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    बेबस चालक! 12 दिन से बिना डीजल के खड़ी एंबुलेंस, हरियाणा में मरीजों के सामने बड़ा संकट

    Updated: Fri, 18 Jul 2025 01:05 PM (IST)

    सोनीपत के खरखौदा अस्पताल में एंबुलेंस सेवा चरमरा गई है। दो में से एक एंबुलेंस 12 दिन से डीजल के बिना खड़ी है जिससे रेफर किए गए आधे मरीजों को निजी वाहनों से जाना पड़ रहा है। बकाया भुगतान न होने के कारण एंबुलेंस को डीजल नहीं मिल रहा। फ्यूल कार्ड में तकनीकी खराबी से समस्या और बढ़ गई है।

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    12 दिन से बिना डीजल के खड़ी है एंबुलेंस। जागरण

    हरीश भौरिया, खरखौदा (सोनीपत)। सोनीपत शहर के उपमंडल स्तरीय सामान्य अस्पताल में व्यवस्था को भी एंबुलेंस की दरकार है लेकिन, यहां व्यवस्था ऐसी है कि एंबुलेंस मरीजों को ही नहीं मिल पा रही। अस्पताल में मौजूद दो में से एक एंबुलेंस 12 दिन से बिना डीजल के खड़ी है।

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    वहीं, अस्पताल से रेफर होने वाले आधे मरीजों को ही एंबुलेंस मिल पा रही है। एंबुलेंस को डीजल नहीं मिलने का कारण पिछला बकाया का भुगतान नहीं होना है। अधिकारी इस मामले को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं और चालक की बेबसी है कि वह अपनी जेब से बकाया नहीं भर सकता।

    पिछले 12 दिनों में अस्पताल से 55 मरीजों को रेफर किया जा चुका है, एक एंबुलेंस बंद होने से आधे मरीजों को निजी वाहनों में दूसरे अस्पताल जाना पड़ा।

    स्वास्थ्य विभाग की तरफ से सड़क हादसे में घायल, गर्भवती महिलाओं को एंबुलेंस सेवा उपलब्ध करवाई जाती है, ताकि जल्द से जल्द उन्हें बेहतर चिकित्सकीय सुविधाएं मिल सके। ऐसे में छोटे अस्पताल से मरीज की गंभीर स्थिति को देखते हुए उन्हें बड़े अस्पताल पर रेफर कर दिया जाता है।

    इस सुविधा के लिए खरखौदा के सरकारी अस्पताल में दो एंबुलेंस उपलब्ध कराई गई है, लेकिन उनमें से एक में बीते 12 दिनों से डीजल नहीं होने के कारण वह खड़ी हुई है। मरीज रेफर होने पर उसका लाभ नहीं ले पा रहे हैं। आधे तीमारदारों को निजी वाहनोंं में अपने मरीजों को ले जाना पड़ रहा है। स्वास्थ्य विभाग के बनाए हुए नियम मरीजों की इस व्यवस्था पर भारी पड़ रहे हैं और खामियाजा मरीज भुगत रहे हैं।

    फ्यूल कार्ड से होती है पेमेंट

    स्वास्थ्य विभाग की एंबुलेंस को फ्यूल कार्ड से डीजल मिलता है और इसी कारण से पेमेंट होती है। एंबुलेंस चालक को पहले पंप पर जाकर गाड़ी में डीजल डलवाना होता है और जितने रुपयों का डीजल डलता है, वह मैसेज जिला स्तर पर बनाए गए केंद्र पर भेजना होता है।

    इसके बाद उतनी ही राशि उनके कार्ड में डाल दी जाती है, जिसे पंप पर स्वैप करवा दिया जाता है। एक एंबुलेंस में 12 दिन पहले फ्यूल कार्ड में पैसे डालने पर पंप पर कार्ड तकनीकी दिक्कत के चलते स्वैप नहीं हो पाया। ऐसे में कार्ड में डाली गई राशि भी स्वास्थ्य विभाग के खाते में वापस चली गई। अब न तो पिछली राशि कार्ड में भेजी जा रही है और न ही एंबुलेंस को डीजल मिल रहा है। बिना तेल के अस्पताल परिसर में खड़ी है। वहीं उसका चालक और हेल्पर खाली बैठे हैं।

    दूर से मंगवानी पड़ती है एंबुलेंस

    खरखौदा के सरकारी अस्पताल से बीते 12 दिनों में 55 मरीज रेफर किए गए हैं, जिसमें से पहले मरीज को तो एक एंबुलेंस लेकर सोनीपत या रोहतक ले जाती है लेकिन दूसरे मरीज को रेफर करने पर एंबुलेंस नहीं मिल पाती। ऐसे में सिसाना से एंबुलेंस मंगवानी पड़ती है। जिसमें काफी समय लगता है, जबकि आपात स्थिति में रेफर किए गए मरीज के लिए पल-पल कीमती होता है।

    अभी तक ऐसा मामला संज्ञान में नहीं आया है। मामले की जांच की जाएगी। यदि कोई एंबुलेंस बंद है तो उसे चालू कराया जाएगा। मरीजों को प्राथमिकता के साथ बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं दी जा रही हैं। - डा. संदीप लठवाल, उप सिविल सर्जन, सोनीपत

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