सोनीपत में किसानों ने की महापंचायत, मुआवजे और खरीद प्रक्रिया पर जताई नाराजगी
सोनीपत में किसानों ने महापंचायत कर अपनी मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने लघु सचिवालय तक मार्च किया और जिला उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा। किसानों ने चीनी मिल की मरम्मत में देरी मुआवजे खाद वितरण और फसल खरीद जैसे मुद्दों पर नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने चेतावनी दी कि मांगें पूरी न होने पर आंदोलन तेज किया जाएगा।

जागरण संवाददाता सोनीपत। प्रदेश स्तरीय महापंचायत के आह्वान पर वीरवार को किसान सोनीपत की छोटूराम धर्मशाला में जुटे और अपनी विभिन्न मांगों को लेकर महापंचायत की और चर्चा की। इससे पहले किसान नेताओं के नेतृत्व में किसानों ने लघु सचिवालय तक विरोध मार्च निकाला। पंचायत के बाद किसान नेताओं ने अपनी मांगों को लेकर जिला उपायुक्त सुशील सारवान को ज्ञापन सौंपा।
किसान नेताओं ने चीनी मिल में मरम्मत कार्य में देरी को गंभीर समस्या बताया। उनका कहना था कि समय पर काम न होने से दिसंबर से पहले पेराई सत्र शुरू होने की संभावना नहीं है, जिससे किसानों को बड़ा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।
इसी के साथ किसानों ने हाईटेंशन तारों व खंभों से प्रभावित भूमि का सभी राज्यों में एक समान मुआवजा तय करने की मांग उठाई। महापंचायत में भूमि अधिग्रहण और खाद वितरण प्रणाली को लेकर भी नाराजगी जताई गई। किसानों ने आरोप लगाया कि खाद डीलर यूरिया और डीएपी के साथ अन्य सामान जबरन थोपते हैं। वर्षा से बर्बाद हुई कपास, बाजरा, धान व अन्य फसलों का विशेष गिरदावरी कराकर प्रति एकड़ 50 हजार रुपये मुआवजा देने की मांग भी की गई।
किसान नेता अभिमन्यु और वीरेंद्र पहल ने कहा कि बिना उचित मुआवजे और मंजूरी के भूमि अधिग्रहण स्वीकार नहीं किया जाएगा। किसानों ने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।
बाजरा व पीआर धान की सरकारी खरीद शुरू करने की मांग
मंडियों में बाजरा, कपास और पीआर धान की सरकारी खरीद शुरू करने की मांग को लेकर वीरवार को भारतीय किसान यूनियन चढूनी के बैनर तले किसानों ने लघु सचिवालय परिसर में धरना दिया। रोषित किसान सांकेतिक भूख हड़ताल पर भी बैठे और शाम चार बजे तक विरोध जताया।
किसान नेता सत्यवान ने बताया कि अब धान की फसल 90 दिनों में पक जाती है और किसान मंडियों में फसल लेकर पहुंच रहे हैं। बाजरे से मंडियां भरी पड़ी हैं, लेकिन सरकार ने अब तक खरीद प्रक्रिया शुरू नहीं की। उन्होंने वर्षा से हुए नुकसान का मुद्दा उठाते हुए क्षतिपूर्ति पोर्टल 30 सितंबर तक खोलने और गिरदावरी किसानों के सामने करने की मांग की।
किसानों ने आरोप लगाया कि गलत गिरदावरी के कारण उन्हें उचित मुआवजा नहीं मिलता है। उन्होंने सरकार को चेतावनी दी कि मांगें पूरी न होने पर आंदोलन और तेज किया जाएगा।
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