बेटियों के सपनों को दे रहे उड़ान, फुटबॉल कोच सुनील राठी की खूब हो रही तारीफ
गन्नौर के सुनील राठी, अपने निजी खर्च पर, ग्रामीण लड़कियों को फुटबॉल का मुफ्त प्रशिक्षण दे रहे हैं। वे न केवल प्रशिक्षण देते हैं, बल्कि खेल सामग्री और पौष्टिक आहार भी प्रदान करते हैं। राजीव गांधी खेल परिसर की खराब हालत के बावजूद, वे मैदान का रखरखाव करते हैं। उनकी शिष्याएं राज्य स्तर पर अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं, और राठी का मानना है कि सही अवसर मिलने पर बेटियां देश का नाम रोशन करेंगी।
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आशीष मुदगिल, गन्नौर (सोनीपत)। सोनीपत में गन्नौर के गांव भोगीपुर के रहने वाले फुटबाल कोच सुनील राठी ग्रामीण खेल प्रतिभाओं को तराशने के लिए दिन-रात पसीना बहा रहे हैं। वे खिलाड़ियों को दिशा देने और बेटियों को खेल मैदान तक पहुंचाने का बीड़ा उठाए हुए हैं।
उन्होंने अपने खर्च पर ऐसा मिशन शुरू किया है, जिसने गांवों की बेटियों के सपनों को नई उड़ान दी है। राठी वर्तमान में गांव राजलू गढ़ी स्थित राजीव गांधी ग्रामीण खेल परिसर में आसपास के गांवों के अलावा सोनीपत व पानीपत की 50 से अधिक बेटियों को पूरी तरह नि:शुल्क फुटबाल प्रशिक्षण दे रहे हैं। यही नहीं, खिलाड़ियों को खेल सामग्री की कमी न झेलनी पड़े, इसके लिए वह फुटबाल किट, जूते और जुराब भी देते हैं। सप्ताह में एक बार खिलाड़ियों को फ्रूट डाइट भी उपलब्ध कराई जाती है, ताकि उनकी फिटनेस स्तर लगातार मजबूत रहे।
मैदान का रखते हैं रखरखाव
राजीव गांधी ग्रामीण खेल परिसर की जर्जर व्यवस्था भी उनके जज्बे के आगे फीकी पड़ जाती है। टूटी खिड़कियां, खराब शौचालय, बिजली–पानी की दिक्कत के बावजूद सुनील राठी का हौसला मजबूत है। मैदान की सफाई, घास की कटाई और बुनियादी रखरखाव का जिम्मा भी वह खुद उठाते हैं। सुबह और शाम दोनों वक्त वह मैदान में मौजूद रहते हैं, ताकि खिलाड़ियों को अभ्यास में किसी तरह की परेशानी न हो। सोनीपत व पानीपत से भी अब खिलाड़ी यहां पहुंच रहे हैं।
राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में छा रहीं शिष्याएं
सुनील राठी की मेहनत का असर मैदान में साफ दिखाई दे रहा है। उनके मार्गदर्शन में तैयार खिलाड़ी लगातार विभिन्न प्रतियोगिताओं में बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं। हरियाणा ओलिंपिक गेम्स में सोनीपत टीम में उनकी तीन खिलाड़ी हिस्सा ले चुकी हैं और दमदार प्रदर्शन किया है।
इसके अलावा खेल महाकुंभ में भी उनकी लड़कियों ने प्रभावशाली खेल दिखाया। स्कूल स्टेट प्रतियोगिताओं में अंडर-17 आयु वर्ग में 10 खिलाड़ी स्टेट स्तर तक पहुंचीं। अंडर-19 में एक खिलाड़ी ने राज्य स्तर पर जगह बनाई।
बेटियां अवसर पाएंगी तो अंतरराष्ट्रीय स्तर तक जाएंगी
सुनील राठी का कहना है कि प्रशिक्षण देना उनके लिए सिर्फ खेल तक सीमित नहीं है बल्कि खिलाड़ियों में आत्मविश्वास और लड़ने का जज्बा पैदा करना है। यदि बेटियों को सही अवसर मिले तो वे देश का नाम रोशन करने से पीछे नहीं हटेंगी। ग्रामीण क्षेत्रों की दर्जनों बेटियों के जीवन में नई रोशनी बनकर उभर रही हैं। उनका कहना है कि बेटियां बहुत प्रतिभाशाली होती हैं, बस सही अवसर और मार्गदर्शन की जरूरत होती है।
सहयोगियों का भी बड़ा योगदान
सुनील राठी बेटियों को खेल के माध्यम से आगे बढ़ाने के अपने मिशन में अकेले नहीं हैं। उनके साथ चार–पांच सहयोगी ऐसे हैं, जो हर कदम पर बढ़-चढ़कर उनका साथ दे रहे हैं। सुनील राठी ने बताया कि मैदान को तैयार रखने से लेकर खिलाड़ियों की जरूरतें पूरी करने में उनके साथी लगातार सक्रिय रहते हैं।
यही वजह है कि बेटियों को न केवल सुरक्षित और अनुशासित माहौल मिलता है, बल्कि उन्हें वह सभी सुविधाएं भी मिल रही हैं, जिनकी बदौलत वे खेल में लगातार आगे बढ़ रही हैं। सुनील राठी का कहना है कि उनके सहयोगियों के बिना यह अभियान इतनी मजबूती के साथ आगे नहीं बढ़ पाता।

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