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    ठंड बढ़ते ही बढ़ा बच्चों में निमोनिया का खतरा, घर-घर जाकर होगी स्क्रीनिंग

    Updated: Sun, 16 Nov 2025 11:45 PM (IST)

    सोनीपत में ठंड बढ़ने से बच्चों में निमोनिया का खतरा बढ़ गया है। स्वास्थ्य विभाग ने घर-घर जाकर स्क्रीनिंग करने का फैसला किया है। आशा वर्कर 28 फरवरी, 2026 तक बच्चों की जांच करेंगी। निमोनिया के गंभीर मामलों में फेफड़ों में तरल पदार्थ भरने से ऑक्सीजन का स्तर गिर जाता है। टीकाकरण पर जोर दिया जा रहा है।

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    बढ़ती ठंड के साथ ही सांस संबंधी बीमारियों के मामले तेज़ी से बढ़ने लगे हैं।

    संदीप कुमार, सोनीपत। जिले में बढ़ती ठंड के साथ ही सांस संबंधी बीमारियों के मामले तेज़ी से बढ़ने लगे हैं, खासकर पांच वर्ष तक के बच्चों में निमोनिया का खतरा चिंताजनक स्तर पर पहुंच गया है। जिला स्वास्थ्य विभाग ने स्थिति को गंभीर मानते हुए घर-घर स्क्रीनिंग अभियान शुरू करने का निर्णय लिया है। यह सर्वे सांस अभियान के तहत 28 फरवरी, 2026 तक चलेगा, जिसमें आशा वर्कर घर-घर जाकर शून्य से पांच वर्ष आयु वर्ग के बच्चों की स्वास्थ्य जांच करेंगी।

    विशेषज्ञों के अनुसार निमोनिया के गंभीर मामलों में फेफड़ों में पस व तरल पदार्थ भरने लगता है, जिससे आक्सीजन का स्तर तेजी से गिर जाता है और बच्चे की हालत बेहद गंभीर हो जाती है। जिला स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि इस बार शुरुआती सर्दी ने ही सांस के मरीजों की संख्या में वृद्धि कर दी है। इसी कारण समय रहते स्क्रीनिंग शुरू करना अनिवार्य हो गया है।

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    आशा वर्कर स्क्रीनिंग के दौरान उन बच्चों की सूची भी तैयार करेंगी, जिन्हें अभी तक पीसीवी (न्यूमोकोकल कंजुगेट वैक्सीन) का टीका नहीं लगा है। ऐसे बच्चों का तुरंत टीकाकरण किया जाएगा, क्योंकि निमोनिया की रोकथाम में पीसीवी टीका सबसे प्रभावी माना जाता है। स्वास्थ्य विभाग ने सभी उप-केंद्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को टीकाकरण उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश जारी कर दिए हैं।

    केंद्र सरकार के निर्देश पर शुरू हुआ विशेष अभियान

    केंद्र स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से राज्यों को भेजे गए विशेष निर्देश पत्र के बाद यह सर्वे तत्काल प्रभाव से शुरू किया गया है। पत्र में बताया गया है कि शून्य से पांच वर्ष के बच्चों में निमोनिया और एआरआइ (एक्यूट रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन) यानी तीव्र श्वसन पथ संक्रमण के मामले हर सर्दी में तेजी से बढ़ते हैं, इसलिए समय रहते निगरानी और उपचार बेहद आवश्यक है। जिला स्वास्थ्य विभाग ने भी इन दिशा-निर्देशों को लागू करते हुए सभी टीमों को प्रशिक्षित किया है।

    प्रदेश में 9,219 बच्चे हैं बचपन में ही बीमारी

    हरियाणा में बच्चों में निमोनिया व श्वसन संबंधी बीमारियां एक गंभीर समस्या बनी हुई हैं। कुल 9,219 मामलों में बचपन की बीमारी (निमोनिया) दर्ज हुई, जबकि 3,438 बच्चे श्वसन संक्रमण से और 1,017 बच्चे निमोनिया से अस्पतालों में भर्ती किए गए। सबसे अधिक मामले नूंह, पंचकूला, गुरुग्राम और फरीदाबाद में पाए गए, जबकि सबसे कम चरखी दादरी में रहे।

    इस अवधि में निमोनिया के कारण 51 शिशुओं (1 वर्ष से कम) तथा 62 बच्चों (1–5 वर्ष) की मृत्यु दर्ज हुई। रोहतक, हिसार और गुरुग्राम में बाल मृत्यु दर अपेक्षाकृत अधिक रही। यह रिपोर्ट दर्शाती है कि राज्य में बाल स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए निरंतर जागरूकता, समय पर उपचार और स्वास्थ्य सेवाओं की सुदृढ़ उपलब्धता आवश्यक है।

    इस मौसम में जरा सी लापरवाही भी बच्चों के लिए परेशानी बढ़ा सकती है। तेज सांस चलना, छाती धंसना, लगातार खांसी, बुखार और दूध न पीना निमोनिया के स्पष्ट संकेत हैं। माता–पिता को चाहिए कि लक्षण दिखते ही बच्चे को तुरंत चिकित्सक के पास ले जाएं। देर करने से संक्रमण गंभीर रूप ले सकता है। - डॉ. नीरज यादव, जिला टीकाकरण अधिकारी, सोनीपत