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    प्रदूषण फैला रही पांच डाइंग यूनिटों पर कार्रवाई, सील कर बिजली कनेक्शन भी काटे

    Updated: Sat, 08 Nov 2025 08:34 AM (IST)

    प्रदूषण फैलाने वाली पांच डाइंग यूनिटों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आदेश पर इन इकाइयों को सील कर दिया गया है और इनके बिजली कनेक्शन भी काट दिए गए हैं। यह कदम पर्यावरण को बचाने और प्रदूषण को नियंत्रित करने के उद्देश्य से उठाया गया है।

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    बड़ी औद्योगिक क्षेत्र में डाइंग यूनिटों को सील करते कर्मचारी। जागरण

    जागरण संवाददाता, सोनीपत। एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर शुक्रवार अधिकारियों की टीम ने बड़ी औद्योगिक क्षेत्र में जांच की। प्रदूषण फैलाती मिली पांच डाइंग यूनिटों को सील करते हुए उनके बिजली के कनेक्शन काटे गए। दिल्ली से कमीशन फार एयर क्वालिटी मैनेजमेंट, हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और बिजली निगम के अधिकारियों ने संयुक्त निरीक्षण किया।

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    टीम को पांचों डाइंग यूनिटों में प्रदूषण नियंत्रण के उपकरण काम करते नहीं मिले। अब इन उपकरणों में सुधार के बाद ही इन यूनिटों को दोबारा शुरू करने की अनुमति दी जाएगी।

    आरओ अजय मलिक ने बताया कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की फ्लाइंग स्क्वाड ने सितंबर और अक्तूबर में बड़ी औद्योगिक क्षेत्र का निरीक्षण किया था। औचक निरीक्षणों के बाद टीमें शुक्रवार को दोबारा यहां पहुंची और अपने निरीक्षण में इन इकाइयों में वायु प्रदूषण नियंत्रण उपकरणों में गंभीर खामियां पाई गई।

    शुक्रवार को टीमों ने दोबारा पांचों डाइंग यूनिटों का दौरा किया। फ्लाइंग स्क्वाड ने निरीक्षण के दौरान पाया कि कुछ इकाइयों में एयर पाल्यूशन कंट्रोल डिवाइसेस या तो निष्क्रिय अवस्था में थे या सही तरीके से कार्य नहीं कर रहे थे। कई यूनिटों में गैस स्क्रबर, फ्ल्यू गैस ट्रीटमेंट और फिल्ट्रेशन सिस्टम बंद पाए गए, जिससे धुएं और रासायनिक गैसों का उत्सर्जन सीधा वायुमंडल में हो रहा था।

    इसके अलावा, कुछ इकाइयों ने आपरेशनल डाटा रिकार्ड और एमिशन मानिटरिंग सिस्टम भी मेंटेन नहीं किया हुआ था। इस पर पांच यूनिटों को को सील कर दिया गया और इनकी बिजली आपूर्ति भी काट दी गई।

    कमियां दूर करने के निर्देश

    सीएक्यूएम के निर्देशों के अनुसार, इन इकाइयों को तब तक संचालन की अनुमति नहीं दी जाएगी जब तक वे अपनी सभी कमियों को दूर नहीं कर लेतीं। फ्लाइंग स्क्वाड की ओर से खामियों की रिपोर्ट पांचों यूनिटों को सौंप दी गई है और उन्हें एयर पाल्यूशन कंट्रोल डिवाइस की मरम्मत के निर्देश दिए गए हैं। मानक पूरे करने के बाद इन यूनिटाें को दोबारा संचालन की मंजूरी दी जाएगी।

    फैक्ट्रियां उगल रहीं धुआं

    ग्रेप-2 की पाबंदियों के बावजूद जिले में वायु प्रदूषण रोकने के प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। जिले के औद्योगिक इलाकों में धुआं उगलती चिमनियों और खुले में जलते कूड़े ने हालात बिगाड़ दिए हैं। शुक्रवार को सीपीसीबी के अनुसार एयर क्वालिटी इंडेक्स 257 दर्ज किया गया, जिससे हवा की गुणवत्ता खराब श्रेणी में बनी हुई है। इससे बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा के रोगियों को स्वास्थ्य जोखिम बढ़ जाता है।

    खुले में जल रहा फैक्ट्रियों का कचरा

    राठधाना रोड के पास खुले मैदान में फैक्ट्रियों का कूड़ा जलाया जा रहा है। आसपास के इलाकों में धुआं फैल गया, जिससे लोगों को सांस लेने में परेशानी हुई। लोगों ने बताया कि कई फैक्ट्री संचालक रात में ट्रक भरकर अपशिष्ट को खेतों के पास या खाली प्लाटों में डाल देते हैं और बाद में आग लगा देते हैं, ताकि जांच से बचा जा सके।

    गांव वालों का कहना है कि रोजाना सुबह हवा में धुएं की गंध और आंखों में जलन महसूस होती है। प्रशासन की टीमें कभी-कभी जांच करती हैं, लेकिन सख्त कार्रवाई न होने से ये सिलसिला जारी है।

    मुरथल, कुंडली और बड़ी इंडस्ट्रियल एरिया के अलावा ओल्ड डीसी रोड, बस स्टैंड और सेक्टर-23 के आसपास धूल और धुएं का स्तर सामान्य से कई गुना अधिक पाया गया है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों ने बताया कि जिले में ग्रेप-2 के तहत सभी निर्माण कार्यों, डीजल जेनरेटरों के प्रयोग और खुले में कूड़ा जलाने पर प्रतिबंध लागू है। अवहेलना करने वालों पर कार्रवाई जारी है।