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    महत्वाकांक्षा पूरी करने के लिए नियोजित प्रयास जरूरी

    By Edited By:
    Updated: Thu, 13 Oct 2016 06:40 PM (IST)

    जीवन में आगे बढ़ने के लिए महत्वाकांक्षी होना बेहद जरूरी है। महत्वाकांक्षाओं को जन्म देना कोई बड़ी

    जीवन में आगे बढ़ने के लिए महत्वाकांक्षी होना बेहद जरूरी है। महत्वाकांक्षाओं को जन्म देना कोई बड़ी बात नहीं है, ़खास बात है उन को साकार रूप देना, जो कि आसान नहीं है। पर यदि सही प्रंबधन के साथ अपनी महत्वाकांक्षा की दिशा में आगे बढ़ा जाए तो यह मुश्किल कार्य भी नहीं है। महत्वाकांक्षी होना जहां जरूरी है, वहीं लक्ष्यहीन होना जीवन को निस्सार व दिशाहीन बना देता है।

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    यह वैसी ही है जैसे कोई व्यक्ति घर से निकले, बिना यह तय किए कि उसे जाना कहा हैं। तो वह घर से निकल कर क्या करेगा, कहां जाएगा, नियति उसे कहां ले जाएगी उसे नहीं पता। दूसरी और एक और व्यक्ति घर से निकलते समय पहले से ही सोच कर निकलता है कि उसे ऑफिस जाना है तो वह घर से निकल कर ऑफिस पहुंच जाएगा। जब ऐसी छोटी बातों में लक्ष्य का होना जरूरी है तो फिर हमारे जीवन का लक्ष्य क्यों नहीं होना चाहिए। लक्ष्य क्या हो यह व्यक्ति अपने विचार, परिवेश व जरूरतों के हिसाब से तय करता है। हर व्यक्ति का लक्ष्य अलग-अलग होता है। एक छात्र का लक्ष्य अच्छे नंबरों से परीक्षा पास करना हो सकता है। किसी विशेष डिग्री को प्राप्त करना हो सकता है। किसी व्यापारी का लक्ष्य और अधिक धन कमाना हो सकता है, कोई नया व्यवसाय शुरू करना हो सकता है। नई कंपनी खड़ी करना हो सकता है। लक्ष्य साध्य होना चाहिए। यदि आप कोई ऐसा लक्ष्य बनाएंगे जो आपको स्वयं ही असाध्य लगे, तो ऐसे लक्ष्य का कोई लाभ नहीं है, क्योंकि जब आप कोई असाध्य लक्ष्य निर्धारित करते हैं तो आपका अवचेतन मन आपको तुरंत कहेगा कि यह तो असंभव है। ऐसे लक्ष्य का कोई अर्थ नहीं है। हमारा अवचेतन मन, हमारे चेतन मन से कहीं अधिक शक्तिशाली होता है। यदि आप चेतन मन से कोई असाध्य लक्ष्य बनाएंगे और अवचेतन मन आपका साथ नहीं देगा। ऐसे लक्ष्य के पूरे होने के आसार तो नहीं के बराबर होंगे। छोटे-छोटे लक्ष्य बनाते चलिए, उन्हें पूरा करते चलिए और आगे बढ़ते रहिये। हमारा साध्य ही हमारे जीवन की गतिशीलता को निर्धारित करता है। यह न केवल हमारे जीवन का निर्धारण करता है अपितु उसे प्रेरणादायक भी बनाता है। यदि हमारा जीवन प्राप्त करने वाले लक्ष्य के लिए निर्धारित है, तो यह समाज के विकास के लिए भी लाभदायक है। मानव जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि लक्ष्य प्राप्ति है। लक्ष्य प्राप्ति से पूर्व थकते हुए निराश हो जाना ही जीवन की सबसे बड़ी दुविधा है। हर इंसान सफलता की सीढ़ी चढ़ना चाहता है। सफलता के शीर्ष तक पहुंचने के लिए अपेक्षा का तर्कपूर्ण निर्धारण करना बेहद जरूरी है। साध्य एवं तार्किक रूप से अपेक्षा निर्धारण करने के बाद ही हम निश्चित सफलता को प्राप्त कर सकते हैं। ऐसे में जरूरी है कि हम इसके महत्व के प्रति जागरूक हों और सीढ़ी दर सीढ़ी अपने कदमों को लगातार आगे बढ़ाते रहें।

    भाग्य भी उन्हीं का साथ देता है जो निराशा का भाव अपने जीवन में नहीं लाते, इसलिए अपनी महत्वकांक्षाओं के प्रति सही प्रबंधन के साथ संघर्ष एक न एक दिन आपकी महत्वाकांक्षा को साकार जरूर करता है। जिसका एक सशक्त उदाहरण है हेलन केलर, जो न देख सकती थी, न सुन सकती थी, लेकिन उसकी महत्वाकांक्षा थी कि वे पढ़े और आगे बढ़े। उसने कभी अपनी कमियों को अपनी महत्वाकांक्षाओं के आड़े नहीं आने दिया और आखिरकार कामयाब भी हुई। इसलिए हमें अपनी महत्वाकांक्षाओं से हार न मानकर सही प्रबंधन के साथ उनके प्रति संघर्षरत रहना चाहिए।

    आखिर महत्वाकांक्षा प्रंबधन है क्या? महत्वाकांक्षा प्रबंधन समावेश है महत्वाकांक्षा के प्रति हमारी दूरदर्शिता, लगन, मेहनत, सही समय प्रबंधन एवं कड़ी निष्ठा का। इसके लिए जरूरी है कि हम सबसे पहले अपनी महत्वाकांक्षा को उद्देश्य का रूप दें और उस उद्देश्य की पूर्ति के लिए आगे बढ़ें। इसके बाद बात आती है निष्ठा की। क्या हम वाकई अपनी महत्वाकांक्षा के प्रति वफादार है। क्या हम वाकई वह सब कुछ कर रहे हैं, जो हमारी महत्वाकांक्षा को साकार करने के लिए जरूरी है। यदि नही तो फिर अपनी महत्वाकांक्षा के प्रति हमारी निष्ठा में कमी है। हमें वह हर संभव सकारात्मक प्रयास करना चाहिए जो हमारी महत्वाकांक्षा हमें अपेक्षा रखती है। बहुत सारे लोगों को बाते करते हुए सुना होगा कि कड़ी मेहनत के बावजूद भी हम अपनी महत्वाकांक्षा को पूरी नहीं कर पाए। शायद हमारे भाग्य में ही हमारी महत्वाकांक्षा का पूरा होना नहीं लिखा था, लेकिन अपनी असफलताओं का दोष भाग्य के ऊपर डालना सही बात नहीं है।

    - डॉ. बालकिशन शर्मा

    पूर्व प्राचार्य, ¨हदू सीनियर सेकेंडरी स्कूल, सोनीपत।