीं कहा

    - परिवार वालों से झूठ क्यों बोला कि बस खराब हो गई है

    - शाम को अचानक फोन बंद क्यों हो गया

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    ज्योति की उपलब्धियां

    - इंटर यूनिवर्सिटी हॉकी चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल

    - सब जूनियर हॉकी चैंपियनशिप में गोल्ड

    - स्पेन में आयोजित हॉकी चैंपियनशिप में पदक विजेता

    - पूर्व सीएम ने एक समारोह में किया था दो लाख के चेक से सम्मानित