किसानों के लिए सिरदर्द बना डाटा मिसमैच, फसल का भुगतान मिलने में आ रही बड़ी समस्या
सोनीपत में धान की फसल बेचने के बाद भी करीब 80 किसानों को भुगतान नहीं मिला है। मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर डाटा मिसमैच और केवाईसी पूरी न होने के कारण किसानों को कृषि विभाग के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि 400 शिकायतों में से 300 से अधिक का समाधान किया जा चुका है और बाकी का जल्द होगा।

जागरण संवाददाता, सोनीपत। धान की फसल मंडी में डालने व खरीद होने के बाद भी किसानों को उनकी फसल का भुगतान नहीं हुआ है। किसानों को फसल का भुगतान कराने के लिए कृषि विभाग के चक्कर काटने पड़ रहे हैं।
विभाग में केवाईसी पूरी नहीं होने व डाटा मिसमैच होने की बात कही जा रही है। मौजूदा समय में करीब 80 ऐसे किसान हैं, जिन्हें धान की फसल का भुगतान नहीं किया गया है। अधिकारियों का कहना है कि 400 से अधिक शिकायतें पहुंची थीं, जिनमें से 300 से अधिक का समाधान कर दिया गया है।
केवाईसी पूरी नहीं होने से अटकी पेमेंट
मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर डाटा मिसमैच किसानों के लिए सिरदर्द बन रहा है। सबसे अधिक परेशानी उन किसानों को हो रही है, जिन्होंने पहली बार पोर्टल पर पंजीकरण कराया है। उनकी केवाईसी पूरी नहीं होने से पेमेंट अटक गई है।
करीब 80 किसानों की फसल खरीद की पेमेंट अटकने पर वे कृषि विभाग के चक्कर काटने को मजबूर हो रहे हैं, ताकि उनकी भुगतान प्रक्रिया पूरी हो सके। अधिकारियों का कहना है कि कुछ किसानों के आधार नंबर, बैंक खाता विवरण या फसल क्षेत्रफल में त्रुटि पाई गई है, जिसकी वजह से भुगतान में अड़चन आई है।
शिविर लगाकर किया जा रहा समाधान
किसानों की समस्याओं को लेकर हर दिन शिविर लगाकर समाधान किया जा रहा है। जिन किसानों के दस्तावेज अधूरे या गलत पाए जा रहे हैं, उन्हें सही दस्तावेज लाकर दोबारा जमा करने के निर्देश दिए जा रहे हैं।
अधिकारियों का कहना है कि विभाग सभी किसानों की पेमेंट शीघ्र कराने को लेकर गंभीर है और लगातार प्रयासरत है। आगामी सीजन से पहले पोर्टल पर किसानों की जानकारी का एक बार पुनः सत्यापन अभियान भी चलाया जाएगा, ताकि भविष्य में ऐसी समस्याएं दोबारा न आएं।
जिले में करीब 400 किसानों की शिकायत मिली थी। 300 से अधिक मामलों का समाधान कर दिया गया है। करीब 80 किसानों की समस्याओं का भी जल्द समाधान किया जाएगा। अधिकतर मामलों में किसानों द्वारा पोर्टल पर डाटा सही तरीके से अपडेट न करना मुख्य कारण रहा है।
-डॉ. पवन शर्मा, उपनिदेशक, कृषि विभाग

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