लोगों को झांसे में लेकर साइबर ठगी करने वाले गिरोह के तीन सदस्य गिरफ्तार
साइबर थाना रोहतक रेंज की टीम ने तीन साइबर ठगों को गिरफ्तार किया है। वह दिल्ली में बैठे सरगना के इशारे पर लोगों को झांसे में लेकर उनके बैंक में खाते खुलवाकर एटीएम ले लेते थे। उसके बाद में दिल्ली में बैठा सरगना और उसके साथी उन खातों में रुपये डलवाते जिन्हें आरोपित निकलवाकर सरगना तक पहुंचाते थे।

संवाद सहयोगी, गन्नौर (सोनीपत) : साइबर थाना, रोहतक रेंज की टीम ने तीन साइबर ठगों को गिरफ्तार किया है। वह दिल्ली में बैठे सरगना के इशारे पर लोगों को झांसे में लेकर उनके बैंक में खाते खुलवाकर एटीएम ले लेते थे। उसके बाद में दिल्ली में बैठा सरगना और उसके साथी उन खातों में रुपये डलवाते, जिन्हें आरोपित निकलवाकर सरगना तक पहुंचाते थे। गिरफ्तार आरोपित गांव चिटाना का अनिल सोलंकी, पानीपत के गांव जौरासी का आकाश उर्फ टाटर और मयूर विहार सोनीपत का हितेश है। उनसे एटीएम कार्ड, नकदी व मोबाइल बरामद हुए हैं। पुलिस ने हितेश को सात दिन के रिमांड पर लिया और अन्य दोनों को जेल भेज दिया है।
साइबर थाना रोहतक रेंज में नियुक्त इंस्पेक्टर धनबीर सिंह ने बताया कि वह बुधवार रात को मुरथल क्षेत्र में गश्त कर रहे थे। उनको जानकारी मिली कि सुखदेव ढाबे के पास एटीएम से कुछ युवक रोज रुपये निकालते हैं। हितेश और उसके दो-तीन साथी अक्सर सुखदेव और आसपास के ढाबों पर आते हैं। शक जताया गया कि यह युवक कोई ठगी करते हैं। इसी दौरान कार सवार युवक आए तो पुलिस ने उनकी कार का पीछा कर आरोपितों को गढ़ी कलां पुल गन्नौर से दबोच लिया। कार से अनिल सोलंकी, आकाश उर्फ टाटर और हितेश को पकड़ा गया। उनके कब्जे से 12 एटीएम कार्ड, 24 हजार रुपये व आठ मोबाइल बरामद किए गए। पुलिस ने तीनों आरोपियों को अदालत में पेश कर सात दिन के रिमांड पर लिया है। पुलिस उनसे गहनता से पूछताछ करेगी।
लालच देकर खुलवाते थे खाते
इंस्पेक्टर धनबीर सिंह ने बताया कि वह आनलाइन ठगी करने वाले गिरोह के लिए काम करते हैं। उनका काम लोगों को झांसे में लेकर उनके खाते खुलवाना था। उसके बाद वह उन खातों के एटीएम कार्ड ले लेते थे। वह खातों के नंबर गिरोह के सरगना को देते थे। वह साइबर ठगी कर उन खातों में रुपये डाल लेते थे जिन्हें गिरोह के सोनीपत में बैठे सदस्य एटीएम कार्ड से निकलवाकर अपने सरगना को पहुंचाते थे।
हितेश था अनिल और आकाश का बास
पुलिस जांच में सामने आया है कि अनिल सोलंकी और आकाश हितेश के नीचे काम करते थे। हितेश ही लोगों को झांसे में लेकर उनके दस्तावेजों के आधार पर फर्जी अकाउंट खुलवाता था। उसने सभी खाते राजस्थान के विभिन्न बैंकों में खुलवा रखे थे। उसने खातों के एटीएम को अनिल और आकाश को दे देता था। अनिल व आकाश एटीएम बूथ पर जा कर एटीएम से राशि निकाल कर हितेश को थमा देते थे। इसके बाद हितेश उन रुपयों में 15 प्रतिशत अपने पास रखते जबकि पांच-पांच प्रतिशत अनिल और आकाश को देता और बाकी की राशि दिल्ली बैठे मुख्य गिरोह तक पहुंचाने का काम करता था। आरोपितों में आकाश सबसे ज्यादा पढ़ा-लिखा है। आकाश एलएलबी है और हाल में एक निजी विश्वविद्यालय से एलएलएम कर रहा है। वहीं अनिल सोलंकी ग्रेजुएट है। उनका मास्टरमाइंड हितेश दसवीं पास है।
दिल्ली का गिरोह करता है ठगी जांच में सामने आया है कि गिरोह के सदस्य फर्जी बैंक कर्मचारी बनकर लोगों को फोन अथवा इंटरनेट मीडिया के माध्यम से ठगी का शिकार बनाकर उन रुपयों को फर्जी खातों में ट्रांसफर करने का काम करते हैं। पुलिस अब उस गिरोह तक पहुंचने का प्रयास कर रही है।
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