Sonipat Waterlogging: बारिश में कहां-कहां हुआ जलभराव, सर्वे कराकर रिपोर्ट बनाएगा सिंचाई विभाग
सोनीपत जिले के कई गांवों में भारी बारिश के कारण खेतों में जलभराव हो गया है जिससे किसानों को नुकसान हुआ है। सिंचाई विभाग द्वारा जल निकासी के लिए 55 ड्रेनें और पंपसेट लगाए गए हैं लेकिन भारी वर्षा के कारण जलभराव की समस्या बनी हुई है। विभाग प्रभावित क्षेत्रों का सर्वेक्षण कराकर जल निकासी के बेहतर प्रबंध के लिए प्रस्ताव तैयार कर रहा है।

परमजीत सिंह, गोहाना। इस बार जून मध्य से सितंबर के शुरुआत तक कई बार तेज वर्षा हुई। तेज वर्षा होने पर विभिन्न गांवों के खेतों में जलभराव हुआ। कई जगह फसलें जलमग्न हो गईं, जिससे किसानों को नुकसान भी हुआ। पंजाब व पहाड़ी राज्यों में बाढ़ आने पर हरियाणा की ड्रेनों में पानी भी छोड़ा गया।
जींद व पानीपत की तरफ से गोहाना में भी ड्रेनों में बहुत अधिक पानी आया था। कई जगह ड्रेनें ओवरफ्लो होने से भी फसलों में जलभराव हुआ। अब तक कई गांवों के खेतों में पानी भरा हुआ है। वर्षा में क्षेत्र में कहां-कहां अधिक जलभराव हुआ, इसको लेकर सिंचाई विभाग द्वारा सर्वे कराया जाएगा।
अधिकारी प्रभावित क्षेत्रों में भविष्य में निकासी का बेहतर प्रबंध करने को लेकर प्रस्ताव तैयार करेंगे। उन प्रस्तावों को बाढ़ नियंत्रण एजेंडा के तहत सरकार के पास भेजा जाएगा। सिंचाई विभाग द्वारा गोहाना डिवीजन के विभिन्न गांवों से वर्षा के अतिरिक्त पानी की निकासी के लिए छोटी व बड़ी 55 ड्रेनें बनवा रखी हैं।
इसके अलावा कई जगह स्थाई पंपसेट भी लगाए गए हैं। कई गांवों में भूमिगत पाइपें दबाकर ड्रेनों तक पहुंचाई गई हैं। इसके बावजूद तेज वर्षा होने पर कई गांवों के खेतों में जलभराव हो जाता है और लंबे समय तक उसकी निकासी नहीं हो पाती है। लो लाइन एरिया (नीचे के क्षेत्र) में जलभराव की समस्या अधिक होती है।
इस बार जून के मध्य से सितंबर के शुरुआत कई बार तेज वर्षा हुई। निकासी के लिए स्थाई पंपसेटों को चलाने के साथ जगह-जगह अस्थाई पंपसेट भी लगाने पड़े। विभिन्न गांवों के किसान सिंचाई विभाग के अधिकारियों के पास मोटरें व पाइपें लेने भी पहुंचे।
अधिक मांग होने के चलते मोटरें कम पड़ गई थीं। इससे कई जगह समय पर पानी की निकासी नहीं हो पाई। सितंबर के शुरुआत में पंजाब की तरफ से जींद व पानीपत से होते हुए गोहाना क्षेत्र में बाढ़ का पानी भी पहुंच गया था। जलभराव के चलते कई जगह फसलें खराब हो गईं।
55 ड्रेनें हैं, जिनसे होती है वर्षा के अतिरिक्त पानी की निकासी
-93 पंपसेट स्थाई लगाए गए हैं ड्रेनों पर
-860 क्यूसेक पानी निकालने क्षमता है इन पंपसेटों की
-89 इलेक्ट्रिक पंपसेट, जिनको जरूरत के हिसाब से लगाया जाता है
-20 डीजल पंपसेट हैं विभाग के पास
इन गांवों के खेतों में हुआ जलभराव
गांव जवाहरा, ढुराना, मुंडलाना, चिड़ाना, धनाना, खानपुर कलां, कथूरा, बरोदा, छपरा, रिंढाना समेत कई गांवों के खेतों में इस बार अधिक जलभराव हुआ। अभी तक कई गांवों के खेतों में पानी भरा हुआ है।
सिंचाई विभाग के पास 300 एमएम वर्षा के हिसाब से संसाधन
सिंचाई विभाग ने प्रति वर्ष 300 एमएम वर्षा होने के अनुमान के हिसाब से संसाधन जुटा रखे हैं। इसी के हिसाब से ड्रेनें तैयार कराई गई हैं और पंपसेट लगाए गए हैं। क्षेत्र में कुछ वर्षों से इससे बहुत अधिक वर्षा हो रही है, जिसके चलते पंपसेटों की क्षमता भी बढ़ाई जा रही है। अधिक वर्षा होने पर संसाधन कम पड़ जाते हैं।
वर्ष
2020
2021
2022
2023
2024
2025
नोट : वर्षा एमएम में है। 2020 से 2024 तक पूरे वर्ष में वर्षा और 2025 में जनवरी से लेकर अब तक वर्षा।
सभी जेई को अपने-अपने क्षेत्र में जलभराव वाले क्षेत्र की रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दे दिए हैं। जलभराव वाले सभी क्षेत्र का सर्वे करवाकर रिपोर्ट तैयार की जाएगी। उसके बाद प्रस्ताव तैयार करके मुख्यालय भेजे जाएंगे।
अक्षय कुमार, एसडीओ, सिंचाई विभाग
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