लोक गायिका सरिता चौधरी ने हरियाणवी गायन में पाया था सम्मानित मुकाम
हरियाणवी रागनी की नामचीन गायिका की एकाएक मौत पर लोगों को भरोसा नहीं हो रहा है। रागनी गायन और लेखन में अपनी पहचान बनाने वाली सरिता चौधरी को चाहने वाला ...और पढ़ें

सोनीपत, जागरण संवाददाता। हरियाणवी रागनी की नामचीन गायिका की एकाएक मौत पर लोगों को भरोसा नहीं हो रहा है। रागनी गायन और लेखन में अपनी पहचान बनाने वाली सरिता चौधरी को चाहने वाला बड़ा वर्ग था। किसी कार्यक्रम में उनकी मौजूदगी ही लोगों की भीड़ जुटने की गारंटी होती थी। उनकी मौत पर लोगों को भरोसा नहीं हो रहा है।उनके दिलखुश अंदाज के चलते आत्महत्या करना जहां समझ में नहीं आ रहा है, वहीं बंद दरवाजों के अंदर हत्या के साक्ष्य अभी नहीं मिले हैं।स्वजनों ने किसी ने रंजिश होने से भी इंकार किया है।अब मामले की जांच पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर ही आगे बढ़ेगी।
सरिता चौधरी सेक्टर-12 स्थित प्राथमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापिका थीं। वह सेक्टर-15 में रहती थीं।आसपास के लोग उनको मधुर व्यवहार के चलते पसंद करते थे।उनकी पहचान हरियाणवी गायन की प्रमुख गायिकाओं में होती थी।उनको सबसे ज्यादा ख्याति हरियाणा की लोक कथाओं पर रागनी लिखने और गाने से हुई। वह सभ्यता के साथ रागनी गाने वाली गायिकाओं में शामिल थीं। सरिता चौधरी के नाम से ही रागनी पसंद करने वालों की भीड़ जुट जाती थी। लोगों ने बताया कि हरियाणा और आजादी का इतिहास उनकी रागनियों का मुख्य आधार होता था।
बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने, अशिक्षित महिलाओं के सामने आने वाली समस्याओं को उठाने और कन्या भूण हत्या को रोकने के प्रति लोगों को जागरूक करने वाली रागनी का गायन अक्सर होता था। पति के मौत के बाद उन्होंने खुद काे संभाला और बच्चों को शिक्षित करने पर अपना ध्यान केंद्रित किया।उनकी बेटी दिल्ली में रहकर यूपीएससी की तैयारी कर रही है। वही उनका बेटा साथ में रहता था, लेकिन घटना के समय वह घर पर नहीं था। उसके भाई ने दावा किया है कि उसकी बहन को किसी भी प्रकार की कोई टेंशन नहीं थी।
जांच अधिकारी एएसआइ कुलदीप सिंह ने बताया कि सरिता चौधरी के स्वजनों ने किसी से रंजिश होने या परिवार में तनाव होने से इंकार किया है। हमारी जांच पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर तय होगी। सरिता देवी का पोस्टमार्टम मंगलवार को किया जाएगा।

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