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    अब मिठाइयों का रंग भी सेहतमंद, निफ्टेम ने बनाया करकुमिन बेस्ड नेचुरल कलर; सिंथेटिक कलर होंगे बंद

    Updated: Fri, 24 Oct 2025 12:53 AM (IST)

    मिठाईयों के रंग को लेकर खुशखबरी है। निफ्टेम ने करकुमिन आधारित नेचुरल कलर बनाया है, जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। इससे सिंथेटिक रंगों का इस्तेमाल बंद होगा। यह आविष्कार मिठाई उद्योग में एक बड़ा बदलाव लाएगा, जिससे मिठाईयां स्वादिष्ट और सेहतमंद होंगी।

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    विष्णु कुमार, सोनीपत। त्योहारों पर बाजारों में सजे मिष्ठान अब केवल स्वाद ही नहीं, बल्कि सेहत का भी प्रतीक बनेंगे। अब तक मिठाइयों को पीला रंग देने के लिए जिस सिंथेटिक कलर का इस्तेमाल किया जाता था, वह धीरे-धीरे इतिहास बनने जा रहा है। कुंडली स्थित राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमिता एवं प्रबंधन संस्थान (निफ्टेम) के प्रोफेसर डाॅ. प्रारब्ध व छात्रा सेबा साहिर ने ऐसा नेचुरल कलर विकसित किया है जो पूरी तरह केमिकल-रहित और सेहत के लिए लाभकारी भी है। इसे हल्दी से बनाया गया है लेकिन इसके इस्तेमाल से बनी मिठाइयों से हल्दी की सुगंध नहीं आएगी।

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    निफ्टेम-के में फूड साइंस एंड टेक्टनोलाॅजी के एसोसिएट प्रोफेसर डाॅ. प्रारब्ध बड़गूजर ने बताया कि उनकी टीम ने करीब छह महीने की निरंतर मेहनत के बाद यह अनोखा प्रयोग सफल किया है। इस नेचुरल कलर को करकुमिन से तैयार किया है, जो हल्दी का मुख्य सक्रिय तत्व है। यही तत्व हल्दी को पीला रंग देता है और शरीर में एंटीआक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी और इम्यूनिटी बूस्टिंग जैसे गुणों के लिए जाना जाता है।

    इसके लिए हल्दी की गांठों को उबालकर सोलवेंट एक्सट्रेक्शन एंड क्रिस्टलाइजेशन प्रक्रिया से करकुमिन को अलग किया जाता है। यह मार्केट में उपलब्ध है, लेकिन इसका प्रयोग अब तक केवल टेबलेट में ही किया जाता है, फूड फार्मेट में नहीं। उन्होंने कहा कि हमने इसके प्रयोग से लड्डू के लिए रंग तैयार किया है। इसका प्रयोग जलेबी, रस मलाई, बूंदी व मोतीचूर के लड्डू में किया जा सकता है।

    सितंबर में इस फार्मूले का पेटेंट आवेदन भी किया था, जो अब पब्लिश हो चुका है। प्रो. प्रारब्ध ने कहा कि हमारा उद्देश्य सिर्फ रंग बदलना नहीं, बल्कि उपभोक्ताओं को एक सुरक्षित विकल्प देना है। यह शोध मिठाई उद्योग के लिए बेहद उपयोगी साबित होगा।

    शरीर के लिए हानिकारक होते हैं सिंथेटिक कलर

    प्रो. डा. प्रारब्ध बताते हैं कि अब तक मिठाइयों में प्रयोग होने वाले सिंथेटिक कलर में प्रयोग होने वाला टारटाजिन न केवल स्वाद को प्रभावित करता है, बल्कि शरीर के लिए हानिकारक भी साबित होते थे। लंबे समय तक इनका सेवन लीवर, किडनी, अस्थमा और हार्मोनल असंतुलन जैसी दिक्कतें पैदा कर सकता है। हमारी टीम ने यह सुनिश्चित किया कि नया नेचुरल कलर न तो मिठाई के स्वाद को बदले और न ही किसी तरह की अतिरिक्त सुगंध छोड़े। इसके उपयोग से लड्डू को वही आकर्षक पीला रंग मिलेगा, लेकिन वह अब पूरी तरह से स्वास्थ्यवर्धक भी होगा।

    करकुमिन युक्त मिठाई सेहतमंद

    डाॅ. बड़गूजर ने बताया कि करकुमिन के इस्तेमाल से बनी मिठाई एंटी वायरल होने के साथ ही लीवर की हेल्थ सुधारेगी, याददाश्त बढ़ाएगी और इम्यून सिस्टम को भी बेहतर करेगी। उन्होंने बताया कि नेचुरल कलर को वैज्ञानिक पद्धति से स्थिर करने के लिए इसमें फूड-ग्रेड बाइंडिंग एजेंट और ड्राइंग तकनीक का प्रयोग किया गया है, जिससे यह लंबे समय तक सुरक्षित रह सके।

    वैश्विक पहचान दिलाने में मददगार होगी

    संस्थान के डायरेक्टर डाॅ. हरिन्द्र सिंह ओबराय ने बताया कि यह उपलब्धि भारत को नेचुरल फूड कलरिंग टेक्नोलाजी के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान दिला सकती है। आने वाले समय में यह तकनीक मिठाई उद्योग में सिंथेटिक रंगों पर निर्भरता को कम कर देगी। यह नवाचार असली मिठास में सेहत का स्वाद भी जोड़ने का काम करेगा।