ACB के साथ अब SIT भी करेगी रिश्वत मामले की जांच, 76 लाख रुपये लेन-देन का मामला
सोनीपत में उपायुक्त के निजी सहायक शशांक शर्मा को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया है। उसने एक कर्मचारी के तबादले के लिए 5 लाख रुपये मांगे थे और 3.5 लाख रुपये लेते हुए पकड़ा गया। उसके खातों में 76 लाख रुपये के संदिग्ध लेनदेन का खुलासा हुआ है। इस मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है, जो भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के साथ मिलकर काम करेगा। एसीबी उन लोगों से भी पूछताछ करेगी जिन्होंने आरोपी के साथ पैसों का लेनदेन किया है।
रिश्वत लेने के मामले में गिरफ्तार उपायुक्त के निजी सहायक एसीबी टीम के साथ। आर्काइव
जागरण संवाददाता, सोनीपत। उपायुक्त निजी सहायक द्वारा रिश्वत लेने के मामले में स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम (एसआइटी) का गठन किया गया है। एसआइटी मामले की जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के साथ मिलकर करेगी। डीसीपी नरेंद्र कादियान के नेतृत्व में एक चार सदस्यीय समिति का गठन किया गया है, जो इस मामले की गहनता से जांच करेगी।
एसआइटी आरोपित के खातों की जांच में 76 लाख रुपये के लेनदेन की बात सामने आने के बाद यह कदम उठाया गया है। वहीं, एसीबी उन लोगों को भी जल्द ही पूछताछ के लिए बुलाएगी। जिनके द्वारा आरोपित निजी सहायक के पास रुपये भेजे हैं। आरोपित और रुपये का लेनदेन करने वालों को आमने-सामने बैठाकर पूछताछ की जाएगी।
उपायुक्त का निजी सहायक शशांक शर्मा उपायुक्त कार्यालय में तैनात लिपिक जितेंद्र कुमार को राई उप तहसील में रजिस्ट्री क्लर्क के पद पर ट्रांसफर कराने के नाम पर रिश्वत मांग रहा था। शशांक के पास से 3.5 लाख रुपये बरामद हुए हैं जो उसने रिश्वत के तौर पर वसूल किए थे। कर्मचारी को राई उप तहसील में ट्रांसफर कराने के एवज में शशांक शर्मा ने पांच लाख रुपये की मांग की थी।
जितेंद्र कुमार डेढ़ लाख रुपये पहले दे चुके थे। शशांक साढ़े तीन लाख रुपये और मांग रहा था। जितेंद्र कुमार ने पूरी सूचना एंटी करप्शन ब्यूरो को दे दी। इसके बाद एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने शशांक को रंगे हाथ गिरफ्तार करने की रूपरेखा तैयार की।
शुक्रवार को बाकी के 3.50 लाख रुपये देने के लिए जितेंद्र शशांक के पास पहुंचे। जैसे ही शशांक ने रिश्वत की रकम हाथ में ली एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने उसे रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया था।
76 लाख के लेनदेन के साक्ष्य मिल चुके
निजी सहायक के बैंक अकाउंट से 76 लाख रुपये के संदिग्ध लेन-देन की बात सामने आई है। उसके फोन की जांच में वर्ष 2022 से जून, 2025 तक कई संदिग्ध ट्रांजेक्शन मिली हैं। आरोपित ने ये लेन-देन उपायुक्त कार्यालय में नियुक्त अन्य कर्मचारियों, डीआइटीएस आपरेटरों और एक चालक के जरिए किया है।
अब एसीबी ने जांच का दायरा भी बढ़ा दिया है। एसीबी जांच में जुटी है कि ये रुपये किस एवज में लिए गए हैं। फिलहाल आरोपित 14 दिन की न्यायिक हिरासत में है। मामले में अगली सुनवाई पांच जुलाई को होगी।
जिन लोगों ने आरोपित के साथ रुपये का लेनदेन किया है। उनकी भी पहचान की जा चुकी है। उनको भी जल्द ही जांच में शामिल किया जाएगा। आरोपित और रुपये के लेनदेन करने वालों को आमने-सामने बैठाकर पूछताछ की जाएगी। मनोज कुमार, जांच अधिकारी, एंटी करप्शन ब्यूरो, रोहतक
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