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    Sonipat Fraud: लंदन भेजने के नाम पर डाक्टर से 19 लाख रुपये से अधिक की ठगी, पुलिस ने केस दर्ज कर शुरू की जांच

    By Nand kishor BhardwajEdited By: Shyamji Tiwari
    Updated: Sun, 19 Feb 2023 06:46 PM (IST)

    डॉक्टर को विदेश में पढ़ाई के लिए भेजने का झांसा देकर एक ट्रैवल एजेंसी संचालक ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर साढ़े 19 लाख रुपये हड़प लिए। ठगी का अहसास होने पर स्वजनों ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।

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    लंदन भेजने के नाम पर डाक्टर से 19 लाख रुपये से अधिक की ठगी

    सोनीपत, जागरण संवाददाता। नागरिक अस्पताल में अनुबंध पर नियुक्त डॉक्टर को विदेश में पढ़ाई के लिए भेजने का झांसा देकर एक ट्रैवल एजेंसी संचालक ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर साढ़े 19 लाख रुपये हड़प लिए। कोरोना काल में रुपये देने के बाद अब तक आरोपितों ने डाक्टर को विदेश नहीं भेजा तो डाक्टर को ठगी का अहसास हुआ। डाक्टर के स्वजन ने तत्कालीन एसपी कार्यालय के साथ ही सिविल लाइन थाना पुलिस को शिकायत दी। पुलिस ने केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

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    हड़प लिए 19 लाख रुपये

    मुरथल स्थित दीनबंधु छोटूराम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मेडिकल सेंटर में अपने बेटे डा. रविंद्र दहिया के साथ रहने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता नफे सिंह दहिया ने बताया कि उनके पोते को लंदन भेजने के नाम पर साढ़े 19 लाख रुपये हड़प लिए गए।

    सिविल लाइन थाना पुलिस को दी शिकायत में अधिवक्ता ने बताया कि उनके बेटे डा. रविंद्र दहिया व डा. गीता दहिया का बेटा डा. पार्थ दहिया वर्ष 2019 में एमबीबीएस की पढ़ाई करने के बाद नागरिक अस्पताल में मेडिकल आफिसर (अनुबंध) के तौर पर कार्यरत है।

    लंदन भेजने के लिए मांगे थे 30 लाख रुपये

    दिसंबर, 2019 में उन्हें पता लगा कि दिल्ली का रहने वाला मंदीप आनंद जनकपुरी में युवाओं को स्प्रिंग ट्रैवल प्राइवेट लिमिटेड के नाम से कंपनी खोलकर इंग्लैंड व अन्य देशों में उच्च शिक्षा के लिए भेजता है। वह भी अपने पोते डा. पार्थ को लंदन भेजना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने मंदीप आनंद से संपर्क किया। मंदीप ने उन्हें दिल्ली की पारुल बंसल से मिलवाया था। दोनों ने उनके पोते को लंदन भेजने के लिए 30 लाख रुपये मांगे।

    इसके बाद मंदीप आनंद सोनीपत आकर उनसे मिला और कागज आदि तैयार करने के नाम पर दो लाख रुपये और उसके पोते के कुछ दस्तावेज ले गया। बाद में आरोपित ने विश्वविद्यालय की फीस, वीजा फीस के लिए रुपये मांगे। इस पर उन्होंने तीन जनवरी, 2020 को पारुल बंसल के आंध्रा बैंक शाखा के खाते में 12 लाख 50 हजार रुपये भेज दिए।

    कई बार में ऐठें लाखों रुपये

    इसके बाद पांच लाख रुपये दो मार्च, 2020 को मंदीप आनंद के खाते में भेजे गए। पारुल बसंल ने 17 फरवरी, 2020 को उनके खाते में साढ़े चार लाख रुपये वापस भेज दिए थे। हालांकि बाद में मंदीप सिंह यह राशि उनसे नकद लेकर चला गया। उसके बाद फिर से उन्होंने और नकदी मांगी।

    इस पर उन्होंने पोते को विदेश भेजने के लिए की गई कार्रवाई की जानकारी मांगी तो बोले की कोरोना के चलते लाकडाउन लग गया है।इसके बाद अब तक पोतो को बाद में उन्हें धोखाधड़ी का पता लगा। जिस पर पुलिस को शिकायत देकर सिविल लाइन थाना में मुकदमा दर्ज कराया।

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    बहाने बनाकर करते रहे गुमराह 

    अधिवक्ता ने पुलिस को बताया कि रुपये देने के बाद भी जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो उन्होंने मंदीप आनंद से बात की। इस पर वह कोरोना और लाकडाउन का बहाना बनाने लगा। बाद में लाकडाउन की समाप्ति के बाद भी पोते को इंग्लैंड भेजने के नाम पर कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया। वरिष्ठ अधिवक्ता ने पुलिस को बताया कि उन्होंने अपनी पुत्रवधू को मामले से अवगत कराया।

    इस पर उन्होंने अपने स्तर पर जांच की। तब पता लगा कि मंदीप आनंद पहले भी लोगों को ठगने के मामलों में संलिप्त रहा है। उसके खिलाफ दिल्ली पुलिस अपराध शाखा में 120 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज है।

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