सोनीपत में प्रदूषण का कहर, GRAP-3 भी बेअसर; सिविल हॉस्पिटल की दीवार से शुगर मिल तक मटेरियल बिखरा
सोनीपत में GRAP-3 लागू होने के बावजूद निर्माण सामग्री खुले में पड़ी है, जिससे प्रदूषण बढ़ रहा है। अधिकारियों की लापरवाही से लोगों को परेशानी हो रही है। एयर क्वालिटी इंडेक्स में सुधार के बावजूद प्रदूषण का स्तर चिंताजनक है। सीमेंट एसोसिएशन ने निर्माण कार्यों पर लगी रोक हटाने की मांग की है, क्योंकि इससे बेरोजगारी बढ़ रही है।

अधिकारियों की लापरवाही से लोगों को परेशानी हो रही है। फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, सोनीपत। GRAP-3 लागू होने के बावजूद, शहर में कई जगहों पर कंस्ट्रक्शन का सामान खुले में पड़ा है। बिल्डिंग मटेरियल सप्लायर अपना स्टॉक सड़कों के किनारे डाल रहे हैं। दिन भर धूल उड़ती रहती है, और उन पर पानी भी नहीं छिड़का जा रहा है। जब गाड़ियां गुजरती हैं, तो धूल के बादल उठते हैं, जिससे लोगों को परेशानी होती है। घरों के बाहर खड़ी गाड़ियां भी धूल जमा कर रही हैं, जिससे आस-पास रहने वाले लोगों की सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है।
पल्यूशन से निपटने के लिए ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP-3) लागू है। इसके बावजूद, एयर पल्यूशन का लेवल कम है। लोग लापरवाह बने हुए हैं। शहर के कई इलाकों में खुले में पड़ा बिल्डिंग मटेरियल, सड़क किनारे उड़ती धूल और गाड़ियों के धुएं ने हालात और खराब कर दिए हैं।
बढ़ते पल्यूशन का सीधा असर लोगों की सेहत पर पड़ रहा है। एक महीने पहले मेयर राजीव जैन ने पल्यूशन से निपटने के लिए अधिकारियों के साथ मीटिंग की थी। उन्हें सड़क पल्यूशन बढ़ाने वाली किसी भी एक्टिविटी को रोकने के लिए एक्शन लेने के निर्देश दिए गए थे। सड़कों पर पड़े मिट्टी और रेत के ढेरों को ढक दिया जाना चाहिए। इसके बावजूद, नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है।
यहां पड़ा है कंस्ट्रक्शन का सामान
सेक्टर-14, सेक्टर-15, सेक्टर-12, सेक्टर-7, सेक्टर-8, मुरथल रोड, सिविल हॉस्पिटल की दीवार के पास और कामी रोड पर शुगर मिल के पास कई जगहों पर कंस्ट्रक्शन का सामान खुले में पड़ा है।
अगर कोई सड़क किनारे खुले में कंस्ट्रक्शन का सामान डालता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। जांच करके ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। लोगों से भी अपील है कि वे पॉल्यूशन कंट्रोल में बढ़-चढ़कर हिस्सा लें। ऐसी कोई भी एक्टिविटी न करें जिससे धूल और धुआं फैले। ऐसा करना NGT की गाइडलाइंस का उल्लंघन है और इसके लिए सज़ा हो सकती है।
- अजय निराला, एग्जीक्यूटिव इंजीनियर, नगर निगम
AQI 300 से नीचे, हालात वैसे ही
जिले में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 15 दिन बाद 300 से नीचे आ गया है, हालांकि हालात वैसे ही हैं। लोगों को अभी भी घरों से बाहर निकलने पर आंखों में जलन और सांस लेने में दिक्कत हो रही है। खुले में कंस्ट्रक्शन मटीरियल, सड़कों पर उड़ती धूल, पानी छिड़कने की सही सुविधा न होने और रोक के बावजूद चल रहे कंस्ट्रक्शन काम की वजह से पल्यूशन लेवल बढ़ गया है। मंगलवार को AQI 291 रिकॉर्ड किया गया।
लोगों का कहना है कि भले ही पल्यूशन लेवल 300 से नीचे आ गया है, लेकिन बाहर निकलने पर उन्हें अभी भी आंखों में जलन और सांस लेने में दिक्कत होती है। बेहतर पब्लिक हेल्थ के लिए पल्यूशन लेवल में अभी भी काफी सुधार की ज़रूरत है। स्टेट पल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के रीजनल ऑफिसर अजय मलिक का कहना है कि GRAP-3 स्टैंडर्ड का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है और यह जारी रहेगी।
दिल्ली-NCR में बढ़ते एयर पल्यूशन को देखते हुए ग्रेप-3 लागू है। GRAP-3 के तहत गैर-जरूरी कंस्ट्रक्शन एक्टिविटी जैसे मिट्टी खोदने का काम, पाइलिंग का काम और रेडी-मिक्स प्लांट के खुले में चलने पर रोक है, जबकि सरकारी और ज़रूरी सेवाओं से जुड़े कंस्ट्रक्शन जारी रहते हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर GRAP-4 लागू होता है, तो सरकारी और प्राइवेट ऑफिस में वर्क-फ्रॉम-होम की भी ज़रूरी पाबंदियां लग सकती हैं।
सोनीपत सीमेंट एसोसिएशन के पदाधिकारी संजय सिंगला ने सरकार से कंस्ट्रक्शन के कामों पर लगी रोक हटाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि कंस्ट्रक्शन बंद होने से मजदूर, मिस्त्री, ड्राइवर, ठेकेदार, सीमेंट, बजरी और स्टील के व्यापारी और घर के मालिक बेरोजगारी और पैसे के नुकसान का सामना कर रहे हैं।
प्राइवेट कंस्ट्रक्शन को पूरी तरह से रोककर सिर्फ सरकारी कंस्ट्रक्शन जारी रखने का फैसला दोहरा रवैया साबित हो रहा है। इस रोक की वजह से चल रहे प्रोजेक्ट्स में देरी हो रही है, जिससे ठेकेदारों पर पेनल्टी लग रही है। बहुत से लोग घर या प्रोजेक्ट बनाने के लिए लोन ले रहे हैं, और ब्याज का पैसे का बोझ बढ़ रहा है।
डेवलपमेंट का काम रोकना कोई हल नहीं है। कंस्ट्रक्शन सेक्टर देश की इकॉनमी की रीढ़ है; इसे बंद करना देश की तरक्की को रोकने जैसा है। उन्होंने सरकार से अपील की कि कंस्ट्रक्शन रोकने के बजाय, प्रदूषण कंट्रोल के लिए साइंटिफिक और दूसरे तरीके अपनाए जाएं, ताकि प्रदूषण रुके और लाखों लोगों की रोजी-रोटी पर असर न पड़े।

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