Farmer Protest: महिला पहलवान बबीता फौगाट की आंखों से छलके आंसू, बोलीं- किसान ऐसी हरकत नहीं करते
Babita Phogat Advice to Protesting Farmers बबीता फौगाट ने कृषि कानून विरोधी आंदोलनकारियों को राजनीति से दूर रहने की नसीहत दी है। उन्होंने अपने गांव दादरी में प्रवेश के दौरान किये गए विरोध को गलत बताया। आंदोलनकारियों द्वारा किये गए उग्र विरोध की बात करते-करते बबीता के आंसू छलक गए।
सोनीपत [संजय निधि]। महिला विकास निगम की चेयरपर्सन बबीता फौगाट ने कहा कि कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन करने वाले किसान नहीं हो सकते। किसान कभी भी उपद्रव या दूसरों को नुकसान नहीं पहुंचा सकते हैं। ये आंदोलन करने वाले विपक्षी और फेसबुकिये हैं। विपक्षियों के सह पर भाजपा नेताओं पर हमले करते हैं। यह किसी भी तरह से उचित नहीं है। लोकतंत्र में आंदोलन का हक सबको है, लेकिन इसके लिए दूसरों का नुकसान नहीं कर सकते। वे बुधवार को यहां पत्रकारों से बातचीत कर रहीं थीं।
बबीता ने कहा कि एक हद में रहकर विरोध करना चाहिए, लेकिन किसी पर हमला करना गलत है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सरकार अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रही है। 12 दौर की वार्ता हुई है। सरकार तीनों कानून को लेकर जो भी संशय है, उसे दूर करने को तैयार है। संशोधन को भी तैयार है, लेकिन वे तो कानून रद कराने की जिद पर अड़े हैं। आंदोलनकारी नहीं, किसान बनकर बातचीत के लिए आगे आएं तो जरूर समाधान निकलेगा। उन्होंने कहा कि आंदोलन हमने भी देखे हैं, आंदोलनों का इतिहास भी पढ़ा है। पहले आंदोलन मुद्दों पर होते थे, लेकिन यह विपक्ष और फेसबुक का आंदोलन है।
सरकार ने बाचतीत शुरू की, उनकी बात मानी और समाधान निकलने लगा तो अब आंदोलनकारी जिद पर अड़ गए। एक किसान बनकर उन्हें जिद छोड़कर बीच का रास्ता निकालते हुए बातचीत के लिए आगे आना चाहिए। सरकार बातचीत को हमेशा तैयार है और हर समस्या का समाधान बातचीत से ही निकलेगा।
इस आंदोलन के समाधान को लेकर पूछने पर उन्होंने कहा कि ये बातचीत के लिए 40 लोग मिलकर जाते हैं। इतने लोगों के बीच कभी समधान नहीं निकल सकता। यदि ये 4-5 लोगों की कमेटी बनाकर बातचीत के लिए भेजें, तुरंत समाधान होगा। इस आंदोलन को राजनीति का अखाड़ा न बनाएं। पत्रकारवार्ता के दौरान उनके साथ मीडिया प्रभारी नीरज आत्रेय, चरण सिंह जोगी भी मौजूद थे।
भावुक हुईं बबीता, आंखों से छलका आंसू
पिछले दिनों दादारी जाने के दौरान अपनी गाड़ी पर हुए हमले का जिक्र करते हुए पहलवान बबीता फौगाट भावुक हो गईं। उनकी आंखों में आंसू आ गए। उस मंजर को याद करते हुए उन्होंने कहा कि अचानक से उपद्रवियों ने गाड़ियों पर डंडे बरसाने शुरू कर दिए। शीशा भी तोड़ दिया। गाड़ी में बेटा भी था, यदि उसे कुछ हो जाता तो कौन जिम्मेदार होता। उन्होंने जब मेडल जीते थे तो वह किसी एक वर्ग के लिए नहीं था। पूरे देश का प्रतिनिधित्व करते हुए जीते थे। आज उन्हें अपशब्द कहे जा रहे हैं। आखिर उन्होंने ऐसा क्या कर दिया। क्या ये हमारे समाज या हरियाणा के संस्कार के हैं कि बहन-बेटियों को गालियां दे। उन्होंने कहा कि जिस गांव में कार्यक्रम था, वहां एक भी इंसान ने विरोध नहीं किया, विरोध करने वाले ये चंद उपद्रवी और विपक्षी लोग इसमें शामिल थे। हमारे किसानों के ये संस्कार नहीं हैं, वे ऐसा नहीं कर सकते।