IIT के इंजीनियर गौरव का कमाल, सेना के जवानों के कंधों से बोझ घटाएगा Hanumanta Exo 1 Armor
IIT इंजीनियर गौरव ने 'हनुमंता एक्सो 1 आर्मर' बनाया है, जो भारतीय सेना के जवानों के लिए मददगार होगा. यह उपकरण सैनिकों के कंधों से बोझ कम करेगा और उन्हे ...और पढ़ें
-1766070387835.webp)
इंजीनियर गौरव ने सैनिकों के लिए हनुमंता एक्जो-1 कवच बनाया, जो उनके कंधों पर वजन को 80-90% तक कम कर देगा। जागरण
नंदकिशोर भारद्वाज, सोनीपत। सेना के जवान विषम परिस्थितियों में देश की रक्षा के लिए भारी-भारी हथियार, सामान से भरे वजनी बैग, अन्य उपकरण लेकर घंटों तक रेगिस्तान, बर्फीली पहाड़ियों व दुर्गम जंगलों में गश्त करते हैं। घंटों भारी वजन के बैग व हथियार लेकर चलने के कारण उनके घुटनों व पीठ में दर्द की समस्याएं भी होती हैं। लेकिन उनकी इस समस्या का समाधान करने को इंजीनियर गौरव ने हनुमंता एक्जो-1 कवच तैयार किया है।
जी, अपने नाम हनुमंता उपकरण सैनिकों के कंधों पर लदे वजन को 80-90 प्रतिशत तक कम कर देगा। यानी यदि जवानों 60 किलो तक वजन उठाया हुआ है तो इस उपकरण को लगाने से यह महज 10 किलो रह जाएगा। मूल रूप से कोटा निवासी गौरव द्वारा तैयार किए गए इस उपकरण का भारतीय रक्षा विश्वविद्यालय के अधिकारियों के जरिये सेना व डीआरडीओ के समक्ष इसका प्रेजेंटेशन हो चुका है। जहां इसे सेना के उपयोगी तो बताया ही गया है इसे एआइ से लैस करने का भी सुझाव दिया गया है। इसके पेटेंट की प्रक्रिया अगले माह 15 जनवरी के बाद शुरू होगी।
ऐसे वजन कम करेगा हनुमंता एक्जो-1
एआइसी आइआइटी दिल्ली के छात्र गौरव के अनुसार हनुमंता एक्जो-1 नाम का यह उपकरण गांधीनगर स्थित भारतीय रक्षा विश्वविद्यालय और एडवांस इमेजिंग सेंटर (एआइसी) आइआइटी दिल्ली के सहयोग से दो साल में तैयार किया गया है। इस उपकरण को सेना ने भी सराहा है। गर्दन, पीठ से लेकर जूतों तक पहना जाने वाला यह उपकरण सैनिकों की पीठ पर लादे जाने बैग का वजन 80 प्रतिशत तक कम देगा।
ये उपकरण डेल्टा स्प्रिंग सिस्टम के आधार पर काम करता है, जो भार को अर्थिंग प्रक्रिया के तहत नीचे पीठ की ओर से जमीन की ओर भेजता है। जैसे ही सैनिक इस उपकरण को पहनकर चलेंगे यह पीठ पर लदे भार को जूतों के जरिये घटाते उसे जमीन भेज देता है, जैसे करंट के लिए अर्थिंग की जरूरत होती है।
स्प्रिंग से बना यह उपकरण मानव शरीर के मसल्स सिस्टम की तरह काम करता है। चलने के दौरान पैरों की मूवमेंट के साथ एडजस्ट होकर यह वजन घटाने में सहायक होता है। गौरव के अनुसार वर्ष 2023 में एआइसी आइआइटी दिल्ली के सोनीपत स्थित इस कैंपस में इस उपकरण को बनाने पर काम शुरू किया था, अब उपकरण बनकर तैयार हो चुका है।
पिता ने दी थी सलाह
गौरव बताते हैं कि पिता सतेंद्र राय सेना में अधिकारी थे। अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं। लंबे समय तक पीठ पर भारी-भारी बैग लादकर गश्त करने से अब उनके घुटनों व पीठ में दर्द की अब भी समस्या है। पिता ने ही सेना में और भी जवानों को ऐसी परेशानी का सामना करना पड़ताल है ये बताया। जवानों की इसी परेशानी को देखते हुए ही ऐसा उपकरण बनाने का विचार आया था। अब यह उपकरण बनकर तैयार है।
सोनीपत कैंपस में ऐसे स्टार्टअप्स को बढ़ावा दिया जाता है, जिनका मानव जीवन से सीधे जुड़ाव हो। और जो लोगों के जीवन को सरल व सुविधाजनक बनाने में अहम भूमिका निभाएं। हम स्टार्टअप्स विकसित करने में फंड, गाइडेंस व अन्य सुविधाएं मुहैया कराते हैं। शोधार्थियों के यूनीक आइडिया को एक प्रोडक्ट बनाने तक हम मदद करते हैं।
- आलोक पांडेय, सीईओ, एआइसी आइआइटी दिल्ली

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।