Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    देसी छोरे मीता बरोदा को लग गया 'म्हारे गाम का पानी'

    By JagranEdited By:
    Updated: Wed, 19 Jan 2022 08:20 PM (IST)

    वर्ष 2016 में आए हरियाणवी गीत म्हारे गाम का पानी ने गांव बरोदा के 10वीं पास शर्मीले से युवक मीता बरोदा को स्टार बना दिया। ...और पढ़ें

    Hero Image
    देसी छोरे मीता बरोदा को लग गया 'म्हारे गाम का पानी'

    नंदकिशोर भारद्वाज, सोनीपत

    वर्ष 2016 में आए हरियाणवी गीत म्हारे गाम का पानी ने गांव बरोदा के 10वीं पास शर्मीले से युवक मीता बरोदा को स्टार बना दिया। आज मीता दर्जनों हिट गीतों में अपने अभिनय, गीतकारी और निर्देशन का लोहा मनवा चुके हैं। मीता बरोदा के गीतों के सहारे हरियाणवी और ग्रामीण भाईचारा फल-फूल रहा है। मीता अपने हर गीत में हरियाणवी संस्कृति और भाईचारे को आगे बढ़ाते हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    गांव बरोदा के किसान रणधीर खासा ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उनके घर 1986 में पैदा हुआ उनका इकलौता बेटा मीता एक्टर और सिगर बनकर बरोदा का नाम रोशन करेगा। मीता ने गांव के स्कूल से 10वीं की परीक्षा पास की। इसके बाद मीता ने टैक्सी चलाकर जीवन यापन शुरू किया। वह अपनी टैक्सी में कलाकारों को एक स्थान से दूसरी जगह लाता-ले जाता था। उन्हें संगीत का शौक तो शुरू से था लेकिन नाचने-गाने में उनको शर्म आती थी। मीता सोचते था कि उनको नाचते-गाते देखकर लोग क्या कहेंगे और क्या सोचेंगे। वर्ष 2015 में सिगर-एक्टर राजू पंजाबी के एक गाने की शूटिग को देखकर मीता के मन में भी अभिनय की इच्छा प्रबल हो गई। 2016 में आए उनके पहले गाने म्हारे गाम का पानी ने रिकार्ड तोड़ सफलता हासिल की। इसके बाद मीता ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। अजमेर बलंभिया और राजू पंजाबी को दिया सफलता का श्रेय

    मीता अपनी सफलता का श्रेय हरियाणवी सिगर राजू पंजाबी और गीतकार अजमेर बलंभिया को देते हैं। मीता ने बताया कि आज वह जो कुछ भी है वह राजू पंजाबी की वजह से हैं। राजू के गाने तू कद्र भूल गी यारों की को देखकर वह शो बिजनेस में आए और आज दर्जनों हिट गाने राजू के साथ गा चुके हैं। पिता को हार्ट अटैक आया तो इलाज में बिक गया था किल्ला

    मीता के पिता किसान हैं। पिता को दो बार आए हार्ट अटैक के इलाज में उन्हें एक एकड़ (किल्ला) जमीन बेचनी पड़ी थी। बाद में उन्होंने अपनी मेहनत के बल पर दोबारा अपना बिका हुआ किल्ला खरीद लिया। स्वभाव से शर्मीले मीता लाइमलाइट से अब तक दूर ही थे। मीता सोचते थे कि पता नहीं वह इस लाइन में सफल होंगे या नहीं, कहीं उन्हें दोबारा टैक्सी न चलानी पड़े। अब जब वे सफलता के शिखर पर हैं, उन्हें सभी चीजें अच्छी लगती हैं। म्हारे गाम का पानी से लास्ट पैग तक का सफर

    मीता बरोदा का संगीत का सफर म्हारे गाम का पानी से शुरू हुआ था। इसके बाद उन्होंने हवा कसूती सै, तेरे धाम का पानी भोले (भजन), फर्राटा, फर्राटा डाक कांवड़, शीला हरियाणवी, तूफानी कांवड़, बालम फौजी, बारौठी, चौक पे कोठी, लास्ट पैग और नई बहू जैसे गीत दे चुके हैं। उनके आने वाले गीतों में मेरी सासू आली, बेबी मटकै, यारी मार गी और बहू दिल्ली की शामिल हैं। सामाजिक बुराइयों पर प्रहार

    मीता अपने गानों में हरियाणवी और ग्रामीण संस्कृति को बढ़ावा दे रहे हैं। मीता के हर गीत में ग्रामीण साजो-सामान, भाईचारे और जीवन की झलक दिखती है। पिछले साल नवंबर में आए उनके गाने लास्ट पैग में शराब छोड़ने की अपील है। उन्होंने गाने में दिखाया है कि शराब पीने की लत के कारण कैसे घर में पति-पत्नी में झगड़ा होता है, कैसे ससुराल में पिटाई होती है। उनके कई गीतों में आजादी के बाद के प्रदेश के हालात को जीवंत किया गया है।