Sonipat News: प्राइवेट अस्पतालों में अब अकेले नहीं रहेंगे टीबी मरीज, स्वास्थ्य विभाग ने शुरू की नई पहल
सोनीपत स्वास्थ्य विभाग ने टीबी रोगियों के लिए नई पहल की है। प्राइवेट अस्पतालों में इलाज करा रहे मरीजों को भी गोद लिया जाएगा और उन्हें सभी सुविधाएं दी जाएंगी। विभाग ने एक एजेंसी से समझौता किया है ताकि मरीजों तक बेहतर पोषण और इलाज पहुंच सके। सरकार का लक्ष्य 2025 तक देश को टीबी मुक्त करना है और इस दिशा में विभाग लगातार काम कर रहा है।

जागरण संवाददाता, सोनीपत। स्वास्थ्य विभाग ने टीबी रोगियों के लिए जिले में एक महत्वपूर्ण पहल शुरू की है। अब प्राइवेट अस्पतालों में इलाज करा रहे टीबी मरीजों को भी स्वास्थ्य विभाग गोद लेगा और उन्हें सभी जरूरी सुविधाएं व सहायता उपलब्ध कराएगा। इसके लिए विभाग ने एक एजेंसी के साथ समझौता किया है, ताकि टीबी मरीजों तक बेहतर पोषण, इलाज और परामर्श की सुविधाएं सुचारु रूप से पहुंचाई जा सके।
सरकार द्वारा वर्ष 2025 तक देश को क्षयरोग (टीबी) मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इसी दिशा में स्वास्थ्य विभाग लगातार गतिविधियां कर रहा है। अधिकारियों के अनुसार अब तक टीबी मरीजों की देखरेख मुख्य रूप से सरकारी अस्पतालों में ही होती थी, लेकिन बड़ी संख्या में मरीज निजी अस्पतालों में इलाज कराते हैं, जो विभाग के रिकॉर्ड से बाहर रह जाते हैं।
टीबी मरीज को इलाज के लिए मिलता है भत्ता
अब सभी प्राइवेट अस्पतालों से समन्वय कर ऐसे मरीजों की जानकारी ली जाएगी और उन्हें विभाग के पोषण एवं आर्थिक सहायता कार्यक्रम से जोड़ा जाएगा। उन्होंने बताया कि सरकार की निक्षय पोषण योजना के तहत जिले के प्रत्येक टीबी मरीज को इलाज के दौरान प्रतिमाह 1000 रुपये का भत्ता दिया जा रहा है।
साथ ही उन्हें नियमित रूप से पौष्टिक किट भी दी जा रही हैं, जिनमें दलिया, मूंगफली, चना, गुड़, दूध पाउडर जैसी पोषक सामग्री शामिल होती है। यह कदम मरीजों को इलाज के दौरान पोषण और ऊर्जा देने में सहायक साबित हो रहा है।
नंबर गेम
- 2740 टीबी मरीजों का सरकारी अस्पताल में चल रहा है इलाज
- 1000 रुपये टीबी मरीजों को दिया जा रहा है मासिक भत्ता
- 2025 में जिले को टीबी मुक्त करने का रखा गया है लक्ष्य
हर स्वास्थ्य केंद्र पर टीबी की दवाएं
जिला अस्पताल सहित सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर टीबी मरीजों के लिए मुफ्त दवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। साथ ही विभाग की ओर से घर-घर जाकर संभावित मरीजों की पहचान के लिए स्क्रीनिंग और जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है।
बता दें कि टीबी पूरी तरह से ठीक होने वाली बीमारी है, बशर्ते मरीज समय पर जांच कराकर पूरा इलाज करें। समाज को भी आगे आकर टीबी मरीजों को मानसिक संबल और सामाजिक सहयोग देना चाहिए ताकि वे खुद को अकेला न महसूस करें।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा टीबी के 2740 मरीजों को नियमित रूप से निगरानी और सहायता प्रदान की जा रही है। नए फैसले के तहत अब प्राइवेट अस्पतालों के मरीज भी इस व्यवस्था में शामिल होकर लाभ उठा सकेंगे। इस पहल से जिले में टीबी के खिलाफ लड़ाई को नई मजबूती मिलने की उम्मीद है।
- डॉ. तरुण कुमार यादव, जिला क्षयरोग अधिकारी
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