Yamuna Flood: सोनीपत में यमुना के पानी ने तोड़ा 47 साल का रिकॉर्ड, इस बार सबसे ज्यादा
गोहाना में भारी बारिश से बाढ़ जैसे हालात हो गए हैं जिससे सरकारी कार्यालयों और दुकानों में पानी घुस गया। यमुना नदी का जलस्तर 1978 के बाद सबसे अधिक दर्ज किया गया है जिससे किसानों को नुकसान की आशंका है। गोहाना में 30 साल बाद फिर से 1995 जैसे बाढ़ के हालात बने हैं जिससे फसलें डूब गई हैं और शहर जलमग्न हो गया है।

सतीश शर्मा, राई। यमुना में जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। वर्ष 1978 से अब तक 47 वर्ष में बुधवार को जलस्तर सबसे अधिक दर्ज किया गया। हथनीकुंड बैराज से अधिक पानी छोड़े जाने से इस बार किसानों को अधिक नुकसान की आशंका है क्योंकि पानी के तेज बहाव के कारण जमीन का अधिक कटाव हुआ है। वहीं गोहाना में तीन सितंबर,1995 के बाढ़ जैसे हालात बने हुए हैं। गोहाना और आसपास के क्षेत्र में फसलें पानी में डूबी हुई हैं।
वर्ष 1978 में यमुना में आई विनाशकारी बाढ़ के बाद बुधवार को यमुना का जलस्तर सर्वाधिक रिकॉर्ड किया गया। उस समय जलस्तर 212.3 मीटर रिकॉर्ड किया गया था। जिले के दहीसरा गांव के निकट स्थित जीराे प्वाइंट पर यमुना खतरे के निशान से भी लगभग पौने दो मीटर ऊपर बह रही है।
जीरो प्वाइंट के निकट पल्ला गांव की सीमा पर दिल्ली सरकार के सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग द्वारा स्थापित चेक पोस्ट पर दर्ज आंकड़ों के मुताबिक तीन सितंबर को सुबह आठ बजे यमुना का जलस्तर 213.5 मीटर रहा।
हथनीकुंड बैराज से लगातार छोड़े जा रहे पानी से जिले के यमुना खादर में बाढ़ की स्थिति में अभी सुधार की गुंजाइश कम है। हरियाणा सिंचाई विभाग के दिल्ली स्थित कार्यालय में एसडीओ मुकेश का कहना है कि बुधवार सुबह नौ बजे जलस्तर में तीन इंच की कमी हुई है।
वर्ष जलस्तर मीटर में
- 1978
-- -- -- -- -- -212.3 - 1988
-- -- -- -- -- -213.2 - 1995
-- -- -- -- -- -212.8 - 2019
-- -- -- -- -- -212.1 - 2022
-- -- -- -- -- -211.1 - 2025
-- -- -- -- -- -213.5
30 साल बाद वही दिन और महीना, फिर बाढ़ जैसे हालात
ठीक 30 साल बाद सितंबर का महीना और वही दिन, जिसमें गोहाना में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। तीन दिन में गोहाना में औसतन 106 एमएम वर्षा हो चुकी है। बुधवार सुबह हुई तेज वर्षा से पूरा शहर जलमग्न हो गया और कई सरकारी कार्यालयों, निजी भवनों और दुकानों में पानी घुस गया।
शहर में अतिरिक्त वर्षा जल की निकासी करने वाले विभाग नगर परिषद के खुद के कार्यालय की छत तक टपकने लगी। क्षेत्र के कई गांवों के खेतों में फसलें डूब गई हैं। ड्रेन आठ में भी किनारों तक पानी पहुंच गया है, जिससे शहर के लोगों की धड़कन तेज हो गई।
1995 में सितंबर के शुरुआत के साथ ही वर्षा होने लगी थी। बुजुर्ग जयनारायण, महावीर व सतबीर ने बताया कि उस समय तीन सितंबर से तेज वर्षा शुरू हुई थी और लगातार तीन दिन तक चली थी। जिसके बाद गोहाना शहर व क्षेत्र के अधिकतर गांवों में बाढ़ आ गई थी।
शहर के बीच से गुजर रही ड्रेन आठ ओवरफ्लो हो गई थी और पूरे बाहरी हिस्से में मकानों व दुकानों में पानी में भर गया था। अब 30 वर्ष बाद उसी उसी तरह के हालत बन गए हैं। इस बार भी सितंबर के शुरूआत में ही तेज वर्षा शुरू हुई है। ड्रेन आठ में लगभग तीन हजार क्यूसेक पानी बह रहा है।
ड्रेन में किनारों तक पानी पहुंच गया है और कहीं भी मिट्टी का कटाव होने पर भारी नुकसान हो सकता है। बुधवार सुबह हुई तेज वर्षा से पूरा शहर जलमग्न हो गया और सड़कें तालाब बन गईं।
सिविल रोड स्थित डीसीपी आवास, बीडीपीओ कार्यालय, मत्स्य विभाग, बागवानी विभाग, पुराने उपमंडलीय परिसर में पानी भर गया। शाम तक पूरी तरह से पानी की निकासी नहीं हो पाई। गांव बनवासा, धनाना, कथूरा, रिंढाना, छपरा, रभड़ा समेत कई गांवों के खेतों में फसलें डूब गई हैं। क्षेत्र में छह हजार एकड़ से अधिक में जलभराव हो गया है।
गांव जुआं में एक हजार एकड़ में भरा पानी
गांव जुआं में एक हजार से अधिक एकड़ में फसलों में पानी भर गया है। किसानों के अनुसार फसलों में तीन फीट तक पानी भर गया है। कई जगह फसलें जलमग्न हो गई हैं। किसानों के अनुसार जुआं मानइर की खोदाई नहीं हुई है और पिछले गांवों के खेतों से आने वाला पानी उनके खेतों में आकर भर गया।
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