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    Sonipat Flood: सोनीपत में यमुना नदी उफान पर, गांव टोंकी में घुसा पानी; ग्रामीणों ने निकाला सामान

    Updated: Wed, 03 Sep 2025 01:51 PM (IST)

    सोनीपत में यमुना का जलस्तर बढ़ने से तटीय गांवों में पानी घुस गया है। टोंकी गांव में 70 परिवारों के घरों में पानी भरने से लोग सामान निकालने में जुटे हैं। गढ़ मिर्कपुर में फंसे गोवंश को बचाया गया। बेगा और पबनेरा में फसलें डूब गई हैं। प्रशासन ने रेस्क्यू कर 40 परिवारों को सुरक्षित निकाला और लोगों से सतर्क रहने की अपील की है।

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    हिंदू विद्यापीठ वाली गली में बिजली के तारों पर गिरा पड़े। सौ. सुधी पाठक

    जागरण संवाददाता, सोनीपत। जिले में यमुना खतरे के निशान के पास बह रही है। हालात यह हैं कि गांव टोंकी में निचले इलाके में पानी घुस गया है, जहां करीब 70 परिवार बसे हुए हैं। पानी घुसने के बाद ग्रामीण अपना सामान निकालने में जुटे रहे।

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    ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के जरिये सामान सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। यमुना के तटीय गांवों में मंगलवार सुबह गांव गढ़ मिर्कपुर में करीब 80 गोवंशी पानी के तेज बहाव में फंस गईं, जिसके बाद ग्रामीणों और गोरक्षकों ने मिलकर रेस्क्यू करते हुए गायों को सुरक्षित बाहर निकाला।

    जिला प्रशासन ने सोमवार को ही मुनादी करवाकर अलर्ट रहने के निर्देश दिए थे। वहीं गांव बेगा व पबनेरा में यमुना का पानी तटबंधों के ऊपर से बह रहा है। इससे किसानों की फसलोंं को भारी नुकसान हुआ है।

    मंगलवार को लगातार बढ़ते जा रहे जलस्तर से यमुना के साथ लगते गांवों में भूमि कटाव बढ़ गया और करीब तीन हजार एकड़ गन्ने व धान की फसलें पानी में डूब गई हैं। ग्रामीण अपने स्तर पर भी पानी रोकने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन उन्हें उम्मीद के अनुसार सफलता नहीं मिल रही।

    दूसरी तरफ जिला प्रशासन भी तटबंधों पर नजर बनाए रहा। उपायुक्त सुशील सारवान ने वर्षा के बीच यमुना तट के कई गांवों का दौरा किया। उन्होंने पबसरा, मनोली, टोंकी और आसपास के इलाकों का जायजा लेते हुए ग्रामीणों से भी बातचीत की।

    उन्होंने ग्रामीणों को आश्वस्त किया कि प्रशासन पूरी तरह चौकन्ना है और हर प्रकार की स्थिति से निपटने के लिए तैयार है। मंगलवार को हथनीकुंड बैराज से 1,54,958 क्यूसेक पानी और छोड़ा गया है, जो बुधवार दोपहर तक जिले की सीमा में पहुंचेगा।

    प्रशासन ने रेस्क्यू कर सुरक्षित निकाले 40 परिवार

    यमुना में जलस्तर बढ़ने से गांव गढ़ी असदपुर में करीब 40 परिवार पानी में फंस गए। यह सभी यमुना में खेती करने के साथ वहीं डेरा डाले हुए थे। जलस्तर अचानक बढ़ने से इनके घरों तक खतरा पहुंच गया।

    जिला प्रशासन को जब इसकी सूचना मिली तो एसडीएम सोनीपत सुभाष चंद्र, बीडीपीओ अंकुर कुमार और अन्य प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे और सभी परिवारों को तुरंत रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया।

    जाजल रेनीवेल पर खतरा, पार्षदों ने पर्याप्त पेयजल स्टोर करने के मैसेज भेजे

    यमुना में लगातार बढ़ रहे जलस्तर को देखते हुए जाजल रेनीवेल पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं। जाजल रेनीवेल पर दिक्कत आई तो शहर में पेयजल आपूर्ति चरमरा जाएगी। ऐसे में शहरवासियों को पेयजल संकट का सामना करना पड़ सकता है।

    स्थिति को देखते हुए निगम पार्षदों ने अपने वाट्सएप ग्रुपों में शहरवासियों को जरूरत के हिसाब से पानी स्टोरेज करने के संदेश भेजे। पार्षदों का कहना है कि शहर के आधे हिस्से में रेनीवेल से पेयजल आपूर्ति होती है। एक साल पहले भी जाजल रेनीवेल पर पानी भरने से पेयजल आपूर्ति बाधित हो गई थी।

    पबनेरा के बाद अब बेगा में भी जमीन का कटाव शुरू

    गन्नौर: वर्षा व पीछे से पानी आने से यमुना नदी उफान पर है। पबनेरा के बाद अब बेगा में भी जमीन का कटाव शुरू हो चुका है। यमुना का पानी खेतों में घुसना शुरू हो गया है।

    वहीं पबनेरा में पानी तटबंध तक पहुंच चुका है। यहां भी तटबंध से पहले स्थित किसानों के खेतों में पानी घुसना शुरू हो गया है, जिससे किसानों की हजारों एकड़ सब्जी, धान, गन्ने की फसल डूब गई हैं। पबनेरा में किसानों का कहना है कि प्रशासन द्वारा बाढ से बचाव के कार्य उचित रूप से नहीं किए गए।

    बचाव के लिए बिजली काटी

    यमुना के साथ लगते खेतों में तीन से चार फुट पानी घुस चुका है और जल स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। ऐसे में पानी से लबालब भरे खेतों में बिजली करंट न दौड़े इसके लिए बिजली निगम ने सप्लाई को बंद कर दिया है।

    वहीं बेगा व पबनेरा में तटबंध के पास पानी को बढ़ता देख किसानों ने भी अपनी फसलों को बचाने का प्रयास शुरू कर दिया है। जिन किसानों की सब्जियों की फसल पक कर तैयार हो चुकी थी। उन्होंने पानी पहुंचने से पहले ही सब्जियों को काट लिया, जिससे उनका नुकसान होने बच गया, जबकि काफी किसानों की फसल पानी में जलमग्न हो जाने की वजह से पूरी तरह से नष्ट हो गई।

    तटबंध के अंदर मुआवजे पर स्थिति साफ नहीं

    यमुना तटबंध के अंदर किसानों के खेतों में हुए जलभराव से नुकसान हुआ है। किसानों की धान व सब्जियों की फसल में नुकसान है, लेकिन तटबंध के अंदर मुआवजे पर स्थिती साफ नहीं है। अधिकारियों का कहना है कि अभी सरकार की तरफ से इस संबंध में कोई आदेश प्राप्त नहीं हुए हैं। हालांकि अभी नुकसान का जायजा जरूर लिया जा रहा है।

    रेत से भरे कट्टे डलवाए

    यमुना के तेज बहाव के कारण जहां-जहां नुकसान हुआ है वहां प्रशासनिक अधिकारी नजर बनाए रखें। भूमि कटाव को रोकने और कटाव की समस्या पर नियंत्रण पाने के लिए बेगा घाट पर काफी संख्या में खाली कट्टे मंगवा कर रख दिए गए हैं। जिनमें रेत से भर कर कटाव वाली जगह पर लगवाया जाएगा।

    गांव मीमारपुर में भी महिलाएं व पुरुष गांव में पानी घुसने से रोकने के लिए कट्टों में मिट्टी भरने के काम में जुटे रहे। वहीं आपात स्थिति से निपटने के लिए एनडीआरएफ की टीम को तैनात कर दिया गया है। इसके अलावा जेसीबी को भी घाट पर खड़ा करवा दिया गया है।

    बिजली के तारों पर गिरा पेड़

    शहर में हिंदू विद्यापीठ वाली गली में 33 केवीए की लाइन पर पेड़ उखड़कर गिर गया। हालांकि इस दौरान बिजली आपूर्ति चालू रही। स्थानीय लोगों ने घरों में करंट आने के खतरे की आशंका को लेकर बिजली निगम अधिकारियों को फोन किया और बिजली सप्लाई काटने की मांग की। साथ ही तार पर गिरे पेड़ को जल्द हटवाने की भी मांग की। वहीं वर्षा में कई जगह फाल्ट आने से शहर के विभिन्न हिस्सों में कई घंटे बिजली गुल रही।

    गांवों में ठीकरी पहरे और गश्त के आदेश

    अतिरिक्त उपायुक्त लक्षित सरीन ने यमुना क्षेत्र में संभावित खतरे को देखते हुए पंजाब विलेज एंड स्माल टाउन पेट्रोल एक्ट, 1918 की धारा 3(1) के तहत आदेश जारी किए हैं। इसके अनुसार यमुना किनारे स्थित गांवों में ग्राम पंचायतें दिन-रात ठीकरी पहरे लगाकर गश्त सुनिश्चित करेंगी।

    सभी युवा ग्रामीणों को इसमें भाग लेना होगा, ताकि नालों, पुलों और रिंगबंधों की सुरक्षा की जा सके। ये आदेश अगले 15 दिनों तक लागू रहेंगे। अधिकारियों ने बताया कि प्रशासन लगातार यमुना क्षेत्र की निगरानी कर रहा है। जहां कहीं भी किसी के फंसे होने की खबर मिलती है, तुरंत रेस्क्यू टीम भेजी जाती है।

    यमुना में बढ़ते जलस्तर को देखते हुए प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद है। अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि तटीय गांवों में पेयजल, बिजली, स्वास्थ्य सेवाएं और पशुधन की सुरक्षा के लिए सभी इंतजाम सुचारू रखें। अभी यमुना का जलस्तर खतरे के निशान के पास है। वर्षा जारी रही तो इसमें और बढ़ोतरी हो सकती है। प्रशासन ने पूरी तैयारी कर रखी है। नावें, राहत शिविर, आपात स्वास्थ्य सेवाएं और रेस्क्यू दल 24 घंटे तैयार हैं। ग्रामीणों से अपील है कि वे किसी भी तरह की अफवाहों पर ध्यान न दें और प्रशासन के निर्देशों का पालन करें।

    सुशील सारवान, उपायुक्त, सोनीपत

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