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    Sonipat News: इस बार PM भी नहीं भेद पाए भूपेंद्र हुड्डा का किला, बस इस एक मुद्दे के कारण 'मोदी की गारंटी' पड़ी फीकी

    Updated: Wed, 05 Jun 2024 01:30 PM (IST)

    हरियाणा की सोनीपत सीट पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गढ़ माना जाता है। इसी कारण से इस सीट पर भाजपा की कड़ी हार हुई। हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में हुड्डा खुद इस सीट से जब लड़ें तब उनकी हार हुई थी। पूर्व सीएम के गढ़ और जाट बेल्ट को साधने के लिए 18 मई को गोहाना में पीएम मोदी ने विजय संकल्प रैली की थी। बावजूद हार हुई।

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    Sonipat: इस बार PM भी नहीं भेद पाए भूपेंद्र हुड्डा का किला। फाइल फोटो

    निरंजन कुमार, सोनीपत। (Sonipat Politics Hindi News) पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupinder Singh Hooda) के गढ़ को भेदने के लिए 18 मई को गोहाना में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) की रैली की गई थी। सोनीपत और रोहतक के प्रत्याशियों के लिए प्रधानमंत्री ने जाट बेल्ट को साधने के लिए गोहाना को चुना था। प्रधानमंत्री की रैली में भीड़ तो खूब जुटी, लेकिन यह भी वोट में नहीं बदली।

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    जाट बेल्ट में लोगों ने कांग्रेस को दिल खोलकर वोट दिए। खासकर खरखौदा और बरोदा के लोगों द्वारा दी गई लीड भाजपा (Haryana BJP) प्रत्याशी से नहीं टूटी। इस रैली में प्रधानमंत्री ने किसानों का कोई जिक्र नहीं किया था। प्रधानमंत्री ने जवानों, खिलाड़ियों और राष्ट्रीय मुद्दों को जरूर छुआ था, लेकिन किसानों के बारे में एक शब्द भी नहीं बोला था।

    इससे किसानों में नाराजगी थी, जिसका असर चुनाव में देखने को मिला। किसान बाहुल्य हलकों में भाजपा की सबसे बड़ी हार हुई। जबकि प्रधानमंत्री के राजनीतिक विरोधी राहुल गांधी चुनाव से पहले ही सोनीपत में एक नरेटिव बनाने में कामयाब रहे थे। पिछले साल जुलाई में अचानक से बरोदा हलके के गांव मदीना के खेतों में पहुंच गए।

    यहां उन्होंने धान रोपाई के कार्य किया और पानी भरे खेतों में ट्रैक्टर चलाया। साथ ही किसानों के साथ धान रोपाई का कार्य किया। इतना ही नहीं गांव की महिलाओं को दिल्ली स्थित आवास पर भी बुलाया और उनकी विशेष खातिरदारी की।

    जिसका असर ये हुआ कि न केवल मदीना गांव बल्कि पूरे बरोदा हलके से कांग्रेस को 30128 वोट की लीड मिली। यहां से कांग्रेस को 69851 और भाजपा को 39723 वोट हासिल हुई। राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने सोनीपत में बड़ी रैली की थी, जिसमें किसानों का खूब जिक्र किया, लेकिन सोनीपत शहरी क्षेत्र में कांग्रेस को ज्यादा फायदा नहीं हुआ।

    हुड्डा के नाम पर मिले वोट

    खरखौदा जाट बाहुल्य क्षेत्र होने के साथ ही हुड्डा का गढ़ माना जाता है। भूपेंद्र हुड्डा की धर्मपत्नी आशा हुड्डा मटिंडू गांव की बेटी हैं। ऐसे में खरखौदा विधानसभा से उनका सीधा जुड़ाव है। पिछले चुनाव में भाजपा ने जहां मोदी लहर के बीच हुड्डा को सोनीपत में पटखनी दी थी, लेकिन खरखौदा विधानसभा क्षेत्र से उन्हें 73 सौ मतों से जीताकर आगे भेजने का काम किया था, लेकिन इस बार के लोकसभा चुनावों में खरखौदा विधानसभा के मतदाताओं ने दो कदम और आगे बढ़ते हुए कांग्रेस को और ज्यादा लीड देने का काम किया है।

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