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    Choudhary Ajit Singh: पूर्व केंद्रीय मंत्री अजीत सिंह के निधन से ननिहाल में भी मातम, अपने नेता का जिक्र कर रो पड़े लोग

    By Jp YadavEdited By:
    Updated: Fri, 07 May 2021 08:56 AM (IST)

    Choudhary Ajit Singh 20 अप्रैल से गुरुग्राम के निजी अस्पताल में भर्ती चौधरी अजित सिंह ने बृहस्पतिवार सुबह 6 बजे के आसपास अंतिम सांस ली जिसके चलते खरखौदा के निजामपुर खुर्द गांव में भी शोक की लहर है। निजामपुर खुर्द गांव चौधरी अजीत सिंह का ननिहाल था।

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    पूर्व केंद्रीय मंत्री अजीत सिंह के निधन से ननिहाल में भी मातम, अपने नेता का जिक्र कर रो पड़े लोग

    नई दिल्ली/सोनीपत/खरखौदा, जागरण संवाददाता। राष्ट्रीय लोकदल के मुखिया और पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी अजित सिंह का बृहस्पतिवार सुबह कोरोना संक्रमित होने के कारण निधन हो गया। 20 अप्रैल से गुरुग्राम के निजी अस्पताल में भर्ती चौधरी अजित सिंह ने बृहस्पतिवार सुबह 6 बजे के आसपास अंतिम सांस ली, जिसके चलते खरखौदा के निजामपुर खुर्द गांव में भी शोक की लहर है। निजामपुर खुर्द गांव चौधरी अजीत सिंह का ननिहाल है, जिसके चलते उनका इस गांव से पुराना नाता रहा है। उनके निधन की सूचना जैसे ही इस गांव के लोगों को पता चली तो उन्हें इस सूचना ने काफी आहत कर दिया।

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    गांव सरपंच ललित कुमार, अजीत राणा, अजय राणा, सुरेंद्र राणा, आजाद सिंह व ज्ञानेंद्र आदि बताते हैं कि किसान नेता व पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह उनके गांव में ब्याहे हुए थे। ऐसे में चौधरी अजीत सिंह का गांव के साथ अलग ही लगाव था। गांव के भांजे को उन्होंने चौधरी चरण सिंह की ही तरह राजनीति के शिखर पर जाते देखा। ग्रामीणों का कहना है कि बचपन में चौधरी अजीत सिंह गांव की गलियों में घूमा करते थे, जिसके बारे में बड़े-बुजुर्ग उन्हें बताते हैं। वहीं अब उनके परिवार के सदस्य गांव में नहीं रहते हैं, लेकिन उनका मकान यहां पर जरूर है।

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    वहीं आज जब उन्होंने किसानों के नेता के रूप में पहचान बनाने वाले चौधरी अजीत सिंह की कोरोना संक्रमण के कारण मौत की खबर सुनी तो इस सूचना ने उन्हें काफी आहत किया। चौधरी अजीत सिंह का गांव के साथ जुड़ाव था, ऐसे में उनके कई बार सांसद बनने से लेकर केंद्रीय मंत्री बनने के दौरान भी गांव में खुशियां मनाई गई थी वहीं आज उनके निधन की सूचना ने पूरे गांव के माहौल को गमगीन करने का काम किया है, उन्हें एक किसान नेता के रूप में हमेशा याद किया जाता रहेगा, जिन्होंने कमेरे वर्ग के आवाज को उठाने का काम किया।

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