सोनीपत में स्कूल की जमीन की बोली में धांधली का इशारा, CM नायब सैनी तक पहुंची शिकायत
सोनीपत के गन्नौर में खिजापुर अहीर गांव के राजकीय उच्च विद्यालय की जमीन की बोली में गड़बड़ी का आरोप है। शिकायतकर्ता ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर जांच की मांग की है। आरोप है कि बोली प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं बरती गई और सरकारी धन का गबन किया गया। विजिलेंस जांच भी चल रही है।

जागरण संवाददाता, गन्नौर। गांव खिजापुर अहीर के राजकीय उच्च विद्यालय की एक एकड़ जमीन की बोली में गड़बड़ी की आशंका होने का मामला सामने आया है। इस मामले में एक शिकायतकर्ता ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को पत्र लिखकर पारदर्शिता की कमी और सरकारी धन के गबन का आरोप लगाया है। शिकायतकर्ता ने मामले की उच्च स्तरीय जांच कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई किए जाने की मांग की है।
भूमि सार्वजनिक उपयोग के लिए
शिकायतकर्ता गुमड़ के सहदेव सिंह ने बताया कि खिजरपुर अहीर गांव की स्कूल को करीब एक एकड़ भूमि दान में दी गई थी। पिछले वर्ष भूमि की स्कूल प्रबंधन द्वारा बोली प्रक्रिया गुप्त रूप से पूरी की गई। इस प्रक्रिया की न तो ग्राम सरपंच को कोई जानकारी दी गई और न ही स्कूल प्रबंधन समिति या गांव के चौकीदार को।
सरपंच ने अपने आधिकारिक पत्र पर लिखित में यह पुष्टि की कि उन्हें इस बोली की कोई सूचना नहीं थी। इसी तरह कूल समिति के प्रधान और चौकीदार ने भी लिखित में दिया कि उन्हें प्रक्रिया से अनभिज्ञ रखा गया। उन्होंने आशंका जताई कि भूमि दो वर्ष के लिए करीब 90 हजार रुपये के दामों पर दी गई, जबकि यह भूमि सार्वजनिक उपयोग के लिए है।
सहदेव सिंह ने आरोप लगाया कि बोली से प्राप्त राशि को जमीन की बोली में गड़बड़ी कराया गया, जिससे सरकार को आर्थिक नुकसान हुआ है। उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की कि मामले की निष्पक्ष जांच कर कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है।
विजिलेंस जांच भी चल रही
जमीन की बोली में गड़बड़ी की शिकायत मिलने पर इस मामले में स्कूल पर विजिलेंस जांच भी बैठाई जा चुकी है। विजिलेंस की टीम स्कूल में पहुंच कर जमीन का निरीक्षण करने के साथ ही स्कूल मुख्याध्यापक का पक्ष भी लिख कर ले जा चुकी है।
मुख्याध्यापक बोले, स्कूल के नाम नहीं है जमीन
इस संबंध में स्कूल मुख्याध्यापक बिजेंद्र सिंह ने बताया कि यह जमीन कई वर्ष पहले स्कूल को दान में तो गई थी, लेकिन आज तक यह स्कूल के नाम नहीं है। इस वजह से बोली से मिलने वाले रुपये सरकारी खजाने में जमा नहीं हो सकते। लंबे समय से ही जमीन की बोली इसी तरह की जा रही है।
जमीन की बोली से आने वाला पैसे से चौकीदार को 2500 रुपये प्रति माह वेतन दिया जाता है, क्योंकि स्कूल में कोई चौकीदार नहीं था। बोली से मिलने वाले रुपयों का सारा लेखा जोखा उनके पास लिखित में है। किसी तरह का कोई गबन नहीं किया जाता।
जमीन स्कूल की चार दिवारी से बाहर है जिसे साथ लगते किसानों को ही दामों पर दिया जाता है। उन्होंने विजिलेंस जांच में भी यही जवाब दिया है।
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