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    Pradosh Vrat 2025: प्रदोष व्रत करने से मिटते हैं सारे दोष, बनती है भगवान शिव की विशेष कृपा; जानें पूजा विधि

    Updated: Sat, 06 Sep 2025 04:56 PM (IST)

    गोहाना में महंत बाबा कमल पुरी ने प्रदोष व्रत का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि यह व्रत भगवान शिव की कृपा पाने के लिए श्रेष्ठ है जिससे दोष मिटते हैं और मन शांत रहता है। सितंबर 2025 का दूसरा प्रदोष व्रत 19 सितंबर को है। इस अवसर पर रुद्राभिषेक किया गया और भजनों का आयोजन हुआ जिसमें कई लोग शामिल हुए।

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    भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने को प्रदोष व्रत श्रेष्ठ : कमल पुरी।

    जागरण संवाददाता, गोहाना। शहर में पानीपत चुंगी के निकट डेरा बाबा लक्ष्मण पुरी के गद्दीनशीन महंत बाबा कमल पुरी ने कहा कि सनातन वैदिक धर्म में भगवान शिव के लिए हर महीने प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने और उनकी भक्ति के लिए श्रेष्ठ माना जाता है।

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    प्रदोष व्रत करने से सभी दोष मिटते हैं और मन शांत रहता है। उन्होंने यह बात श्रद्धालुओं को प्रवचन देते हुए कही। भगवान शिव के निराकार स्फटिक स्वरूप शिवलिंग पर रुद्राभिषेक किया गया। सितंबर 2025 का दूसरा प्रदोष व्रत 19 सितंबर, 2025 शुक्रवार को पड़ेगा।

    शारीरिक और आत्मिक शुद्धि मिलती है

    बाबा कमल पुरी ने कहा कि प्रदोष व्रत शारीरिक और आत्मिक शुद्धि प्रदान करता है। इससे मानसिक स्पष्टता और आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति होती है। यह व्रत हर महीने के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को रखा जाता है। इसमें भगवान शिव और पार्वती की पूजा की जाती है।

    भगवान शिव का अभिषेक करने के लिए रोहतक से वरिष्ठ भाजपा नेता डा. आदित्य बत्रा पहुंचे। गायिका सिमरन एवं गुड्डू भारद्वाज ने भजनों की प्रस्तुति दी। बाबा दिव्यानंद पुरी ने रुद्राभिषेक एवं गणेश पूजन करवाया। इस मौके पर नारायण पुरी, पुरुषोत्तम पुरी, रोकी बहल, सचिन कपूर, राजू बावा, विक्की, दीपक, रमन भाटिया रहे।

    प्रदोष व्रत की पूजन विधि

    व्रत के दिन व्रती सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं। इसके बाद मंदिर की साफ-सफाई कर गंगाजल का छिड़काव करें। एक चौकी पर साफ लाल कपड़ा बिछाएं। इसके बाद शिव जी और माता पार्वती की मूर्ति स्थापित कर दें। इसके बाद शिव जी को बेलपत्र, धतूरा, दूध, दही, शहद, घी और भांग आदि अर्पित कर दें।

    इसके बाद खीर, फल और हलवे आदि चढ़ाएं। पूजा में माता पार्वती को 16 शृंगार की सामग्री चढ़ाएं। पूजा के दौरान 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जप करें। अंत में दीपक जलाकर भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें और सभी लोगों में पूजा का प्रसाद बांटें।

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