शहर में थमेगा खूंखार कुत्तों का आतंक, नगर निगम ऐसे करेगा 'डॉगेश भाई' की पहचान
सोनीपत नगर निगम शहर में आवारा कुत्तों की समस्या से निपटने के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी करेगा। इस नंबर पर लोग खतरनाक कुत्तों की जानकारी दे सकेंगे। निगम कुत्तों को पकड़कर उनकी नसबंदी कराएगा और उनके लिए भोजन के स्थान निर्धारित करेगा। यह कदम सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उठाया जा रहा है जिससे शहरवासियों को आवारा कुत्तों से राहत मिलने की उम्मीद है।
जागरण संवाददाता, सोनीपत। नगर निगम हेल्पलाइन नंबर जारी कर शहरवासियों से खतरनाक कुत्तों की पहचान करने को कहेगा। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर मेयर राजीव जैन ने कहा कि आदेश का अध्ययन करने के बाद नगर निगम की ओर से एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया जाएगा, जिस पर शहरवासी अपनी-अपनी गलियों में खतरनाक कुत्तों की जानकारी देंगे।
इसके बाद संबंधित एजेंसी ऐसे कुत्तों की पहचान कर उन्हें पकड़ेगी। साथ ही निगम के अधिकारी इन खतरनाक कुत्तों को रखने के लिए जगह की व्यवस्था भी करेंगे। वहीं एजेंसी अब तक साढ़े तीन हजार से अधिक कुत्तों को पकड़कर उनकी नसबंदी करवाकर वापस छोड़ चुकी है।
अब शहर में केवल साढ़े तीन हजार कुत्ते ही बचे हैं, जिनकी नसबंदी की जानी है। कुत्तों को खाना खिलाने के स्थान भी तय किए जाएंगे, ताकि सार्वजनिक स्थानों पर उन्हें खाना न खिलाना पड़े।
शहर में आवारा कुत्तों की संख्या लगातार बढ़ रही है। कुत्ते कभी सड़क पर चल रहे लोगों को काट लेते हैं तो कभी पास से गुजर रहे दोपहिया वाहन चालकों के पीछे दौड़ पड़ते हैं, जिससे कई वाहन चालक गिरकर घायल हो चुके हैं। वहीं, कुत्ते के काटने के बाद रेबीज़ होने का डर बना रहता है और इसका इलाज भी महंगा होता है।
सरकारी अस्पताल में एक टीके की कीमत 100 रुपये है। अगर किसी कारणवश सरकारी अस्पताल में इलाज नहीं मिल पाता या इंजेक्शन खत्म हो जाता है, तो बाहर से इसका इलाज चार गुना महंगा हो जाता है। निजी अस्पताल में यह टीका 400 रुपये में लगता है। यानी चार टीकों की कीमत 1600 रुपये है।
एक युवक की मौत
उत्तम नगर, गोहाना निवासी अमित (38) इंटरनेट और वाई-फाई कनेक्शन उपलब्ध कराने का काम करते थे। 24 फरवरी, 2023 को रेलवे कॉलोनी निवासी एक व्यक्ति ने इंटरनेट बंद होने की शिकायत की। जब वह स्टाफ के साथ जाँच के लिए पहुँचा, तो गली में घूम रहे एक आवारा कुत्ते ने पीछे से उसके पैर पर काट लिया।
परिजन उसे इलाज के लिए बीपीएस राजकीय महिला मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले गए। कुत्ते के काटने के चार घंटे के भीतर ही उसकी मौत हो गई। हालाँकि, परिजनों ने बिना पोस्टमार्टम कराए ही उसका अंतिम संस्कार कर दिया। इस साल अब तक 1870 लोग कुत्तों का शिकार बन चुके हैं।
हम माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत करते हैं। आशा है कि भविष्य में सभी फ्लैट निवासियों और अन्य सभी लोगों को आवारा कुत्तों से राहत मिलेगी। यदि भविष्य में कुत्तों की संख्या नहीं बढ़ती है, तो स्वाभाविक रूप से कुत्तों के काटने की घटनाओं पर नियंत्रण होगा और कुत्तों के कारण होने वाले जान-माल के नुकसान को भी बचाया जा सकेगा।
-सतेंद्र श्योराण, पूर्व अध्यक्ष, आरडब्ल्यूए, टीडीआई एस्पानिया, रॉयल सेक्टर-19, सोनीपत
सोसाइटियों और रिहायशी इलाकों में आवारा कुत्तों से खतरा लगातार बढ़ रहा है। हमने इस संबंध में कई बार नगर निगम समिति से भी शिकायत की है। इस बीच, सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिया गया आदेश एक सर्वोच्च व्यवस्था है और स्वागत योग्य है। कई गली के कुत्ते बहुत खतरनाक होते हैं और उनका टीकाकरण भी नहीं होता, उनके काटने से खतरा और बढ़ जाता है। भोजन केंद्र बनाना एक अच्छी पहल है।
-अरविंद बेनीवाल, अध्यक्ष, टीडीआई किंग्सबरी, आरडब्ल्यूए फेडरेशन
सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय सही है। केवल उन्हीं कुत्तों को आश्रय गृह में छोड़ा जाना चाहिए जिन्हें रेबीज हो या जो हिंसक हों। अगर सभी कुत्तों को शेल्टर होम में बंद कर दिया जाए, तो यह ठीक नहीं है। कॉलोनियों की गलियों में घूमने वाले कई कुत्ते चोरी की घटनाओं को भी रोकते हैं। सार्वजनिक स्थानों पर कुत्तों को खाना न देने का अदालत का फैसला भी सही है।
-धर्मेंद्र, देवीपुरा कॉलोनी
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शहरवासियों को आवारा कुत्तों के आतंक से कुछ हद तक निजात मिलने की उम्मीद जगी है। कुछ दिन पहले मेरे आठ साल के पोते पर कुत्तों ने हमला कर दिया था। जब तक लोग उसे बचाते, कुत्ते उसे घायल कर चुके थे। अस्पताल में सीरम भी उपलब्ध नहीं है, मैंने दिल्ली के एक अस्पताल में जाकर सीरम लगवाया। अब वह कुत्तों से डरता है।
- राधेश्याम शर्मा, गली नंबर आठ, सरस्वती विहार, सोनीपत
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